गठबंधन है और रहेगा, कोई दिक्कत नहीं है- मुख्यमंत्री
चंडीगढ़- हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने आज सूरजमुखी किसानों को बड़ी राहत देते हुए 36414 एकड़ के लिए 8528 किसानों को अंतरिम भावांतर भरपाई राशि के रूप में 29 करोड़ 13 लाख 12 हजार रुपये की राशि डिजीटल माध्यम से सीधे किसानों के खातों में भेजी।
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि सूरजमुखी किसानों के लिए सरकार सकारात्मक निर्णय लेगी। बाजार मूल्य के बारे में एक विस्तृत अध्ययन चल रहा है और एक बार यह प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद हम एक महत्वपूर्ण घोषणा करेंगे।
उन्होंने कड़ा संदेश दिया कि कुछ लोग यह दावा कर किसानों में भ्रम पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं कि सरकार को किसानों की परवाह नहीं है, यह पूरी तरह गलत है। हमारी सरकार निरंतर किसानों के साथ है।
मुख्यमंत्री आज यहां एक पत्रकार वार्ता को संबोधित कर रहे थे।
श्री मनोहर लाल ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार और हमारी सरकार ने जिस तरह की किसान हितैषी नीतियां शुरू की हैं और जो वित्तीय सहायता हम दे रहे हैं, वह पिछली सरकारों की तुलना में बहुत अधिक है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने किसानों के कल्याण के लिए उल्लेखनीय काम किया है। हर साल एमएसपी बढ़ाना इस बात का स्पष्ट संकेत है कि केंद्र सरकार किसान हितैषी है।
एमएसपी को लेकर सूरजमुखी किसानों और सरकार के बीच चल रहे विवाद पर प्रतिक्रिया देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि जब हमने एमएसपी पर बाजरा खरीदा, तो पता चला कि दूसरे राज्यों के किसान भी अपनी बाजरा की फसल हमारी मंडियों में बेच रहे हैं। उन्होंने कहा कि इससे अंतरराज्यीय स्मगलिंग का मुद्दा पैदा हो गया। अब सूरजमुखी की खरीद में भी ऐसी ही संभावना पैदा हो रही है, इसलिए एहतियात के तौर पर हमने अंतरिम भरपाई की घोषणा की है, क्योंकि बाजार की दरों में उतार-चढ़ाव बना रहता है।
उन्होंने कहा कि पहली बार सूरजमुखी की फसल की खरीद हमारी सरकार ने ही शुरू की थी। पिछले 5 वर्षों से सरकार सूरजमुखी की खरीद कर रही है। वर्तमान में, हरियाणा में सूरजमुखी की खरीद 4800 रुपये प्रति क्विंटल पर की जा रही है, जबकि पंजाब में 4000-4200 रुपये में खरीद हो रही है। इसलिए हमें संदेह है कि पंजाब से भी हमारी मंडियों में फसल आ सकती है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले पोर्टल पर किसानों ने सूरजमुखी की फसल के लिए 40 हजार एकड़ क्षेत्र को पंजीकृत किया था। लेकिन किसानों की मांग पर हमने 3 दिन के लिए पोर्टल फिर से खोला, ताकि कुछ बचे हुए किसानों को भी मौका मिल सके। इन 3 दिनों के दौरान लगभग 17,000 एकड़ क्षेत्र का फिर से पंजीकरण कराया गया। यह पाया गया कि पंजीकरण उस भूमि पर भी किया गया था जहां गेहूं जैसी कोई अन्य फसल भी बोई गई थी। सत्यापन के बाद लगभग 9000 एकड़ क्षेत्र को हटाया गया और लगभग 6000 एकड़ का सत्यापन अभी चल रहा है।
किसानों के नाम पर राजनीति करने वालों के बहकावे में न आएं किसान
मुख्यमंत्री ने किसानों से अपील करते हुए कहा कि कुछ राजनीतिक लोग व किसान संगठन किसान शब्द को लेकर राजनीति कर रहे हैं और किसानों को बदनाम करने का काम कर रहे हैं। इसलिए किसान ऐसे लोगों के बहकावे में न आएं।
उन्होंने कहा कि राजमार्गों को अवरुद्ध करना किसी बात का समाधान नहीं है। लोकतंत्र में हम किसी की स्वतंत्रता में बाधा नहीं डाल सकते। हमने किसानों के साथ सकारात्मक बातचीत की। अदालत की ओर से रास्ता खाली करवाने का आदेश दिया गया था और पुलिस ने अदालत के फैसले का पालन किया।
वर्तमान सरकार ने किसानों को सब्सिडी व मुआवजे के रूप में लगभग साढ़े 23 हजार करोड़ रुपये की दी राशि
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान सरकार की ओर से किसानों को सब्सिडी और मुआवजे के तौर पर लगभग 23,500 करोड़ रुपये की राशि दी गई है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत 4287 करोड़ रुपये, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत 6189 करोड़ रुपये, पराली प्रबंधन के लिए 103 करोड़ रुपये, फसल विविधीकरण के लिए 118 करोड़ रुपये और भावांतर भरपाई योजना के तहत 883 करोड़ रुपये दिए गए हैं।
आगे भी रहेगा। इसमें कहीं कोई दिक्कत नहीं है। उन्होंने कहा कि संगठनात्मक बातें अलग होती हैं और सरकार चलाना अलग विषय होता है।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्री वी उमाशंकर, मुख्यमंत्री के उप प्रधान सचिव श्री के मकरंद पांडुरंग और कृषि विभाग के निदेशक श्री नरहरी सिंह बांगड़ सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
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