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Wednesday, August 5, 2020

बरोदा उपचुनाव: भाजपा ने कृषि मंत्री जेपी दलाल को ही क्यों बनाया बरोदा चुनाव प्रभारी? इसके पीछे है ये राज

बरोदा उपचुनाव: भाजपा ने कृषि मंत्री जेपी दलाल को ही क्यों बनाया बरोदा चुनाव प्रभारी? इसके पीछे है ये राज

चौधरी बंसीलाल परिवार के साथ जुडकर पर्दे के पीछे रहकर वर्षों तक काम करने वाले जेपी दलाल में ऐसे कुछ विशेष गुण हैं जिनकी वजह से सरकार ने बरोदा चुनाव को लेकर उनका चयन किया है

 रोहतक : प्रदेश अध्यक्ष पद संभालने के बाद ओमप्रकाश धनखड संगठन से जुडे लोगों और केंद्रीय मंत्रियों से मेल मुलाकातों का दौर जारी रखे हुए। मनोहर लाल खट्टर सरकार के सामने एक बडी चुनौती बरोदा उपचुनाव सामने है और प्रदेश अध्यक्ष के रूप में ओमप्रकाश धनखड भी बरोदा चुनाव में पूरा जोर लगाने की तैयारी कर चुके हैं। बरोदा में सीधे सीधे मुकाबला मनोहर लाल खट्टर और भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बीच होने वाला है और ऐसे में भाजपा की तरफ से चुनाव प्रभारी की तलाश पूरी हुई है कृषि मंत्री जेपी दलाल के रूप में। आखिर धनखड को जेपी दलाल पर इतना भरोसा क्यों है? उनके चुनाव प्रभारी चुने जाने के पीछे ये कारण प्रमुख रहे हैं। खुद धनखड उनके कुशल प्रबंधन के कायल रहे हैं।

खुले हाथ के आदमी: बताते हैं कि भले ही वो जाट हों लेकिन दिमाग उन्होंने एक व्यापारी का पाया है। एक तरफ वो बहुत कंजूस हैं लेकिन जहां जरूरत होती है खुले हाथ से खर्च करते हैं। बताते हैं कि वो पाई पाई का हिसाब रखते हैं लेकिन पाई खर्च करने में खुला हाथ रखते हैं। एक सफल कारोबारी होने के साथ ही उन्होंने ये गुण भी विकसित कर लिया है वहीं उनकी टीम में बहुत सारे लोग ऐसे भी हैं जिन्हें पार्टी से कोई मतलब नहीं होता है, वो जहां जेपी होता है वहीं होते हैं। चौधरी धर्मबीर सिंह के बाद जेपी दलाल के पास ही संभवत सबसे बडी निजी टीम है। 
समीकरण बदलने के योद्धा: लोहारू हल्का श्योराण गौत्र का गढ है, ये बात जेपी दलाल भी बखूबी जानते थे इसके बावजूद वहां से चुनाव लडा। खुद वो भिवानी के घुसकानी गांव के हैं लेकिन लोहारू पहुंचकर दो बार हार लेकिन हार नहीं मानी, लगे रहे। 2019 में जीते और मंत्री भी बने। उनके लिए वैसे ये गौरव की ही बात है कि उनके दोस्त चाैधरी सुरेंद्र सिंह भी जब हुड्डा सरकार में मंत्री बने थे तो कृषि मंत्रालय ही मिला था और आज वो खुद भी कृषि मंत्री है। 
शांत स्वभाव, तेज गिनाह: जेपी दलाल के लिए प्रसिद्ध है कि वो सुनते सभी की हैं लेकिन करते अपने मन की हैं। सबकी राय मशवरे को सिर माथे रखते हैं लेकिन फैसला अपनी बुद्धि के अनुसार ही लेते हैं। जेपी दलाल से कोई नाराज नहीं होता है, विपक्ष में भी उनके दोस्त हैं। एक बार जो वो ठान लेते हैं उसको पूरा करने के लिए दिन रात एक कर देते हैं और लक्ष्य पर तेज निगाह जमाकर रखते हैं।

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