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Friday, May 8, 2020

विश्व रेडक्रॉस दिवस पर प्रदेशभर में आयोजित हुए ब्लड कैम्प शिविर

(संजय) स्पेशल स्टोरी- 8मई पुरे विश्व मे रेडक्रॉस दिवस के रूप मे मनाया जाता है, लॉकडाउन के चलते प्रदेशभर के अस्पतालों मे खून की कमी हो रही थी | इसी समस्या को देखते हुए आज विश्व रेडक्रॉस दिवस पर प्रदेशभर में ब्लड कैम्प शिविरो का आयोजन हुआ| हर जिला मुख्यालय पर रेड क्रॉस द्वारा ब्लड कैम्पों का आयोजन सोशल डिस्टेंस के साथ किया गया ताकि लॉकडाउन के समय रेडक्रॉस अपने मूल उद्देश्य को रूप दे सके | आज हम आपको रेडक्रॉस व रेडक्रॉस के बारे विस्तार से बताते है 

विश्व रेडक्रॉस दिवस  ही है  अन्तर्राष्ट्रीय स्वंयसेवक दिवस
विश्व रेडक्रॉस दिवस (अंग्रेज़ी: World Red Cross Day) अन्तर्राष्ट्रीय स्वंयसेवक दिवस के रूप में मनाया जाता है। लगभग 150 वर्षों से पूरे विश्व में रेडक्रॉस के स्वंय सेवक असहाय एवं पीड़ित मानवता की सहायता के लिए काम करते आ रहे हैं। भारत में वर्ष 1920 में पार्लियामेंट्री एक्ट के तहत भारतीय रेडक्रॉस सोसायटी का गठन हुआ, तब से रेडक्रॉस के स्वंय सेवक विभिन्न प्रकार के आपदाओं में निरंतर निस्वार्थ भावना से अपनी सेवाएं दे रहे हैं। अन्तर्राष्ट्रीय रेडक्रॉस ने इस वर्ष अन्तर्राष्ट्रीय रेडक्रॉस का 'Find the Volunteer in side you' (अपने अन्दर के स्वयं सेवक को पहचानें) का नारा दिया है। विश्व के लगभग दो सौ देश किसी एक विचार पर सहमत हैं तो वह है रेडक्रॉस के विचार। युद्ध के मैदान में घायल सैनिकों की चिकित्सा के साथ प्रकृति के महाविनाश के बीच फंसे लोगों की मदद के लिए हमेशा डटा रहता है रेडक्रॉस।

इंटरनैशनल कमिटी ऑफ द रेड क्रॉस (आईसीआरसी) की स्थापना 1863 में हुई थी। यह संगठन सशस्त्र हिंसा और युद्ध में पीड़ित लोगों एवं युद्धबंदियों के लिए काम करती है। यह उन कानूनों को प्रोत्साहित करती है जिससे युद्ध पीड़ितों की सुरक्षा होती है। इसका मुख्यालय जिनीवा स्विटजरलैंड में है। आईसीआरसी को दुनिया भर की सरकारों के अलावा नैशनल रेड क्रॉस और रेड क्रिसेंट सोसायटीज की ओर से फंडिंग मिलती है।


एक भयावह युद्ध से आया रेड क्रॉस का आइडिया
स्विटजरलैंड के एक उद्यमी थे जॉन हेनरी डिनैंट। 1859 में वह फ्रांस के सम्राट नेपोलियन तृतीय की तलाश में गए थे। उन दिनों अल्जीरिया पर फ्रांस का कब्जा था। डिनैंट को उम्मीद थी कि अल्जीरिया में व्यापारिक प्रतिष्ठान खोलने में नेपोलियन उनकी मदद करेंगे। लेकिन डिनैंट को सम्राट नेपोलियन से मिलने का मौका नहीं मिला। इसीबीच वह इटली गए जहां उन्होंने सोल्फेरिनो का युद्ध देखा। एक ही दिन में उस युद्ध में 40,000 से ज्यादा सैनिक मारे गए और घायल हुए। किसी भी सेना के पास घायल सैनिकों की देखभाल के लिए चिकित्सा कोर नहीं थी। डिनैंट ने स्वंयसेवकों के एक समूह को संगठित किया। उनलोगों ने घायलों तक खाना और पानी पहुंचाया। घायलों का उपचार किया और उनके परिवार के लोगों को पत्र लिखा। इस घटना के 3 साल बाद डिनैंट ने अपने इस दुखद अनुभव को एक किताब के रूप में प्रकाशित किया। किताब का नाम था 'अ मेमरी ऑफ सोल्फेरिनो'। उन्होंने युद्ध के भयावह दृश्य के बारे में पुस्तक में लिखा था। उन्होंने बताया कि कैसे युद्ध में अपने अंगों को गंवाने वाले लोग कराह रहे थे। उनको मरने के लिए छोड़ दिया गया था। पुस्तक के अंत में उन्होंने एक स्थायी अंतरराष्ट्रीय सोसायटी की स्थापना का सुझाव दिया था। ऐसी सोसायटी जो युद्ध में घायल लोगों का इलाज कर सके। ऐसी सोसायटी जो हर नागरिकता के लोगों के लिए काम करे। उनके इस सुझाव पर अगले ही साल अमल किया गया।

चंदन ने किया 50 वी बार रक्तदान
हरियाणा के दिल मे बसे राजनितिक राजधानी जींद के चन्दन ने आज विश्व रेडक्रॉस दिवस पर स्वेच्छा से 50वी बार रक्तदान कर मिशाल पेश की | इस अवसर पर हरियाणा बुलेटिन न्यूज़ से ख़ास बात चित मे बताया कि जब पहली बार रक्तदान किया था तो मन मे डर था लेकिन रक्तदान के बाद जिस ख़ुशी व जिम्मेवारी का एहसास हुआ उसके बाद मन तो करता है हर रोज रक्तदान किया जाए | लेकिन हर तीसरे महीने ये सुखद अनुभव मे नही छोड़ता और देश के युवाओ से आग्रह करता हु कि एक बार रक्तदान करके तो देखो, फिर आपकी अंतरात्मा आपको स्वय प्रेरित करेगी|

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