3 जुलाई गुरु पूर्णिमा पर सोमवार को ही समाप्त होगा महीना, शिव की आराधना से पूरी होगी मनोकामना|
शिवलिंग
इस बार आषाढ़ मास की शुरुआत सोमवार 5 जून से हुई है। यह महीना सोमवार से शुरू होकर 3 जुलाई गुरु पूर्णिमा सोमवार के दिन ही समाप्त हाे रहा है। पंडित व ज्योतिष पं. सतीश शांडिल्य ने बताया कि इस पूरे महीने में पांच सोमवार का संयोग भी बन रहा है।
ज्योतिष के अनुसार इस वार काे सौम्य माना गया है इसलिए यह संयोग शुभ फलदायी माना जा रहा है। उन्होंने बताया कि इस वार को सौम्य माना गया है, इसलिए ये संयोग शुभ फलदायी माना जा रहा है। ये शुभ योग अच्छी बारिश होने के साथ-साथ देश की उन्नति का संकेत हैं।
होता है विशेष महत्व
मिथुन राशि में सूर्य भ्रमण का समय 29 जून गुरुवार देवशयनी एकादशी तक विशेष रहेगा। ऐसे में यह पूरा महीना दान-पुण्य के लिए विशेष माना गया है। 5 सोमवार का संयोग होने के कारण ज्योतिष इस माह को विशेष मान रहे हैं। इस दौरान भगवान की विशेष पूजा और अनुष्ठान भी करवाए जा सकते हैं। मिथुन राशि में सूर्य भ्रमण के समय विवाह जैसे मांगलिक कार्य देवशयनी एकादशी तक रहेंगे।
इसके बाद चातुर्मास शुरू होने से 4 महीने के लिए विवाह जैसे शुभ काम स्थगित हो जाएंगे। मिथुन में सूर्य का भ्रमण शुभ कामों के लिए फलदायी माना जाता है। इस समय मुंडन, यज्ञोपवीत संस्कार, विद्यारंभ, वर-वरण, कन्या-वरण, प्रतिष्ठान का प्रारंभ, वस्तु क्रय-विक्रय, विवाह जैसे मांगलिक कार्य हो सकेंगे।
17 जून काे पड़ रही पितृकार्येषु अमावस्या
आषाढ़ मास की पितृकार्येषु अमावस्या 17 जून को रहेगी और स्नान-दान 18 जून को किया जाएगा। इस महीने गुप्त नवरात्रे 19 से 27 जून तक रहेंगे। इसके बाद देवशयन के साथ चातुर्मास भी शुरू हो जाएगा। वहीं, महीने का आखिरी दिन यानी आषाढ़ पूर्णिमा 3 जुलाई, सोमवार को रहेगी। इस दिन गुरु पूर्णिमा पर्व रहेगा। पूर्णिमा तिथि के दिन चंद्रमा दोनों नक्षत्रों के बीच रहता है जिसकी वजह से इस महीने को आषाढ़ कहा जाता है।
इस महीने का महत्व
आषाढ़ मास ज्येष्ठ और श्रावण मास के बीच में होता है। आषाढ़ मास का नाम पूर्वाषाढ़ा और उत्तराषाढ़ा नक्षत्र पर रखा गया है। आषाढ़ मास में पड़ने वाली शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि 20 जून मंगलवार को भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा का आयोजन किया जाता है।
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