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Friday, July 17, 2020

मत्सय विभाग में बड़ी गड़बड़ी प्रमोशन के लिए लीं फर्जी डिग्रिया

मत्सय विभाग में बड़ी गड़बड़ी प्रमोशन के लिए लीं फर्जी डिग्रिया


ड्यूटी करते-करते तमिलनाडु और राजस्थान से कर आए मास्टर डिग्री विभाग के 14 अधिकारियों के खिलाफ केस दर्ज प्रमोशन से पहले डिग्रियों की जांच विजिलेंस ने की


यमुनानगर : प्रमोशन पाने के लिए मत्स्य पालन विभाग के 14 अधिकारियों ने फर्जी डिग्रियां ले लीं। इनके आधार पर विभाग से प्रमोशन भी मांग ली, लेकिन प्रमोशन से पहले ही इनका फर्जीवाड़ा पकड़ा गया। इन्होंने तमिलनाडु और राजस्थान में जाकर मास्टर डिग्री ऑफ जूलॉजी की। इस दौरान ये विभाग में ड्यूटी भी करते रहे। बिना किसी छुट्टी के ये 20 दिन क्लास अटेंंड्स करके भी कर आए और परीक्षा भी दे आए। विजिलेंस की जांच में इस फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है। विजिलेंस ने अब डिग्री देने वाली दो यूनिवर्सिटी समेत मत्स्य पालन विभाग के 14 अधिकारियों के खिलाफ केस दर्ज किया है।
विजिलेंस पंचकूला थाने में विजिलेंस इंस्पेक्टर सुरेश कुमार की शिकायत पर विनायक मिशन यूनिवर्सिटी तमिलनाडु, आईएएसई डीम्ड यूनिवर्सिटी राजस्थान, तत्कालीन मत्स्य अधिकारी पलवल धर्मेंद्र सिंह, जल-कृषि अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान हिसार के तत्कालीन मत्स्य अधिकारी जगदीश चंद्र, उप निदेशक मत्स्य अधिकारी गुड़गांव संजय यादव, तत्कालीन मत्स्य अधिकारी फतेहाबाद राजेश बैनीवाल, तत्कालीन ब्लॉक मत्स्य अधिकारी रोहतक अमित सिंह, तत्कालीन मत्स्य अधिकारी सिरसा बृजमोहन शर्मा, तत्कालीन व्यवसायिक मत्स्य लिपिक भिवानी कुलदीप सिंह, रिटायर्ड उप निदेशक मत्स्य पंचकूला राजेंद्र कुमार, तत्कालीन उप निदेशक मत्स्य पंचकूला महेंद्र सिंह, तत्कालीन मत्स्य अधिकारी अम्बाला रवि बठला, तत्कालीन मत्स्य अधिकारी भिवानी बलबीर सिंह, तत्कालीन मत्स्य अधिकारी हिसार मत्स्य फार्म प्रबंधक सुरेंद्र ठुकराल, तत्कालीन मत्स्य अधिकारी नारनौल सिकंदर सिंह पर केस दर्ज किया गया है।

यूनिवर्सिटी ने कहा- कैंपस में आ परीक्षा दी,अधिकारी बोले- केंद्रों पर जाकर दी
विजिलेंस की टीम ने यूनिवर्सिटी से जवाब मांगा। जवाब आया कि इन अधिकारियों और कर्मचारियों ने विवि से 2009 से 2014 तक शिक्षा ली। इन्हें इस शिक्षा के लिए सभी कार्य और प्रोग्राम में यूनिवर्सिटी कैंपस में आना पड़ा। वहीं, जबकि विजिलेंस को अपने बयानों में अधिकारियों ने कहा था कि विवि की ओर से संचालित केंद्रों से शिक्षा प्राप्त कर डिग्री ली है। विजिलेंस की टीम ने यूनिवर्सिटी ग्रांड कमिशन से भी इस संबंध में जानकारी ली। उन्होंने अपने जवाब में बताया कि विनायका यूनिवर्सिटी तमिलनाडु एक डीम्ड यूनिवर्सिटी है। इसे डिस्टेंस एजुकेशन मोड की शैक्षणिक अवधि के प्रोग्राम चलाने की मान्यता साल 2012 तक थी। मास्टर ऑफ साइंस जूलॉजी व अन्य प्रोग्राम की मान्यता 2011-2012 व 2013-2014 तक दी गई थी। आईएएसई डीम्ड यूनिवर्सिटी को लेकर कमिशन ने कहा कि इस डीम्ड विवि को किसी तरह टेक्निकल कोर्स चलाने की अनुमति नहीं दी है।

हालांकि इन्हें डिस्टेंस एजुकेशन काउंसिल की ओर से इसकी अनुमति 2005 तक व फिर 2007-08 तक दी थी, जबकि विजिलेंस ने जांच में पाया कि आईएएसई डीम्ड यूनिवर्सिटी से धर्मेंद्र सिंह व कुलदीप सिंह ने 2013-2014, 2014-2015 हरियाणा में संचालित पढ़ाई केंद्र और संजय यादव ने पटना में संचालित केंद्र पर शिक्षा प्राप्त कर डिग्री प्राप्त की। इसी तरह संजय व सिकंदर सिंह ने 2004-2005, 2005-2006 में आईएएसई डीम्ड यूनिवर्सिटी राजस्थान के हरियाणा में संचालित केंद्र से शिक्षा लेकर डिग्री ली। वहीं इस जांच में यह खुलासा हुआ कि यूनिवर्सिटी ग्रांड कमिशन और डिस्टेंस एजुकेशन काउंसिल के नियम अनुसार किसी भी यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के लिए माइग्रेशन सर्टिफ़िकेट जरूरी है, लेकिन यह नहीं लिया गया। 

ऐसे पकड़े गए


20 दिन क्लास लगाना जरूरी था, लेकिन किसी ने छुट्टी तक नहीं ली
विजिलेंस जांच में पर्सनल कंडक्ट प्रोग्राम प्रेक्टिकल क्लास यूनिवर्सिटी कैंपस में 20 दिन अटैंड की जानी होती है। हालांकि इन्होंने यूनिवर्सिटी के हरियाणा में संचालित केंद्रों पर क्लास अटेंड्स करने की बात कही है, लेकिन अधिकारी ने इतनी लंबी अवधी तक अवकाश नहीं लिया। कुछ ने 4 से 7 दिन का परीक्षा के दौरान अवकाश लिया है। वहीं, कुछ ने तो अवकाश नहीं लिया। महेंद्र सिंह ने तमिलनाडु में यूनिवर्सिटी कैंपस में जाकर परीक्षा देने की बात कही, जबकि इन्होंने कोई अवकाश नहीं लिया। इन्होंने एडमिशन के दौरान माइग्रेशन सर्टिफ़िकेट तक जमा नहीं कराया।

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