अग्रसेन की बावड़ी इन्ही प्राचीन व ऐतिहासिक बावडियों का एक जीता जागता उदाहरण
जीन्द : अखिल भारतीय अग्रवाल समाज जीन्द के एक शिष्ठमंडल ने प्रधान राजकुमार गोयल की अध्यक्षता में दिल्ली के कनाट प्लेस के हेली रोड पर स्थित प्राचीन व ऐतिहासिक अग्रसेन बावड़ी का दौरा किया और इस बावडी के इतिहास के बारे में जानकारी हासिल की। इस अवसर पर उनके साथ सावर गर्ग, पवन बंसल, सोनू जैन, रामधन जैन, मनीष गर्ग, रजत सिंगला इत्यादि पदाधिकारी प्रमुख रूप से उपस्थित थे। महाभारत काल में महाराजा अग्रसेन द्वारा यह बावड़ी बनवाई गई थी। कई साल पहले आमिर खान की फिल्म पीके की शूटिंग भी इस अग्रसेन बावड़ी में हुई है।
गोयल ने बताया कि इस ऐतिहासिक व प्राचीन बावडी का दौरा करने के उपरांत उन्हे अग्रसेन बावडी के इतिहास के बारे में काफी जानकारी मिली। प्राचीन काल में राजाओ महाराजाओं द्वारा बारिश के पानी को संग्रहित करने के लिए बावड़ी नामक संरचनाओं का उपयोग किया जाता था। जानकारी के अनुसार 7वीं से 19वीं शताब्दी तक भारत में भूमिगत वास्तुकला को परिभाषित करने में बावडियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। एक समय में दिल्ली व आसपास के क्षेत्र में 100 से ज्यादा बावडियां थी जो समय के साथ लुप्त हो गई। उनमें से कुछ ही शेष बची है जिनमें से अग्रसेन की बावड़ी प्रमुख है। इस बावड़ी का निर्माण महाभारत काल के समय महाराजा अग्रसेन द्वारा करवाया गया था बाद में इस बावड़ी का जीर्णोंद्धार करवाया गया।
गोयल ने बताया कि अब यह बावड़ी भारतीय पुरात्तव के सर्वेक्षण द्वारा संरक्षित है। इस बावडी को देखने के लिए पूरे देश से सैकडों पर्यटक हर रोज यहां आते है और प्राचीन बावडी के बारे जानकारी प्राप्त करते है। यह बावडी 60 मीटर लम्बी और 15 मीटर ऊची बनी हुई है। बावड़ी के कुएं तक पहुंचने के लिए 100 से ज्यादा सीढियां बनी हुई है। इस बावड़ी का निर्माण लाल बलुआ पत्थरों से हुआ है। इस पत्थर की वजह से बावड़ी की दीवारे काफी सुन्दर नजर आती है। यह जगह एक शांत जगह है जहां कुछ देर बैठने से मन को शांति मिलती है। कई साल पहले आमिर खान की फिल्म पीके की शुटिंग भी इस बावड़ी में हुई। उसके बाद से यह बावडी और भी ज्यादा चर्चा में आ गई। गोयल का कहना है कि इस बावड़ी का दौरा करने के उपरांत शिष्टमंडल को बावड़ी के इतिहास और अग्रसेन बावड़ी के बारे में काफी जानकारियां प्राप्त हुई।
No comments:
Post a Comment