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Thursday, August 27, 2020

विधानसभा में कैग की रिपोर्ट पेश:वित्तीय प्रबंधन पर उठाए सवाल, सरकारी विभागों में जालसाजी कर 75 बार निकाली राशि, आरोपियों पर नहीं हुआ एक्शन

विधानसभा में कैग की रिपोर्ट पेश:वित्तीय प्रबंधन पर उठाए सवाल, सरकारी विभागों में जालसाजी कर 75 बार निकाली राशि, आरोपियों पर नहीं हुआ एक्शन

प्रदेश पर अब 1 लाख 54 हजार 968 करोड़ रुपए हो गया कर्ज कैग ने वित्तीय प्रबंधन पर सवाल उठाते हुए कई अनियमितताएं उजागर किए

चंडीगढ़ : प्रदेश में 87 बोर्ड, निगमों और सरकारी कंपनियां स्टेट गर्वनमेंट द्वारा मिली वित्तीय सहायता का ब्योरा नहीं दे रही हैं। सरकारी कंपनियों के कुल 166 वार्षिक लेखे बकाया हैं। इसके अलावा 75 बार 1.28 करोड़ रुपए से अधिक की धनराशि सरकारी विभागों से जालसाजी कर निकाली गई, लेकिन आरोपियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। कैग रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2014 में प्रदेश सरकार पर 58 हजार 143 करोड़ रुपए का कर्ज था जो 2018-19 में 96 हजार 825 करोड़ रुपए बढ़कर एक लाख 54 हजार 968 करोड़ रुपए हो गया। अब एक वर्ष में ब्याज के रूप में 11 हजार 988 करोड़ रुपए देने पड़े। नियंत्रक और महालेखाकार (कैग) ने वित्तीय प्रबंधन पर सवाल उठाते हुए कई अनियमितताएं उजागर की हैं।

चीनी मिलों पर 2647 करोड़ रुपए बकाया

चीनी मिलों से बकाया ऋणों की केवल 1.13 फीसद की वसूली के बावजूद आर्थिक मदद का दौर जारी रहा। ऋण इस शर्त पर दिया गया था कि यह राशि नौ प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ पांच साल में चुका दी जाएगी। पिछले दस सालों में चीनी मिलों पर बकाया राशि 618 करोड़ रुपए से बढ़कर 2647.86 करोड़ रुपए पहुंच गई है। प्रदेश की कुल राजकोषीय देयता एक करोड़ 84 लाख 216 करोड़ पर पहुंच गई।

37 मामलों में पूरक प्रावधान अनावश्यक

वर्ष 2014-29 के दौरान 18 अनुदानों और एक विनियोजन में सतत बचत दर्ज की गई। 37 मामलों में पूरक प्रावधान अनावश्यक सािबत हुए, क्योंकि व्यय मूल प्रावधान से कम रहा। 13 अनुदानों के तहत 17 प्रमुख शीर्षों में 52 प्रतिशत व्यय मार्च 2019 में किया गया, जो वर्ष के अंतिम माह में व्यय के अधिक्य को दर्शाता है और सामान्य वित्तीय नियमों के नियम 56 के प्रावधानों के विपरीत था। वर्ष 2018-19 के दौरान 2045.91 करोड़ के अनुमोदित अनुमान वाली 71 विकास योजनाएं कार्यान्वित नहीं की गई। वर्ष 2018-19 के दौरान 141732.90 करोड़ के कुल अनुदानों व विनियोजनों के विरुद 121362.76 करोड़ का व्यय किया गया था। 20370.14 करोड़ की समय बचें, विभिन्न अनुदानों में 20411.68 करोड़ की बचत तथा तीन अनुदानों के तहत 41.54 करोड़ के अधिक व्यय के कारण थी। जिसे वर्ष 2017-18 से संंबंधित 540.60 करोड़ के अधिक व्यय के साथ भारतीय संविधान के अनुच्छेद 205 के प्रावधानों के अनुसार विनियमित कराए जाने की जरुरत थी।

8 जिलों में सब रजिस्ट्रार पर गिरेगी गाज

रजिस्ट्रियों में गड़बड़ी को लेकर अब 8 जिलों में सब रजिस्ट्रार पर गाज गिरेगी, क्योंकि इन्होंने भी एनओसी नहीं ली। इनेलो विधायक अभय चौटाला के ध्यानकार्षण प्रस्ताव पर डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने बताया कि नारनौल, करनाल, सोनीपत, रेवाड़ी, पंचकूला, भिवानी, फरीदाबाद और कैथल के सब रजिस्ट्रार ने 14 जून, 2013 से 31 मई, 2010 की अवधि में 1555 पंजीकृत बिक्र पत्र और पट्‌टेनामा की एनओसी नहीं ली।

वेतन, पेंशन, ब्याज व अनुदान पर 65% राशि खर्च

प्रदेश में कुल व्यय में से 83 प्रतिशत राजस्व व्यय था। वेतन, पेंशन, ब्याज और अनुदान पर ही 65 प्रतिशत राशि खर्च हो गई। जबकि आठ हजार 549 करोड़ रुपए के कुल अनुदान में से 87 प्रतिशत यानी कि सात हजार 415 करोड़ रुपए केवल ऊर्जा क्षेत्र को दिए गए। तीन बिजली कंपनियां इस दौरान 29453 करोड़ रुपए के घाटे में रही।

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