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Monday, April 27, 2020

अमेरिका मे म्हारी बेटी कोरोना से जीती, अब मरीजो की जान बचाने मे जुटी

स्पेशल स्टोरी (हेमंत) डॉ. पूजा का कहना है कि भारत के मुकाबले अमेरिका में स्वास्थ्य सेवाएं बहुत एडवांस हैं, फिर भी यहां कंट्रोल करना मुश्किल हो रहा है। सात समुंदर पार अमेरिका के न्यू जर्सी में म्हारी रोहतक सेक्टर - 1 की डॉक्टर बेटी कोरोना के खिलाफ जंग जीत गई है। 10 से 12 दिन डॉक्टर पूजा भाटिया ने खुद को घर पर क्वारंटीन रखा और लगातार प्राणायाम से फेफड़ों को एक्टिव रखा और साथ ही लिक्विड लेने पर जोर दिया। अब पूजा पूरी तरह ठीक है और मरीजों का उपचार करने के लिए फिर से अस्पताल जाने लगी है।
डॉ. पूजा का कहना है कि भारत के मुकाबले अमेरिका में स्वास्थ्य सेवाएं बहुत एडवांस हैं, फिर भी यहां कंट्रोल करना मुश्किल हो रहा है। भारत के लोग लॉकडाउन आईसालेशन का पालन करें नहीं तो हमारा देश बड़ी मुसीबत में फंस सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लॉकडाउन का जो फैसला लिया है, उसके लिए अमेरिका में भी मोदी की तारीफ हो रही है। मेरे देश के लोगों से कहना चाहूंगी कि लॉकडाउन और सरकार जो भी हिदायतें दें उन्हें अपनाएं, नहीं तो हालात काबू से बाहर होने में वक्त नहीं लगेगा। लॉकडाउन का पालन किया तो मुझे उम्मीद है कि भारत कोरोना पर विजय हासिल कर लेगा।
डॉ. पूजा के पिता सेक्टर-एक निवासी अमरनाथ भाटिया जिला अदालत में सीनियर वकील हैं। जबकि उनके बेटे विशाल भाटिया प्रदेश सरकार के ट्रिब्यूनल में एडवोकेट के तौर पर शामिल हैं। पूजा ने 10 वीं तक की पढ़ाई रोहतक के डी पार्क स्थित विद्या निकेतन स्कूल से की है। बाद में उसका महाराष्ट्र स्थित औरंगाबाद के मेडिकल कालेज में दाखिला हो गया। 1996 में एक साल तक पूजा ने पीजीआईएमएस में इंटनर्शिप की। पूजा का विवाह दिल्ली निवासी समीर मल्होत्रा से हुआ गया, जो यूएसए में इंजीनियर है। शादी के बाद 2003 में पूजा भी न्यू जर्सी चली गई। वहीं पर उसने मेडिकल की पढ़ाई पूरी की, अब वहां पर पूजा सीनियर नेफ्रोलॉजिस्ट है। 

मरीजों का उपचार करते समय वह भी कोरोना पॉजिटिव हो गई। उसने 10 दिन तक खुद को घर पर आइसोलेट रखा। मलेरिया के लिए प्रयोग की जाने वाली दवा हाइड्रॉक्सी क्लोरोक्विन भी ली।
क्योंकि कोराना फेफड़ों के अंदर हवा जाने से रोकता है। ऐसे में कोरोना संक्रमित व्यक्ति को प्राणायाम करना चाहिए। माना जा रहा है कि यह कम तापमान में ज्यादा सक्रिय होता है। इस समय न्यू जर्सी में 15 से 20 डिग्री तक तापमान है, जबकि भारत में गर्मी के मौसम के चलते तापमान दोगुणा है। भारत में केस भी यूएसए के मुकाबले कम हैं। हालांकि पूजा ने कहा कि कोरोना की अभी कोई विश्वसनीय दवा नहीं बनी है, क्योंकि यह नया वायरस है|

प्लाज्मा डोनेट कर रही 
डॉ. पूजा भाटिया मल्होत्रा ने खुद को तो कोरोना से मुक्त कर लिया, लेकिन दूसरों के लिए जीने की भारतीय संस्कृति को नहीं छोड़ा। ठीक होने के बाद वे अस्पताल आई तो उन्होंने कोरोना के मरीजों को अपनी एंटी बॉडी से प्लाज्मा डोनेट करके उनके इलाज में मदद की। 
न्यूजर्सी के प्राइवेट अस्पताल में डॉक्टर

वो न्यूजर्सी के एक प्राइवेट अस्पताल में जॉब करती हूं, यहां अमेरिकी लोगों के अलावा कुछ इंडियन भी इलाज के लिए आए हैं। मेरा यही कहना है कि प्रधानमंत्री की हिदायतों और भारत में बनाए गए नियमों का पालन करें तो सुरक्षित रहेंगे। -डॉ. पूजा, न्यूजर्सी के अस्पताल से 

ठीक होने की दर 80 प्रतिशत 
उनकी साथी डॉक्टर का जन्म यूएसए में ही हुआ था। कोरोना के कारण उसने दम तोड़ दिया। उसे नहीं बचा पाने का दर्द हमेेशा रहेगा| डॉ. पूजा ने बताया कि अमेरिका में जितने मरीज कोरोना से संक्रमित होते हैं, उनमें 80 प्रतिशत ठीक हो जाते हैं, जबकि वेंटिलेटर पर आने वाले मरीजों में कुल 20-25 प्रतिशत ही ठीक हो पाते हैं। यहां मरीजों की संख्या इतनी ज्यादा है कि हालात बिगड़े हुए हैं।
 पीजीआई में इंटर्नशिप
 डॉ. पूजा ने सेक्टर-1 के एडवोकेट अमरनाथ भाटिया की बेटी हैं। पूजा ने औरंगाबाद से एमबीबीएस की है। पीजीआई में इंटर्नशिप करने के बाद अमेरिका चली गई। डॉ. पूजा के पति सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं।

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