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Thursday, July 23, 2020

हाई कोर्ट का बड़ा व महत्‍वपूर्ण आदेश दुष्कर्म में डीएनए रिपोर्ट के नहीं मिलने से अपराधी निर्दोष नहीं

हाई कोर्ट का बड़ा व महत्‍वपूर्ण आदेश दुष्कर्म में डीएनए रिपोर्ट के नहीं मिलने से अपराधी निर्दोष नहीं

चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने दुष्‍कर्म के मामले में बुधवार को बड़ा व महत्‍वपूर्ण आदेश दिया। हाई कोर्ट ले स्पष्ट किया कि सामूहिक दुष्कर्म के मामले में डीएनए रिपोर्ट आरोपित के साथ मेल नहीं खाने पर यह निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता कि आरोपित व्यक्ति निर्दोष है।
हाई कोर्ट के जस्टिस विवेक पुरी ने यह आदेश हरियाणा के चरखी दादरी जिले से सामूहिक दुष्कर्म के एक मामले के आरोपित नवीन की जमानत याचिका खारिज करते हुए जारी किए। आरोपित ने हाई कोर्ट में  पोक्सो (यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण करने संबंधी अधिनियम),सामूहिक दुष्कर्म और संबंधित आरोपों के संबंध में जमानत की मांग की थी। 

आरोपित ने डीएनए न मिलने के आधार पर मांगी थी हाई कोर्ट से जमानत

4 मई 2018 को महिला पुलिस स्टेशन चरखी दादरी में पीडि़ता के पिता द्वारा की गई शिकायत के अनुसार,उनकी बेटी को 3 और 4 मई 2018 की रात को तीन व्यक्तियों द्वारा अगवा कर लिया गया था। बाद में, पीडि़ता ने अपने पिता को सूचित किया कि उसके साथ नवीन ने दुष्कर्म किया गया था और  दो अन्य लड़कों और उसने उसे मारने की धमकी दी। बाद में सभी आरोपितों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था।
जमानत याचिका में याचिकाकर्ता नवीन ने दलील दी कि जांच के दौरान वह निर्दोष पाया गया। याचिकाकर्ता द्वारा यह भी दावा किया गया था कि डीएनए रिपोर्ट उसके साथ मेल नहीं खाती। जमानत याचिका का कड़ा विरोध करते हुए हरियाणा सरकार व शिकायतकर्ता  की ओर से पेश वकील ने दलील दी कि यह सामूहिक दुष्कर्म का मामला है और पीडि़ता ने अपने खिलाफ सामूहिक दुष्कर्म के मामले के संबंध में गंभीर और स्पष्ट आरोप लगाए थे।
सभी पक्षों को सुनने के बाद हाई कोर्ट ने कहा कि केवल डीएनए रिपोर्ट का नहीं मिलना यह साहित नहीं करता कि आरोपित अपराध में शामिल नहीं था। पीडि़ता ने उसे पहचाना है और ट्रायल में अपने बयान दर्ज करवाए है। ऐसे में केवल डीएनए रिपोर्ट का सहारा लेकर अपने को निर्दोष साबित करने की आरोपित की मांग नहीं मानी जा सकती। ऐसे में हाई कोर्ट उसकी जमानत की मांग खारिज करता है। डीएनए रिपोर्ट का न मिलना उसे राहत का हकदार नहीं बना सकता।

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