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Tuesday, September 22, 2020

September 22, 2020

शराब घोटाले का मामला:सरकार ने विजिलेंस ब्यूरो को नहीं दिए एफआईआर के आदेश, सिर्फ जांच के लिए कहा, विज ने सीएम को लिखा पत्र-दर्ज कराई जाए एफआईआर

शराब घोटाले का मामला:सरकार ने विजिलेंस ब्यूरो को नहीं दिए एफआईआर के आदेश, सिर्फ जांच के लिए कहा, विज ने सीएम को लिखा पत्र-दर्ज कराई जाए एफआईआर

चंडीगढ़ : शराब घोटाले की स्टेट विजिलेंस ब्यूरो की जांच में अब एक बार फिर शब्दों का गोलमाल हो गया है। इसी एक शब्द को लेकर अब गृह मंत्री अनिल विज सख्त हो गए हैं, क्योंकि विजिलेंस ब्यूरो को जो शराब घोटाले को लेकर जो पत्र लिखा गया, उसमें सिर्फ इस मामले जांच के लिए कहा गया है। उसमें कहीं एफआईआर का जिक्र ही नहीं है।
ऐसे में देखने वाली बात यह है कि एफआईआर का जानबूझकर जिक्र नहीं किया गया या फिर गलती से छूट गया, जबकि गृह मंत्री अनिल विज ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल से मामले में एफआईआर दर्ज करने और इन्वेस्टीगेशन की सिफारिश की थी। सिर्फ जांच की बात सामने आने के बाद गृह मंत्री ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है। इसमें कहा कि शराब घोटाले को लेकर विजिलेंस ब्यूरो में एफआईआर दर्ज कराई। जांच का कोई औचित्य नहीं रह जाता है।
इधर, सूत्रों का यह भी कहना है कि विजिलेंस सिर्फ लॉकडाउन पीरियड में शराब की कमी और इससे जुड़ी गतिविधियों की ही जांच कर रही है, क्योंकि जो आदेश दिया गया है कि उसमें इसी पीरियड का जिक्र किया है, जबकि मंत्री ने स्पेशल एंक्वारी टीम की ओर से दी गई रिपोर्ट में शामिल हर पॉइंट को जांच में शामिल करने की सिफारिश की थी।
बता दें कि 31 जुलाई को एसईटी की रिपोर्ट आने के पांच दिन बाद गृह मंत्री विज ने मुख्यमंत्री से मामले की विजिलेंस से जांच कराने की सिफारिश की थी। साथ ही उन्होंने अपने पुलिस विभाग की जांच के लिए तीन आईपीएस अफसरों की कमेटी का भी गठन किया, जो एसईटी की रिपोर्ट में आए पुलिस से संबंधित हर बिंदू की जांच कर रही है, जबकि एक्साइज डिपार्टमेंट ने भी सभी डीईटीसी से जवाब मांगा हुआ है।
दुष्यंत ने कही थी घोटाला न होने की बात, विज ने घोटाले को मान जांच की सिफारिश की
शराब घोटाले की रिपोर्ट पर डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला और गृह मंत्री अनिल विज भी आमने-सामने हाे चुके हैं। चौटाला ने जहां घोटाला न होने की बात कही थी। वहीं, विज ने माना कि घोटाला हुआ। चौटाला ने तो इसकी जांच और अधिकारियों पर कार्यवाही की सिफारिश पर भी सवाल उठा दिए थे। बाद में सीएम मनोहर लाल ने कहा था कि जिसका भी नाम आया है, उसके खिलाफ जांच कर कार्यवाही होगी।

लॉकडाउन पीरियड की जांच के आदेश : विजिलेंस

विजिलेंस ब्यूरो के एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि उन्हें लॉकडाउन पीरियड की जांच के लिए कहा गया है। जो पत्र मिला है, उसमें एफआईआर का जिक्र नहीं है। सिर्फ जांच के लिए कहा गया है। इसलिए पहले जांच की जा रही है। जांच में क्या सामने आता है, इसके बाद देखा जाएगा कि आगे क्या करना है। यदि कोई गड़बड़ी सामने आती है तो एफआईआर दर्ज की जाएगी।

यह है मामला : लॉकडाउन पीरियड के दौरान खरखौदा में शराब घोटाले का खुलासा हुआ। गृह मंत्री की सिफारिश पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने एसईटी का गठन किया था। कमेटी ने 30 जुलाई को रिपोर्ट सौंपी थी।
शराब घोटाले पर अभी तक विजिलेंस ने एफआईआर दर्ज नहीं की है। इसलिए होम सेक्रेट्री के जरिए सीएम को पत्र भेजा गया है कि मामले में जांच के साथ एफआईआर दर्ज कराई जाए।
-अनिल विज, गृह मंत्री, हरियाणा।

Friday, August 7, 2020

August 07, 2020

शराब घोटाले के अंदर घोटाले पर घोटाला, अब पूंछ पकड़ कर जांच करेगा विजिलेंस हरियाणा में नष्ट नहीं की जाती थी पकड़ी गई शराब, ट्रक चालक पर मुकदमा दर्ज कर हो गई खानापूर्ति

शराब घोटाले के अंदर घोटाले पर घोटाला,  अब पूंछ पकड़ कर जांच करेगा विजिलेंस हरियाणा में नष्ट नहीं की जाती थी पकड़ी गई शराब, ट्रक चालक पर मुकदमा दर्ज कर हो गई खानापूर्ति

चंडीगढ़। प्रदेश में बहुचर्चित खरखौदा शराब घोटाले की जांच कर रही बिना ताकत की एसईटी ने इस मामले में एक और घोटाले की पूंछ पकड़ ली है। अब इस घोटाले की गहराई से विजिलेंस विभाग जांच करेगा। उम्मीद है कि इस जांच में बहुत कुछ निकल कर आएगा। इस जांच के लिए गृह मंत्री अनिल विज ने एक बार फिर से एसआईटी की सिफारिश की है।
इस बार अगर उनकी सुझाई गई सिफारिश पर अमल करते हुए सरकार एसआईटी के स्थान पर एसईटी का गठन नहीं करती है तो काफी कुछ बाहर आ सकता है। गृह मंत्री अनिल विज ने कहा है कि उन्होंने एसईटी की रिपोर्ट को पूरी तरह से मान्य मान लिया है। अब इस मामले में हर उस व्यक्ति के खिलाफ एक्शन होगा जो इस घोटाले में शामिल है।
नियम यह है आबकारी विभाग के माध्यम से हर दो वर्ष में पकड़ी जाने वाली टाप की शराब नष्ट की जानी चाहिए। जो कि एक डीईटीसी के अलावा किसी डीईटीसी ने नष्ट नहीं की है। इस मामले में आगे जांच होगी। मैं इस मामले की जांच विजिलेंस विभाग को रिकमंड कर रहा हूं। इस मामले में एक और एफआईआर दर्ज होगी और विजिलेंस इस मामले में एसआईटी बना कर जांच करेगा।
यह भी पाया गया है कि अधिकतर मामलों में पुलिस ने तस्करी में संलिप्त ट्रक चालकों पर एफआईआर दर्ज की है। ऐसे करीब 200 मामले सामने आए हैं। जिससे यह प्रतीत होता है कि यह पुलिस और आबकारी विभाग की साठगांठ है। अब इस मामले में जांच होगी तो यह भी निकल कर सामने आएगा कि यह माल किसका था।

कदम-कदम पर लापरवाही

2011-12 से यह लिखा जाता रहा है कि एक्साइज पॉलिसी के तहत डिस्टलरी में कैमरे लगाए जाएं, लेकिन न तो कैमरे लगे और जहां लगे भी वहां के कैमरों की फीड सरकार तक नहीं पहुंची। न ही सरकार ने कभी मानीटर किया कि उनके पास फीड क्यों नहीं आई। इस तरह की कार्यप्रणाली के कारण भी शराब घोटाला परवान चढ़ा। पता ही नहीं चला कि कितने ट्रक शराब निकली और कहां गई।

एसईटी ने की कई अधिकारियों से बात

इस मामले में एसईटी ने कई अधिकारियों से बात की है। मामले में आईपीएस जश्नदीप रंधावा से भी बात की गई है। उनके अलावा प्रतीक्षा गोदारा और शेखर विद्यार्थी से बात की गई है। इन तीन अधिकारियों के अलावा प्रदेश में तैनात करीब हर एक डीईटीसी से बात की गई है। सभी अधिकारियों से बातचीत के बाद एसईटी इस निष्कर्ष पर पहुंची है कि हरियाणा में लाकडाउन के दौरान शराब तस्करी धड़ल्ले से हुई।