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Thursday, May 14, 2020

महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय कैंपस शमशान भूमि बनाने की बजाय अब बनेगे तीन हॉस्टल क्वारंटाइन सेंटर

(विनय) रोहतक - कई दिन की जद्दोजहद के बाद आखिरकार महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय प्रशासन ने यूनिवर्सिटी समुदाय को कैम्पस में क्वारंटीन सेंटर बनाने के लिए सहमत कर लिया। बुधवार को दो घंटे तक हुई कमेटी की बैठक के बाद निर्णय लिया गया कि यूनिवर्सिटी के इंटरनेशनल, स्पोर्टस और ट्रांजिट हॉस्टल में जिला प्रशासन क्वारंटीन सेंटर बना सकता है। मीटिंग में तय किया गया कि कवारंटीन सेंटरों में आने-जाने के लिए जिला प्रशासन की आवाजाही केवल गेट नम्बर एक से होगी। 
इसके लिए गेट को खोल दिया जाएगा। यह गेट विश्वविद्यालय के सुरक्षा को मध्यनजर रखते हुए गत 25 मार्च से बंद किया हुआ है। लगभग पौने दो महीने से गेट नम्बर तीन से विश्वविद्यालय स्टाफ आ जा रहा है। किसी भी बाहरी व्यक्ति का यूनिवर्सिटी कैम्पस में अभी तक प्रवेश निषेध किया हुआ है। यहां तक विश्वविद्यालय समुदाय को रोजमर्रा की चीजें भी होल डिलिवरी करवाई जा रही हैं। कमेटी ने कहा कि सामाजिक दायित्व पूरा करने के लिए यूनिवर्सिटी में कवारंटीन सेंटर बनाने की अनुमति गई है।

किया जा रहा था विरोध 

जिला प्रशासन द्वारा विश्वविद्यालय के हॉस्टलों को कवारंटीन सेंटर बनाने का शिक्षक और गैर शिक्षक कर्मचारी संघ लगातार विरोध किया जा रहा था। दोनोें संगठन का कहना था कि कैम्पस में क्वारंटीन सेंटर बनाने से यहां रहे रहे लोगों की सुरक्षा पर प्रश्नचिह्न लग जाएंगे। संगठनों के पदाधिकारी ने कहा था कि पौने दो महीने की कड़ी मेहनत से ही कैम्पस कोविड-19 के संक्रमण पूरी तरह से बचा हुआ है।

दो-तीन दिन पहले संगठन के पदाधिकारियों और सदस्यों ने कवारंटीन सेंटर बनाने के विरोध में कुलपति आवास पहुंचकर विरोध जताया। लेकिन कुलपति प्रो. राजबीर सिंह और कुल सचिव प्रो. गुलशन लाल तनेजा ने बड़ी मुश्किल से कर्मचारियों को समझाया कि उनकी सुरक्षा पर किसी भी रूप आंच नहीं आने दी जाएगी। लेकिन देश-दुनिया कोरोना से जूझ रही है। ऐसे यूनिवर्सिटी प्रशासन की सामाजिक जिम्मेदारी बनती है कि संकट की इस घड़ी में रोहतक प्रशासन का सहयोग किया जाए। 

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जिला प्रशासन द्वारा कवारंटीन सेंटर के लिए जगह मांगने को लेकर जब विवाद हुआ तो विश्वविद्यालय प्रशासन ने डीएसडब्ल्यू प्रो. राजकुमार की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन कर दिया था। इस कमेटी में विश्वविद्यालय के प्रोक्टर प्रो. एससी मलिक, शिक्षक संघ के प्रधान डॉ. विकास सिवाच, गैर शिक्षक के प्रधान कुलवंत मलिक, सुरक्षा इंचार्ज प्रो. रणदीप राणा, चीफ वार्डन ब्याॅज एंड गर्ल्ज बतौर सदस्य शामिल किए गए। इस कमेटी ने ही बुधवार को दो घंटे तक मंथन करने के बाद कवारंटीन सेंटर बनाने की सिफारिश एमडीयू प्रशासन को की। 

वीसी ने डीसी का जताया आभार

 एमडीयू की जमीन में कोविड-19 के मृतकों के लिए शमशान मुर्कर करने के आदेश डीसी आरएस वर्मा द्वारा रद करने पर कुलपति प्रो. राजबीर सिंह ने उपायुक्त का आभार जताया है। कुलपति ने कहा कि शिक्षण संस्थानों में शमशान भूमि बनाने का शिक्षा जगत में गलत संदेश जाता, उससे पहले डीसी ने आदेशों को वापस कर लिया। वीसी प्रो. राजबीर सिंह ने कहा कि वैसे भी शिक्षण संस्थाओं में शमशान भूमि बनाना कभी भी शोभा भी नहीं देता।

 बिजली-पानी मुहैया करवाएगा

 मदवि इंटरनेशनल, स्पोर्टस और ट्रांजिट हॉस्टल में केवल बिजली-पानी मुहैया करवाएगा। यहां ठहरने वाले लोगों की खाने-पीने समेत दूसरी व्यवस्थाओं की जिम्मेदारी जिला प्रशासन की रहेगी। विश्वविद्यालय ने यह भी साफ कर दिया है कि गेट नम्बर के अलावा किसी भी दूसरे गेट से कवारंटीन सेंटर में आने-जाने नहीं दिया जाएगा। हर रोज कवारंटीन लोगों की रिपोर्ट जिला प्रशासन, यूनिवर्सिटी को सौंपेगा। 

यह रूट होगा कवारंटीन सेंटर तक जाने का 

विश्वविद्यालय एक नम्बर गेट से कवारंटीन की इंट्री होगी। यहां से गाड़ी बायीं तरफ यूआईईटी की तरफ मुड़ेगी। करीब 200 फीट चलने के बाद फिर दायीं और मुड़ेगी। यह रोड सीधा कवारंटीन सेंटर तक पहुंचेगा। क्वारंटीन का चिकित्सा स्टाॅफ भी इस रूट से कवारंटीन सेंटर जाएगा। बताया जा रहा है कि पीजीआईएमएस ने अपने चिकित्सा स्टॉफ के लिए एमडीयू का फैकल्टी देने को कहा था। लेकिन विश्वविद्यालय की कमेटी फैकल्टी हाउस देने से साफ इंकार कर दिया है। प्रो. राजकुमार की अध्यक्षता में गठित कमेटी का तर्क है कि फैकल्टी हाउस आवासीय क्षेत्र के ठीक बीच में है। इसलिए डॉक्टरों के ठहरने के लिए फैकल्टी हाउस बिल्कुल भी नहीं दिया जाएगा। इससे विश्वविद्यालय समुदाय की जिंदगी दांव पर लग जाएगी।

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