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Thursday, June 1, 2023

*मणिपुर हिंसा की जांच CBI-ज्यूडिशियल कमीशन करेंगे:शाह बोले- कल से सर्च ऑपरेशन, किसी के पास हथियार मिले तो सख्त एक्शन होगा*

*मणिपुर हिंसा की जांच CBI-ज्यूडिशियल कमीशन करेंगे:शाह बोले- कल से सर्च ऑपरेशन, किसी के पास हथियार मिले तो सख्त एक्शन होगा*
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को मणिपुर के इंफाल में मैतेई राहत शिविर का दौरा किया।
गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को कहा कि मणिपुर हिंसा की वजह गलतफहमी है। उन्होंने बताया कि हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में कमीशन हिंसा की जांच करेगी। CBI भी हिंसा से जुड़े केस की जांच करेगी कल से सर्च ऑपरेशन भी शुरू हो जाएगा। अगर किसी के पास हथियार मिले तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

शाह मणिपुर के 4 दिन के दौरे पर हैं और आज उनके दौरे का आखिरी दिन है। उन्होंने कहा- हिंसा में मारे गए लोगों को 5 लाख मणिपुर सरकार और 5 लाख केंद्र सरकार देगी।
शाह ने बुधवार को इंफाल में एक राहत शिविर का दौरा किया। यहां मैतेई समुदाय के लोग रह रहे हैं। उन्होंने लोगों से कहा कि मणिपुर में जल्द शांति बहाल होगी। जल्द की लोगों की घरों में वापसी सुनिश्चित की जाएगी।

शाह ने कुकी समुदाय के संगठनों के साथ भी बैठक की थी। उन्होंने अधिकारियों से कहा था कि मणिपुर की शांति सर्वोच्च प्राथमिकता है। शांति बहाली के लिए जल्द से जल्द कदम उठाए जाएं।
अमित शाह बुधवार को म्यांमार बॉर्डर से लगे मोरेह शहर पहुंचे और सुरक्षाबलों से हालात की जानकारी ली।
सीएम के साथ कर चुके मीटिंग, 10-10 लाख रुपए की सहायता राशि का ऐलान
29 मई को मणिपुर की राजधानी इंफाल पहुंचते ही अमित शाह ने सबसे पहले मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह, मंत्रियों और अधिकारियों के साथ मीटिंग की। इस बैठक में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय, केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला और इंटेलिजेंस ब्यूरो के चीफ तपन डेका भी मौजूद थे।

शाह ने हिंसा में मारे गए लोगों के परिजनों को 10-10 लाख रुपए की सहायता राशि और परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने की घोषणा की। उन्होंने राज्य में राशन और तेल जैसी जरूरी चीजों की सप्लाई को बेहतर करने के भी निर्देश दिए।
अमित शाह ने हिंसा में मारे गए लोगों के परिजनों को 10-10 लाख रुपए की सहायता राशि और परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने की घोषणा की है।
चानू समेत 11 खिलाड़ियों ने मेडल लौटाने की बात कही
मणिपुर में करीब एक महीने से जारी हिंसा के बीच ओलिंपिक पदक विजेता मीराबाई चानू सहित राज्य की 11 खेल हस्तियों ने गृह मंत्री अमित शाह को लेटर लिखकर राज्य में जल्द शांति बहाल करने की मांग की है। इन्होंने कहा है कि अगर स्थिति सामान्य नहीं हुई तो वे अपने अवॉर्ड और मेडल लौटा देंगे।

लेटर पर दस्तखत करने वालों में मीराबाई चानू, पद्म पुरस्कार विजेता वेटलिफ्टर कुंजारानी देवी, पूर्व भारतीय महिला फुटबॉल टीम की कप्तान बेम बेम देवी और मुक्केबाज एल सरिता देवी शामिल हैं।

CDS बोले- यह जातीय हिंसा, उग्रवाद नहीं
इधर, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान ने मंगलवार को पुणे में कहा कि मणिपुर में हालात सामान्य होने में थोड़ा वक्त लगेगा। जनरल चौहान ने कहा- राज्य में हिंसा दो जातियों के बीच संघर्ष का परिणाम है। इसका उग्रवाद से कोई लेना-देना नहीं है। यह कानून-व्यवस्था का मामला है। हम राज्य सरकार की मदद कर रहे हैं।
28 मई को मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने बताया था कि राज्य में हिंसा शुरू होने के बाद पुलिस एनकाउंटर में 40 लोग मारे गए हैं। CM ने इन्हें मिलिटेंट बताया था।

CDS जनरल अनिल चौहान मंगलवार को पुणे में NDA के 144वें कोर्स की पासिंग आउट परेड में शामिल हुए थे। यहां उन्होंने मणिपुर हिंसा को लेकर बात की।
हिंसा के चलते अब तक 80 लोगों की जान गई
मणिपुर में 3 मई से हिंसा जारी है। राजधानी इंफाल से लगे सेरौ और सुगनू इलाके में रविवार को हिंसक झड़प हुई थी। इसमें 1 पुलिसकर्मी समेत 5 लोगों की मौत हो गई, जबकि 12 घायल हुए हैं। राज्य में हिंसा के चलते अब तक करीब 80 लोगों की जान गई है।

सेना ने 2,000 ग्रामीणों को सुरक्षित निकाला
ताजा हिंसा के बाद सेना और असम राइफल्स ने 28 मई को एक बड़ा रेस्क्यू अभियान चलाया। जिसमें कुकी जनजाति और मेइती समुदाय के ग्रामीणों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने में मदद की।

सेना और अर्धसैनिक बलों ने पुलिस, राज्य प्रशासन और नागरिक समाज संगठनों के साथ मिलकर सेरो से मैतेई समुदाय के लगभग 2,000 ग्रामीणों को निकाला और उन्हें पंगलताबी राहत शिविर ले गए। इसी तरह कुकी जनजाति के लगभग 328 ग्रामीणों को सुरक्षित रूप से सुगनू से साजिक तंपक पहुंचाया गया।

4 पॉइंट्स में जानिए, पूरा विवाद...

1. मणिपुर में आधी आबादी मैतेई समुदाय की
मणिपुर की लगभग 38 लाख की आबादी में से आधे से ज्यादा मैतेई समुदाय के लोग हैं। मणिपुर के लगभग 10% क्षेत्रफल में फैली इंफाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल है।

हाल ही में मणिपुर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) में शामिल करने पर विचार करने के आदेश जारी किए हैं।

2. मैतेई समुदाय आरक्षण क्यों मांग रहा है
मैतेई समुदाय के लोगों का तर्क है कि 1949 में भारतीय संघ में विलय से पूर्व उन्हें रियासतकाल में जनजाति का दर्जा प्राप्त था। पिछले 70 साल में मैतेई आबादी 62 फीसदी से घटकर लगभग 50 फीसदी के आसपास रह गई है। अपनी सांस्कृतिक पहचान के लिए मैतेई समुदाय आरक्षण मांग रहा है।

3. नगा-कुकी जनजाति आरक्षण के विरोध में
मणिपुर की नगा और कुकी जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। राज्य के 90% क्षेत्र में रहने वाला नगा और कुकी राज्य की आबादी का 34% हैं।

इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इंफाल घाटी में हैं। राजनीतिक रूप से मैतेई समुदाय का पहले से ही मणिपुर में दबदबा है।

नगा और कुकी जनजातियों को आशंका है कि एसटी वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों में बंटवारा होगा। मौजूदा कानून के अनुसार मैतेई समुदाय को राज्य के पहाड़ी इलाकों में बसने की इजाजत नहीं है।

4. हालिया हिंसा का कारण आरक्षण मुद्दा
मणिपुर में हालिया हिंसा का कारण मैतेई आरक्षण को माना जा सकता है। पिछले साल अगस्त में मुख्यमंत्री बीरेन सिंह की सरकार ने चूराचांदपुर के वनक्षेत्र में बसे नगा और कुकी जनजाति को घुसपैठिए बताते हुए वहां से निकालने के आदेश दिए थे। इससे नगा-कुकी नाराज चल रहे थे। मैतेई हिंदू धर्मावलंबी हैं, जबकि एसटी वर्ग के अधिकांश नगा और कुकी ईसाई धर्म को मानने वाले हैं।

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