Breaking

Thursday, June 1, 2023

*नेपाल-भारत के बीच तेजी से बनेगा रामायण सर्किट:PM मोदी ने कहा- रिश्ते हिट से सुपरहिट बनाएंगे; प्रचंड बोले- सीमा विवाद बातचीत से सुलझाएंगे*

*नेपाल-भारत के बीच तेजी से बनेगा रामायण सर्किट:PM मोदी ने कहा- रिश्ते हिट से सुपरहिट बनाएंगे; प्रचंड बोले- सीमा विवाद बातचीत से सुलझाएंगे*
नेपाल के PM प्रचंड ने प्रधानमंत्री मोदी के साथ हैदराबाद हाउस में द्विपक्षीय बैठक की। इसके बाद दोनों नेताओं ने प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की।
भारत और नेपाल के बीच प्रस्तावित रामायण सर्किट के काम में तेजी लाई जाएगी। भारत पहुंचे नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड और PM मोदी से मुलाकात में यह फैसला हुआ। बातचीत के बाद PM मोदी ने कहा- दोनों देशों के बीच रामायण सर्किट का काम तेजी से पूरी किया जाएगा।

प्रधानमंत्री बोले- मैंने और PM प्रचंड ने नेपाल-भारत की पार्टनरशिप को हिट से सुपरहिट बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण फैसले किए हैं। इसके अलावा दोनों नेताओं ने भारत-नेपाल के बीच नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी पर भी चर्चा की। इस दौरान हाइड्रो-पावर डेवलेपमेंट, एग्रीकल्चर और कनेक्टिविटी जैसे मुद्दों पर बात हुई।

प्रेस कॉन्फ्रेंस में नेपाल के PM प्रचंड ने कहा- मेरी मोदी जी से सीमा विवाद को लेकर भी चर्चा हुई। मैं उनसे अपील करता हूं कि इस मामले को द्विपक्षीय बातचीत के जरिए सुलझाया जाए। वहीं PM प्रचंड ने प्रधानमंत्री मोदी को नेपाल आने का न्योता दिया। दोनों नेताओं के बीच हैदराबाद हाउस में बैठक हुई थी।
इस फुटेज में नेपाल के PM प्रचंड और प्रधानमंत्री मोदी बैठक करते नजर आ रहे हैं।
नेपाल के लोगों के लिए नए रेल रूट्स शुरू होंगे
मैंने 2014 में नेपाल की पहली यात्रा की थी। तब मैंने एक HIT यानी हिट फॉर्मुला दिया था। इसमें हाई-वे, आई-वे और ट्रान्स -वे शामिल थे। मैंने कहा था कि हमारे बॉर्डर दोनों देशों के रिश्तों में बैरियर नहीं बनने चाहिए। आज मैं कह सकता हूं कि हमारे संबंध हिट हैं। नेपाल के लोगों के लिए नए रेल रूट्स शुरू किए जाएंगे। इसके अलावा वहां के रेलकर्मियों को ट्रेनिंग भी दी जाएगी।

नेपाल के PM प्रचंड ने कहा- मैं चौथी बार भारत दौरे पर आया हूं। मैं PM मोदी को भारत की सत्ता में 9 साल पूरे करने की बधाई देता हूं। उनकी लीडरशिप में भारत में इकोनॉमी सहित सभी क्षेत्रों में तेजी से विकास हुआ है। आज भारत और नेपाल के बीच संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए कई महत्वपूर्ण समझौते हुए हैं।
फुटेज में नेपाल के प्रधानमंत्री प्रचंड PM मोदी से मुलाकात करते नजर आ रहे हैं।
बतौर प्रधानमंत्री प्रचंड का चौथा भारत दौरा
इससे पहले गुरुवार को PM प्रचंड ने राजघाट पहुंचकर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी थी। प्रचंड दोपहर बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ से भी मुलाकात करेंगे। नेपाल के प्रधानमंत्री के तौर पर प्रचंड का ये चौथा भारत दौरा है। बुधवार को वो दोपहर करीब 3 बजे भारत पहुंचे थे।

भारत की संस्कृति राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी ने उनका स्वागत किया था। प्रचंड नई दिल्ली में नेपाल-भारत बिजनेस समिट को भी संबोधित करेंगे। वो भारत में मौजूद नेपाली समुदाय के लोगों से भी मुलाकात करेंगे।
PM प्रचंड ने राजघाट पहुंचकर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी।
दौरे के आखिरी दिन इंदौर जाएंगे नेपाल के PM
इसके बाद 3 जून को वो एक कार्यक्रम के लिए इंदौर जाएंगे। इसके बाद नेपाली PM के महाकाली की नगरी उज्जैन जाने की भी संभावना है। नेपाल के PM इससे पहले मई में भारत आने वाले थे लेकिन कैबिनेट विस्तार के चलते उन्होंने यात्रा टाल दी थी। नेपाल में परंपरा है कि जो भी नेता वहां का प्रधानमंत्री बनता है वो अपने विदेशी यात्राओं की शुरुआत भारत से ही करता है।

हालांकि, 2008 में राजशाही खत्म होने के बाद जब प्रचंड PM बने थे तो वो सबसे पहले चीन पहुंच थे। पिछले साल दिसंबर में पुष्प कमल दहल प्रचंड तीसरी बार नेपाल का प्रधानमंत्री बने थे। इससे पहले वो 2008 से 2009 और दूसरी बार 2016 से 2017 में प्रधानमंत्री बन चुके हैं।

बुधवार को दिल्ली पहुंचने पर भारत की संस्कृति राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी ने प्रधानमंत्री प्रचंड का स्वागत किया।
कई बार भारत विरोधी बयान दे चुके हैं प्रचंड
प्रचंड को चीन का करीबी माना जाता है। उन्होंने कई बार भारत विरोधी बयान भी दिए हैं। दरअसल प्रचंड को 2009 में PM पद से इस्तीफा देने पड़ा था, जिसकी वजह वो भारत को मानते हैं। प्रचंड ने नेपाल आर्मी चीफ रुकमंगड़ कटवाल को पद से हटा दिया था, भारत इसके खिलाफ था। भारत के गतिरोध के बीच उन्हें इस्तीफा देने पड़ा।
इसके बाद उनकी नजदीकियां चीन से बढ़ने लगीं। इस्तीफे के बाद वो कई बार चीन के निजी दौरे पर गए। प्रचंड ने कहा था कि भारत और नेपाल के बीच जो भी समझौते हुए हैं, उन्हें खत्म कर देना चाहिए। 2016-2017 में भी प्रचंड के हाथ में सरकार की कमान रही। इस दौरान उन्होंने कहा था- नेपाल अब वो नहीं करेगा, जो भारत कहेगा।

तस्वीर 2017 की है जब नेपाल के PM प्रचंड ने बीजिंग में चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग से मुलाकात की थी।
नेपाल-भारत के बीच सीमा विवाद
पिछले साल अक्टूबर में नेपाल सरकार ने दोनों देशों की सीमा के पास भारत में बन रही एक सड़क के चौड़ीकरण पर आपत्ति जताई थी। यह सड़क बिहार के सीतामढ़ी शहर के कई इलाकों को नेपाल बॉर्डर पर भिठ्ठामोड़ और जनकपुर से जोड़ती है। इससे पहले उत्तराखंड के लिपुलेख में भारत की सड़क लंबी करने की घोषणा को लेकर नेपाल ने भारत को चेतावनी जारी करते हुए इसे तुरंत रोकने को कहा था। नेपाल उत्तराखंड स्थित लिपुलेख को अपना इलाका बता चुका है।
दिसंबर 1815 में ब्रिटिश इंडिया और नेपाल के बीच एक संधि हुई थी, जिसे सुगौली संधि के नाम से जाना जाता है। इस संधि पर हस्ताक्षर तो दिसंबर 1815 में हो गए थे, लेकिन ये संधि अमल में 4 मार्च 1816 से आई। उस समय भारत पर अंग्रेजों का कब्जा था। इस संधि पर ईस्ट इंडिया कंपनी की तरफ से लेफ्टिनेंट कर्नल पेरिस ब्रेडश और नेपाल की ओर से राजगुरु गजराज मिश्र ने हस्ताक्षर किए।

सुगौली संधि में ये तो तय हो गया कि नेपाल की सरहद पश्चिम में महाकाली और पूरब में मैची नदी तक होगी, लेकिन इसमें नेपाल की सीमा तय नहीं हुई थी। इसका नतीजा ये हुआ कि आज भी 54 ऐसी जगहें हैं, जिनको लेकर दोनों देशों के बीच विवाद होता रहता है।

No comments:

Post a Comment