शराब घोटाले की जांच के लिए खेमका का नाम हटाया, राजनितिक दंगल के बीच गुप्ता बने SIT प्रधान
चंडीगढ़, [मनोज]। हरियाणा के खरखौदा में हुए शराब घोटाले पर घमासान तेज हो गया है। जांच के लिए गठित एसआइटी की फाइल मुख्यमंत्री कार्यालय को मंजूरी मिल गई है। मुख्यमंत्री कार्यालय ने एसआइटी प्रमुख का नाम तय कर दिया। वरिष्ठ आइएएस अधिकारी टीसी गुप्ता को एसआइटी का प्रमुख बनाया गया है। सरकार ने तीन सदस्यीय कमेटी गठित की है। कमेटी में आबकारी विभाग से जुड़े एक अधिकारी और एक आइपीएस अधिकारी को भी शामिल किया गया है। गृह मंत्री अनिल विज ने कमेटी के नाम सीएम को सिफारिश के लिए भेजे थे। मुख्यमंत्री ने एसआइटी केे प्रधान के लिए सीनियर आइएएस अफसर डॉ: अशोक खेमका का नाम खारिज कर दिया।
ज्ञात है कि गृह मंत्री अनिल विज ने तेज तर्रार आइएएस अधिकारी डा. अशोक खेमका, सीनियर आइइएस अधिकारी संजीव कौशल और टीसी गुप्ता के नाम एसआइटी प्रमुख के लिए सीएम के पास भेजे थे। इनमें से कोई एक नाम तय किया जाना था। एसआइटी के बाकी दो नाम एडीजीपी सुभाष यादव और आबकारी एवं कराधान विभाग के एडीशनल आयुक्त विजय सिंह के थे। दूसरी ओर, जब्त शराब को तस्कर माने जा रहे व्यक्ति के गोदाम में रखने पर सवाल उठ रहे हैं।
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कई ऐसे सवाल, जिनकी तह में पहुंचना जरूरी: अनिल विज
''खरखौदा में शराब चोरी का जो मामला है, यह एक बहुत बड़ा घोटाला है। इसकी जड़ें बहुत गहरी नजर आती हैं। कौन-कौन इसमें जुड़ा हुआ था, कहां-कहां शराब जाती थी, कहां से आती थी, किस प्रदेश से आती थी और कौन-कौन से अधिकारी उसमें शामिल हैं, ऐसे बहुत सारे सवालों की गहराई से जांच होने की आवश्यकता है। इसके लिए एसआइटी बनाने का अनुरोध किया गया है, जिसमें सीनियर आइपीएस सुभाष यादव, एक्साइज विभाग से एडीशनल एक्साइज एंड टैक्सेशन कमिश्नर विजय सिंह और तीन वरिष्ठ आइएएस अधिकारियों के नाम दिए गए थे। इनमें अशोक खेमका, संजीव कौशल और टीसी गुप्ता का नाम मुख्यमंत्री को भेजा गए थे। इस मसले की गहराई तक जाएगी। रही जिला स्तर पर जांच टीम बनाने की काम, पुलिस की जांच अपने स्तर पर होगी और एसआइटी की जांच अलग।
- अनिल विज, गृह मंत्री, हरियाणा।
यह शराब चोरी का मामला, राजस्व चोरी का नहीं: दुष्यंत चौटाला
'' जब डिस्टलरी से शराब निकलती है, तो उसकी एक्साइज ड्यूटी पेड हो जाती है। उसके बाद वह कहीं भी जाए तो उसमें हरियाणा को राजस्व को नुकसान नहीं हो सकता। सोनीपत के खरखौदा के गोदाम से शऱाब चोरी होने का जो मामला है, वहां पुलिस तैनात हुई थी और गोदाम में जब्त की हुई शराब थी। जब्त की गई शराब की इस चोरी से आबकारी विभाग का कोई सरोकार नहीं है। यह सारा मामला आपराधिक प्रवृत्ति का है तथा यह पुलिस की जांच के दायरे में है। हरियाणा में शराब बिक्री की न्यूनतम दर तय है। अधिकतम दरें तय नहीं है। न्यूनतम दर पर राजस्व फैक्ट्री से शराब निकलते ही ले लिया जाता है। उसके बाद ठेकेदार उसे किसी भी रेट पर बेच सकता है। यह ठेकेदारों के बीच आपसी प्रतिस्पर्धा पर निर्भर करता है। हालांकि हमारी सरकार ने हाल ही में जो शराब के रेट बढ़ाए हैं, वह दूसरे राज्यों की अपेक्षा काफी कम बढाए हैं। इन बढ़े रेट से कोई खास फर्क नहीं पडऩे वाला है। शराब की चोरी की हालांकि गहराई से जांच होनी चाहिेए, लेकिन सरकार को किसी तरह का राजस्व का नुकसान हुआ है, ऐसा नहीं है।
- दुष्यंत चौटाला, उपमुख्यमंत्री, हरियाणा।
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शराब घोटाले की जांच को लेकर राजनितिक दंगल
फ़िलहाल इस पुरे मामले मे दुष्यंत और विज आमने सामने होते नजर आ रहे है, लेकिन ये जनता है कि सब घोल मोल जानती भी है पहचानती भी है, और सबकुछ जानकार भी अनजान से बनी सारे खेल को देखती रहती है | इस खेल अभी देखते है निष्कर्ष क्या होता है क्या SIT कुछ निकाल पाएगी या कुछ दिन मामले को ठन्डे बस्ते मे डाल दिया जाएगा| लेकिन अब तक चली तनातनी से ये तो स्पष्ट है गड़बड़ तो कही जरुर है, लेकिन अब देखते है कि इस गड़बड़ के पीछे के खेल को कब और कैसा दिखा कर उजागर किया जाता है |
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