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Sunday, June 4, 2023

*70 देशों में चलती हैं बजाज की गाड़ियां:दो-तीन पहिया वाहनों की सबसे बड़ी एक्सपोर्टर, इसके पास एशिया की सबसे बड़ी चीनी मिल*

*70 देशों में चलती हैं बजाज की गाड़ियां:दो-तीन पहिया वाहनों की सबसे बड़ी एक्सपोर्टर, इसके पास एशिया की सबसे बड़ी चीनी मिल*
साल था 2019, एक मीडिया ग्रुप का अवॉर्ड शो चल रहा था। मंच पर गृहमंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और तत्कालीन रेलमंत्री पीयूष गोयल थे। मंच के नीचे पहली पंक्ति में बैठे बजाज ग्रुप के मालिक रहे राहुल बजाज ने गृहमंत्री से सवाल किया कि ऐसा माहौल क्यों है कि लोग अब सरकार से सवाल पूछने से डरते हैं?

इस वाकये को लेकर राहुल बजाज को हर तरफ सराहा गया। आज बात उसी बजाज ग्रुप की, जिसके ट्रेडमार्क में शामिल है गांधी जैसी तपस्या और मारवाड़ी जैसा बिजनेस माइंड। जिसके फाउंडर के नाम पर बसा है मुंबई में जे बी नगर। जिसने मिडिल क्लास परिवारों को दोपहिया चेतक पर बैठने का मौका दिया।

बजाज ग्रुप की फिलहाल 40 कंपनियां हैं। भारत में यह तीसरा सबसे बड़ा बिजनेस ग्रुप है। इसका मार्केट कैप है 9 लाख करोड़ रुपए है। थ्री व्हीलर गाड़ियां बनाने में बजाज ऑटो भारत में नंबर एक पर है। इसका मार्केट शेयर 34.97% है। यह टू व्हीलर और थ्री व्हीलर बनाने में दुनिया की चौथी सबसे बड़ी कंपनी है। ऑटोमोबाइल के अलावा यह फाइनेंस, होम अप्लायंसेस, इंश्योरेंस, आयरन एंड स्टील और इलेक्ट्रॉनिक के सेक्टर में मौजूद है।

आज के मेगा एम्पायर में हम जानेंगे इसी बजाज एम्पायर के बारे में

शुरुआत: बजाज ग्रुप की नींव गांधी के ‘पांचवें बेटे’ ने रखी थी

कुछ मीडिया रिपोर्ट्स से यह पता लगता है कि राजस्थान के मारवाड़ी समुदाय से आने वाले जमनालाल को उनके दूर के रिश्तेदार बछराज बजाज ने गोद लिया था। ये परिवार महाराष्ट्र के वर्धा में रहता था। इसलिए वर्धा से ही जमनालाल ने अपने व्यापार को चलाया और बढ़ाया। 1915 में उन्होंने बछराज के बिजनेस को अपनाया और उसी साल बछराज फैक्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड को रजिस्टर करवाया।

आगे चलकर 1926 में जमनालाल बजाज ने 'बजाज कंपनी समूह' की स्थापना की थी। फिर 1931 में उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में एक शुगर मिल की स्थापना की। इसका नाम रखा हिंदुस्तान शुगर मिल्स लिमिटेड। यह समूह की पहली प्रमुख कंपनी थी, जिसका 1988 में नाम बदलकर बजाज हिंदुस्तान लिमिटेड कर दिया गया।

आज यह एशिया की सबसे बड़ी शुगर कंपनी है। जमनालाल बजाज के पांच बच्चे थे। कमलनयन उनके सबसे बड़े पुत्र थे। फिर तीन बहनों के बाद राम कृष्ण बजाज उनके छोटे बेटे थे। बजाज परिवार को करीब से जानने वाले कहते हैं कि जमनालाल को महात्मा गांधी का 'पांचवा बेटा' भी कहा जाता था। इसी वजह से उस वक्त नेहरू भी जमनालाल का सम्मान करते थे।

शख्सियत: पूर्व पीएम नेहरू ने रखा था राहुल नाम

जून 1938 में जन्मे राहुल बजाज की भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से काफी घनिष्ठता रही। एक चर्चित किस्सा यूं है कि जब राहुल बजाज का जन्म हुआ तो इंदिरा गांधी कांग्रेस नेता कमलनयन बजाज (राहुल के पिता) के घर पहुंची और उनकी पत्नी से शिकायत की कि उन्होंने उनकी एक कीमती चीज ले ली है।

ये था नाम 'राहुल' जो जवाहर लाल नेहरू को बहुत पसंद था। उन्होंने इसे इंदिरा के बेटे के लिए सोच रखा था, लेकिन नेहरू ने यह नाम अपने सामने जन्मे कमलनयन बजाज के बेटे को दे दिया। कहा जाता है कि बाद में इंदिरा गांधी ने राजीव गांधी के बेटे का नाम राहुल इसी वजह से रखा था कि ये नाम उनके पिता को बहुत पसंद था।

वैसे आगे चलकर राहुल बजाज वही शख्स बने जिन्होंने देश को बजाज चेतक (स्कूटर) और फिर बजाज पल्सर (बाइक) जैसे प्रोडक्ट दिए। इन्हीं दो प्रोडक्ट की वजह से और उनके ब्रांड की विश्वसनीयता से बजाज 1965 में तीन करोड़ के टर्नओवर से 2008 में करीब दस हजार करोड़ के टर्नओवर तक पहुंचाया।

कामयाबी: चेतक स्कूटर ने बजाज को घर-घर तक पहुंचाया

बजाज पहले मुख्य रूप से थ्री-व्हीलर्स का काम करती थी। इसकी नींव राहुल के पिता कमलनयन बजाज ने रखी थी। 1972 में बजाज ऑटो ने ‘चेतक’ ब्रांड नाम का स्कूटर इंडियन मार्केट में उतारा। इस स्कूटर ने बजाज को देश के कोने-कोने और घर-घर में पहचान दिलाई।

बजाज चेतक के लिए कंपनी ने मार्केटिंग स्ट्रैटजी के तौर पर ‘हमारा बजाज’ स्लोगन तैयार किया। इस स्लोगन ने कई पीढ़ियों तक लोगों के मन पर राज किया। आज भी इसे हिंदुस्तान के सबसे सफल मार्केटिंग कैंपेन में से एक माना जाता है।

बजाज, स्कूटर कंपनी से बनी मोटरसाइकिल बनाने वाली कंपनी

2000 में बजाज ऑटो ने अपनी इमेज का पूरा मेकओवर किया। राहुल बजाज की इसमें अहम भूमिका रही और एक स्कूटर बनाने वाली कंपनी को एक मोटरसाइकिल बनाने वाली कंपनी बनाया। चेतक जहां शादी-शुदा या परिवार के लोगों की पसंद वाला स्कूटर था, वहीं कंपनी ने पल्सर जैसा मोटरसाइकिल ब्रांड खड़ा किया जो युवाओं के बीच पसंद की गई। कंपनी ने इसे ‘इट्स अ ब्यॉय’ टैगलाइन के साथ बाजार में उतारा।

बजाज भारत में दो-तीन पहिया गाड़ियों की सबसे बड़ी एक्सपोर्टर

बजाज की नीति हमेशा से ही विस्तार की रही है और राहुल बजाज का मानना था कि देश कोई भी हो अगर वहां बिजनेस के अवसर हैं, तो हमें जरूर उतरना चाहिए। यही वजह है कि आज बजाज ऑटो नॉर्थ अमेरिका के मेक्सिको से श्रीलंका तक फैला है। मेक्सिको में बजाज की पल्सर दूसरी सबसे ज्यादा बिकने वाली बाइक है। बजाज के तीन पहिया ऑटो को वहां की भाषा में ‘मोटोकारोस’ कहते हैं। यह वहां मार्केट लीडर है।

वहीं कोलंबिया में तो बजाज की पल्सर और तीन पहिया ऑटो दोनों ही सबसे ज्यादा बिकने वाले प्रोडक्ट हैं। यहां तक कि अफ्रिका जैसे देशों में भी बजाज का दबदबा है। वहां बजाज की बॉक्सर सबसे ज्यादा बिकने वाली मोटरसाइकिल में शामिल है।

यूरोप के ऑस्ट्रिया में केटीएम बाइक वहां की बीएमडब्लू बाइक से ज्यादा बिकती है। वैसे केटीएम में बजाज की 48% हिस्सेदारी है और मोटोजीपी में केटीएम की टीम भी शामिल है। एशिया के इजिप्ट में भी बजाज पल्सर सबसे ज्यादा बिकने वाली मोटरसाइकिल में शामिल है। बजाज की तीन पहिया भी वहां बिक्री के मामले में पीछे नहीं जिसको इजिप्ट की लोकल भाषा में टुकटुक कहते है।

वहीं इंडोनेशिया के जकारता में तो बजाज के तीन पहिया ऑटो करीब 40 साल से चल रहे है। बजाज के लिए इन सब देशों से इतर सबसे बड़ा मार्केट श्रीलंका है। श्रीलंका में बजाज के दोपहिया, तीन पहिया और चार पहिया भी काफी लोकप्रिय हैं। और यही सब कारण है जो भारत में बजाज को दोपहिया और तीन पहिया गाड़ियों का सबसे बड़ा एक्सपोर्टर बनाता है।

बजाज इलेक्ट्रिकल्स की पहुंच भी विदेशों तक

बजाज इलेक्ट्रिकल्स ने भारत के 7 राज्यों के शहर और गांवों तक बिजली पहुंचाने का भी काम किया है। इसके साथ मुंबई में मौजूद बांद्रा वर्ली सी लिंक और वानखेड़े स्टेडियम के लाइटिंग सिस्टम को अपडेट करने में भी मुख्य भूमिका निभाई है। यहीं नहीं बजाज इलेक्ट्रिकल्स ने तो ओमान के भी तीन फुटबॉल स्टेडियम में लाइटिंग लगाने का काम किया है।

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