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Sunday, June 21, 2020

सूर्य ग्रहण कब और कैसे जानिए ज्योतिषाचार्य दिलीप देव द्विवेदी जी से

सूर्य ग्रहण एक खगोलीय घटना है जिसका ज्योतिष में भी बड़ा महत्व है। खगोल विज्ञान के अनुसार, जब चंद्रमा अपने कक्षीय पथ में आगे बढ़ते हुए पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाता है और चंद्र की छाया पृथ्वी पर पड़ती है या दूसरे शब्दों में कहा जाए तो सूर्य की किरणें पृथ्वी तक नहीं पहुंच पातीं तो इस घटना को सूर्य ग्रहण कहा जाता है।इस घटना को अंग्रेजी में सोलर एक्लिप्स (Solar Eclipse) कहा जाता है। वैदिक ज्योतिष, सूर्य ग्रहण की घटना के दौरान सावधान रहने की सलाह देता है क्योंकि ग्रहण के समय नकारात्मक ऊर्जा सक्रिय हो जाती है जिसके परिणाम बुरे होते हैं।वैदिक ज्योतिष में सूर्य को व्यक्ति की आत्मा, मन और पिता का कारक माना जाता है। कुंडली में राहु और केतु के साथ सूर्य की स्थिति ग्रहण दोष का निर्माण करती है। अत: जातक को राहु-केतु के प्रभाव से प्रतिकुल प्रभाव मिल सकते हैं। 

सूर्य ग्रहण का यह होगा प्रभाव 

सूर्य ग्रहण के दौरान 6 ग्रह एक साथ वक्री अवस्था में होंगे। वक्री का मतलब होता है ग्रहों की उल्टी चाल जिसका सीधा असर मानव समाज पर पड़ेगा। ज्योतिष गणना के अनुसार इसका प्रभाव मिला जुला रहेगा।  इस सूर्य ग्रहण में बड़ी-बड़ी प्राकृतिक आपदाएं आने के संकेत मिल रहे हैं। आंधी तूफान महामारी आदि से जीवन अस्त-व्यस्त हो सकता है। इस ग्रहण के प्रभाव स्वरूप देश व दुनिया में पड़ोसी देशों में  आपसी तनाव, अप्रत्यक्ष युद्ध, महामारी, किसी बड़े नेता की हानि, राजनीतिक परिवर्तन, हिंसक घटनाओं में इजाफा, आर्थिक मंदी आदि पनपने के संकेत हैं।इस साल 24 जनवरी से शनि मकर राशि में गोचर है और मई से शनि की उल्टी चाल भी शुरू हो चुकी है। हालांकि सितंबर माह में केतु के राशि परिवर्तन और गुरु के साथ शनि के मार्गी हो जाने से हालातों में सुधार आने की भी संभावना है।सितंबर के आखिरी सप्ताह में देश में हालात पूरी तरह से अनुकूल हो सकते हैं और इस संक्रमण से मुक्ति मिलने के आसार हैं।

ग्रहण और  सूतक का समय

21 जून 2020, रविवार आषाढ़ कृष्ण अमावस्या के दिन सूर्यग्रहण भारत में खंडग्रास के रूप में दिखाई देगा।ग्रहण की अवधि 09:15:58 से 15:04:01 तक है, यह सूर्य ग्रहण भारत के साथ-साथ साउथ ईस्ट यूरोप, हिंद महासागर, प्रशांत महासागर, अफ्रीका और अमेरिका के कुछ भागों से  देखा जा सकता है।सूर्य ग्रहण से 12 घंटे पहले यानि 4 पहर पहले सूतक काल शुरु हो जाता है। शास्त्रों के अनुसार इस समय काल में किसी भी तरह का शुभ काम नहीं करना चाहिए।साल 2020 में घटित होने वाला पहला सूर्य ग्रहण भारत में भी दिखाई देगा इसलिये सूतक का असर भारत के लोगों पर भी पड़ेगा।

सूतक काल शुरु    10:30  21 जून को 
सूतक काल समाप्त    02:04,  21 जून को 

सूर्य ग्रहण  के दौरान बरतें यह सावधानियां 

• सूर्य ग्रहण को आंखों पर बिना किसी सुरक्षा के नहीं देखना चाहिए। ग्रहण के दौरान आपको अपनी आंखों पर ग्रहण के दौरान प्रयोग किये जाने वाले चश्में लगाने चाहिए। इसके अलावा सामान्य दर्पण या तस्तरी में पानी डालकर सूर्य ग्रहण को देखा जाना चाहिए।

• सूर्य ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को तेज किनारों वाली वस्तु जैसे, चाकू, छुरी का प्रयोग नहीं करना चाहिए। 

• ग्रंथों के अनुसार सूतक काल में पूजा पाठ और देवी देवताओं की मूर्तियों को भी छूने की मनाही है। इस दौरान कोई शुभ काम शुरू करना अच्छा नहीं माना जाता। 

• ग्रहण से पहले तोड़कर रखा हुआ तुलसी पत्र ग्रहण काल के दौरान खाने से अशुभ असर नहीं होता।

• ग्रहण के दौरान आप आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं।

• ग्रहण के बुरे प्रभावों से बचने के लिये महा मृत्युंजय मंत्र का जाप करें। 

• नीचे दिये गये मंत्र का जाप करना भी आपके लिये अच्छा रहेगा। 

मंत्र- "ॐ आदित्याय विदमहे दिवाकराय धीमहि तन्न: सूर्य: प्रचोदयात" 

ग्रहण का किस राशि पर शुभ-अशुभ प्रभाव रहेगा


मेष - सफलता के संकेत ,पद-सम्मान की प्राप्ति।
 वृषभ : व्यापार , धन, यश में हानि ।
मिथुन : पति-पत्नी को कष्ट । दुघर्टना,  चोट, भय, चिन्ता की आशंका रहेगी ।
कर्क : चोट की आशंका, संपत्ति के मामले में हानि हो सकती है ।
सिंह - कहीं से लाभ प्राप्त होने के संकेत हैं। 
कन्या : भूमि और मातृ पक्ष से कष्ट ।
 तुला - वाणी पर नियंत्रण रखें। झगड़ा हो सकता है। 
 वृश्चिक : शत्रु  से परेशानी। 
धनु : स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखना होगा, जीवनसाथी को कष्ट।
मकर : व्यय की अधिकता रहेगी ।
कुंभ - जीवन में चिंता बढ़ सकती है। तनाव व मानसिक परेशानी। 
मीन : राजपक्ष से उलझनों का सामना  करना पड़ सकता है ।

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