'ऐसे लोगों पर रोक लगनी चाहिए', कथावाचक अनिरुद्धाचार्य पर भड़के अनिल विज
नई दिल्ली : कथावाचक अनिरुद्धाचार्य के बयानों की निंदा करते हुए अनिल विज ने कहा कि ये हमारे समाज और संस्कृति को दूषित कर रहे हैं.
कथावाचक अनिरुद्धाचार्य के बयानों पर हरियाणा के परिवहन मंत्री अनिल विज ने कड़ी आपत्ति जाहिर की. उन्होंने एक निजी न्यूज़ से बातचीत में कहा कि उन्होंने जो बयान दिया है वो हमारी संस्कृति के विरुद्ध है. उनके खिलाफ अगर कोई कार्रवाई बनती है तो करनी चाहिए. वो महिलाओं के बारे में क्या कहना चाहते हैं, कैसी संस्कृति और कैसा देश बनाना चाहते हैं? ऐसे लोगों पर रोक लगनी चाहिए.
अनिल विज ने कहा, "इतनी बड़ी संख्या में लोग इनको सुनने जाते हैं. क्या ये सिखाएंगे हमको? हमें चुनना पड़ेगा. हमें ज्ञान चाहिए. लेकिन किससे ज्ञान चाहिए, जो ज्ञानी होगा न कि इस प्रकार के शब्दावलियों का जो प्रयोग करता होगा ऐसे व्यक्तिओं से हमको नहीं सुनना है. शास्त्रों के जानकार के पास जाना चाहिए."
*इनको अपनी वाणी पर नियंत्रण नहीं- विज*
इसके साथ ही हरियाणा के मंत्री ने कहा कि इनके इस तरह के प्रवचन देने पर रोक लगानी चाहिए. क्योंकि इनको अपनी वाणी पर नियंत्रण नहीं है. ये शब्दों का ठीक ढंग से इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं. विज ने कहा कि ये हमारे समाज और संस्कृति तो दूषित कर रहे हैं. ऐसे लोगों को हम किसी भी प्रकार से धर्म का प्रचारक नहीं मान सकते.
*सनातन धर्म ने हमेशा महिलाओं की महिमा गाई- विज*
क्या अनिरुद्धाचार्य सनातन धर्म को नुकसान पहुंचा रहे हैं, इस पर अनिल विज ने कहा, "सनातन धर्म ने तो हमेशा महिलाओं की महिमा गाई है. हमेशा देवियों की तरह पूजा है. इनके बयान सनातन धर्म के विरुद्ध हैं. ऐसे लोगों पर रोक लगनी चाहिए."
*अनिरुद्धाचार्य के बिगड़े बोल*
पहले 14 वर्ष की उम्र में लड़कियों की शादी हो जाती थी, वो परिवार में घुल मिल जाती थीं लेकिन अब लड़कियां लाते हैं 25 साल की जो 4 जगह मुंह मार के आती हैं।
आज कल की पत्नियां जो ज्यादा पैसे कमाता है उसके साथ भाग जाती हैं. इन्हें चुराने रावण आता तो ये उचककर खुद बैठ जातीं. ये खुद रावण को लेटर लिखती कि हम यहां पर हैं, आ जाओ हमें चुराने के लिए।
किन बेटियों के टुकड़े हो रहे हैं? उन बेटियों के जिनके मां-बाप ने सही वक्त पर संस्कार नहीं दिए. काश संस्कार दिया होता. बेटियों ने अगर संस्कार को फॉलो किया होता तो उन लोगों के इतने टुकड़े नहीं होते।
आज कल की लड़कियां पढ़ाई के बहाने घर से निकलती हैं लेकिन वे गलत रास्ते पर चली जाती हैं. संस्कारों की कमी के कारण उनका भविष्य खराब होता है।
महिलाओं को नौकरी करने की जरूरत नहीं है. उनका काम घर संभालना और बच्चों को संस्कार देना है।
कलियुग में आप वेश्या को वेश्या नहीं कह सकते।
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