(मनवीर)दिल्ली- सूत्सरों से मिली जानकारी के अनुसार सरकार लोगों को बेहतर बिजली देना चाहती है। इसके लिए सरकार कई तरह के बिजली सुधारों और विद्युत अधिनियम में संशोधन करने की दिशा में आगे बढ़ रही है। इसके लिए केंद्र सरकार की ओर से विद्युत अधिनियम संशोधन बिल 2020 का मसौदा तैयार किया गया है। केंद्र ने यह ड्राफ्ट देश के विभिन्न राज्यों समेत हरियाणा सरकार को भी भेजा है और 5 जून तक हरियाणा सरकार से इस ड्राफ्ट पर सुझाव मांगे हैं।
इस ड्राफ्ट में लोगों को बेहतर बिजली देने की दिशा में जहां कहीं तरह के सुधार प्रस्तावित हैं। वहीं बिजली अधिनियम के तहत राज्य विद्युत विनियामक आयोग की सिफारिशों का पालन न करने पर बिजली कंपनियों पर लगने वाले जुर्माने की दरों को भी बढ़ाने की तैयारी की जा रही है।
जुर्माना संबंधी इस मसौदे में विद्युत अधिनियम के प्रावधानों और आयोग के आदेशों का अनुपालन सुनिश्चित करने के उद्देश्य से दंडात्मक कार्रवाई के रूप में अधिक जुर्माना लगाए जाने हेतु विद्युत अधिनियम की धारा 142 और 146 में संशोधन का प्रस्ताव किया गया है। केंद्रीय विद्युत विनियामक आयोग के चेयरमैन प्रदीप कुमार पुजारी इस संदर्भ में वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये हरियाणा समेत सभी प्रदेशों के राज्य विद्युत विनियामक आयोगों के अध्यक्षों के साथ इस संशोधन बिल मसौदे पर चर्चा करेंगे।
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अक्षय ऊर्जा की बाध्यता पूरी न करने पर भी लगेगा जुर्माना
इस ड्राफ्ट में सभी राज्यों में अक्षय और पनबिजली को बढ़ावा के संदर्भ में राष्ट्रीय अक्षय ऊर्जा नीति के तहत ऊर्जा के अक्षय स्रोतों से बिजली के उत्पादन के विकास और प्रोत्साहन के लिए एक पॉलिसी डॉक्यूमेंट उपलब्ध कराने का प्रस्ताव किया गया है। आयोगों द्वारा ऊर्जा के पनबिजली स्रोतों से बनी बिजली की न्यूनतम प्रतिशत खरीद का उल्लेख करने का भी प्रस्ताव किया गया है। इसी के तहत अक्षय ऊर्जा के स्रोतों से बनी बिजली खरीदने की बाध्यता पूरी नहीं करने वालों पर जुर्माना लगाए जाने का प्रस्ताव किया जा रहा है।
आयोग के अध्यक्षों की चयन प्रक्रिया भी सेंट्रलाइज्ड होगी
केंद्र हो या राज्य यहां बिजली विनियामक आयोगों अध्यक्षों एवं चेयरमैन के चयन के लिए कई तरह की चयन समितियों की व्यवस्था को भी खत्म करने की तैयारी की जा रही है। इस सिस्टम को सेंट्रलाइज्ड किया जाएगा। वर्तमान विद्युत अधिनियम के तहत केंद्रीय और राज्य आयोग के अध्यक्ष व अन्य सदस्यों की नियुक्ति के लिये कई चयन समितियों का गठन करना पड़ता है।
इस मसौदे में केंद्र और राज्य आयोग के अध्यक्ष तथा अन्य सदस्यों की नियुक्ति हेतु एक चयन समिति की व्यवस्था का प्रस्ताव किया गया है। साथ ही केंद्र और राज्य विद्युत विनियामक आयोगों के अध्यक्षों और अन्य सदस्यों की नियुक्ति हेतु सामान पात्रता मानदंडों को स्थापित करने का प्रस्ताव किया गया है। ये संशोधन हुआ तो राज्य विद्युत विनियामक आयोग के चेयरमैन व सदस्यों की नियुक्ति में राज्य सरकारों का कोई खास हस्तक्षेप नहीं रहेगा।
अपीलें जल्द निपटेंगी, न्यायाधिकरण मजबूत बनेगा
बिजली संबंधी मामलों में उपभोक्ताओं एवं बिजली कंपनियों द्वारा की जाने वाली अपीलों का जल्द निपटारा हो। इसके लिए भी संशोधन बिल में बदलाव की तैयारी है। इस मसौदे में अपीलीय न्यायाधिकरण के अध्यक्ष के अतिरिक्त न्यायाधिकरण की क्षमता को 7 सदस्यों तक बढ़ाने का सुझाव दिया गया है। जिससे मामलों के त्वरित निस्तारण हेतु कई पीठों की स्थापना की जा सके। साथ ही न्यायाधिकरण के फैसलों के अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिये इसे और अधिक सशक्त बनाने का प्रस्ताव भी किया गया है।
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