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Monday, August 24, 2020

जाट आरक्षण आंदोलन:साढ़े चार साल में चार करोड़ से ज्यादा खर्च, एक मामला हाईकोर्ट में होने से रिपोर्ट नहीं हो रही फाइनल

जाट आरक्षण आंदोलन:साढ़े चार साल में चार करोड़ से ज्यादा खर्च, एक मामला हाईकोर्ट में होने से रिपोर्ट नहीं हो रही फाइनल

झा कमीशन के एक्सटेंशन पर गृह विभाग की आपत्ति गृह मंत्री ने तलब किया अब तक हुए खर्च का ब्योरा 7 जुलाई को हो चुका कमीशन का समय पूरा


चंडीगढ़ : हरियाणा में साढ़े चार साल हुए जाट आरक्षण आंदोलन की जांच कर रहे झा कमीशन की जांच अभी तक पूरी नहीं हई। एक बार फिर तीन माह का एक्सटेंशन मांगे जाने की फाइल पर इस बार गृह मंत्री अनिल विज ने ऑब्जेक्शन लगा दिया है। उन्होंने पहले इसके अब तक के खर्च का ब्यौरा मांगा था। लेकिन फिर इस पर एक और ऑब्जेक्शन लगाया गया है।
सूत्रों का कहना है कि कमीशन की जांच लगभग पूरी हो चुकी है लेकिन प्रो वीरेंद्र सिंह का मामला अभी हाई कोर्ट में होने की वजह से यह रिपोर्ट सरकारी को नहीं सौंपी जा रही है। क्योंकि वीरेंद्र सिंह पर इस मामले में आरोप लगे थे और जब तक हाई कोर्ट में मामला है, उनके नाम का कहीं भी रिपोर्ट में जिक्र नहीं हो सकता। आयोग पर हर माह करीब सात-आठ लाख रुपए का खर्च हो रहा है। जो अब तक 4 करोड़ के करीब पहुंच चुका है। बता दें कि कमीशन का 7 जुलाई को समय पूरा हो चुका है।
इसका और समय बढ़ाने के लिए सरकार के पास फाइल भेजी गई थी। गृह मंत्री अनिल विज ने बताया कि झा कमीशन का समय बढ़ाने की फाइल आई थी। उसमें कुछ क्योरी है, उसके लिए लिखा गया है। इस पर अब तक हुए खर्च की जानकारी भी मांगी गई है। आंदोलन के मामले में आयोग में 97 गवाह पेश हुए हैं। जबकि आरोपियों की ओर से भी 14 गवाह पेश किए गए हैं। इनकी गवाही को बाकायदा पूरी तरह रिकॉर्डिंग की गई है। झा कमीशन को 2016 में 18 से 23 फरवरी तक हुए नुकसान की रिपोर्ट सौंपने की जिम्मेदारी दी गई थी। साथ इसमें इसी तरह से 18 से 23 फरवरी के बीच रोहतक, झज्जर, सोनीपत, हिसार, जींद, भिवानी और कैथल में हुई दंगों की सियासी साजिश की जांच के लिए भी कहा गया था।

प्रकाश कमेटी की रिपोर्ट के बाद हुआ था कमीशन का गठन

हरियाणा में फरवरी, 2016 में जाट आरक्षण आंदोलन हुआ था। जिसमें राज्यभर में न केवल तोड़फोड़ हुई बल्कि 32 लोगों की जान भी चली गई थी। इस मामले की जांच के लिए पहले प्रकाश कमेटी का गठन किया था। जिसकी रिपोर्ट पर कुछ अधिकारियों पर कार्यवाही हुई थी। लेकिन बाद में अप्रैल, 2016 में रिटायर्ड जस्टिस एसएन झा की अध्यक्षता में आयोग का गठन हुआ। पहले छह माह के लिए आयोग बना, लेकिन बाद में इसका समय बढ़ता गया।

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