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Thursday, September 10, 2020

सात माह से पीजीआई में बंद पड़ी है सीटी स्कैन मशीन, रोजाना 50 से ज्यादा मरीज निजी सेंटर में करा रहे जांच

सात माह से पीजीआई में बंद पड़ी है सीटी स्कैन मशीन, रोजाना 50 से ज्यादा मरीज निजी सेंटर में करा रहे जांच

रोहतक : पीजीआईएमएस के रेडियोलॉजी विभाग के रूम नंबर 21 में रखी करीब 17-18 साल पुरानी सीटी स्कैन मशीन सात माह से बंद है। रोहतक सहित प्रदेश के विभिन्न जिलों से आने वाले गंभीर मरीजों को सीटी स्कैन मशीन पर जांच की सुविधा नहीं मिल पा रही है। 24 घंटे के अंतराल में इमरजेंसी विभाग व ओपीडी से औसतन 60 से ज्यादा मरीजों के परिजन सीटी स्कैन की जांच के लिए न्यू ओपीडी ब्लॉक में संचालित निजी सेंटर पर पहुंच रहे हैं।
रूम नंबर 21 में रखी सीटी स्कैन मशीन यदि चालू होती तो मरीजों को महज ढाई सौ और पांच सौ रुपए में जांच की सुविधा मिल जाती और जिन्हें सुविधा मिल भी रही है उन्हें आठ से 10 दिन की वेटिंग का इंतजार न करना पड़ता। निजी सेंटर पर मरीजों को रियायती दर के बावजूद दो से पांच हजार रुपए तक खर्च करने पड़ रहे हैं। ऐसा नहीं है कि रेडियोलॉजी विभाग में सीटी स्कैन मशीन बंद होने की जानकारी पीजीआईएमएस डायरेक्टर डॉ. रोहतास यादव और विभाग की हेड डॉ. सरिता मग्गू को भी है।
यूएचएस कुलपति डॉ. ओपी कालरा पिछले माह में हुई बैठकों में भी सीटी स्कैन मशीन बंद होने के बाबत जवाब तलब कर चुके हैं। लेकिन इस सबके बावजूद पीजीआई प्रशासन ने मशीन संचालन शुरू कराने के लिए प्रयास नहीं किए। लिहाजा मरीजों को निजी सेंटर में सीटी स्कैन जांच के लिए जेब ढीली करनी पड़ रही है। इस बाबत पीजीआई डायरेक्टर कार्यालय के अधिकारी से बात की गई तो उन्होंने कोरोना महामारी में अधिकारियों के व्यस्त होने की वजह से नई मशीन की खरीद न किए जाने का तर्क दिया। रेडियोलॉजी विभाग की हेड डॉ. सरिता मग्गू ने इस बाबत कुछ भी कहने से मना कर दिया। अब ऐसे में सवाल यह है कि आखिरकार प्रदेश की जनता को सरकारी जांच सुविधा से कब तक वंचित रहना पड़ेगा।
करनाल-चंडीगढ़ में नहीं इलाज, अब पीजीआई में जेब ढीली करनी पड़ रही
पानीपत निवासी राजपाल ने बताया कि उनके 75 वर्षीय पिता को पैरालिसिस का अटैक पड़ा है। करनाल, चंडीगढ़ सहित कई शहरों के अस्पतालों में इलाज कराया लेकिन राहत नहीं मिली। पीजीआई में चिकित्सक ने ब्रेन सीटी स्कैन की जांच कराने को कहा। वो पिता को स्ट्रेचर पर लिटाकर पहले रेडियोलॉजी विभाग में ले गए यहां पर उन्हें सीटी स्कैन मशीन बंद होने का पता चला। कर्मचारियों ने उन्हें न्यू ओपीडी में जाकर सीटी स्कैन करवाने की सलाह दी। वो स्ट्रेचर खींचते हुए पिता को न्यू ओपीडी में संचालित निजी सेंटर में ले गए और शाम तक सीटी स्कैन जांच कराने के लिए नंबर आने का इंतजार करते रहे।
छाती में दर्द के लिए इलाज कराने आया, सीटी स्कैन के लिए निजी सेंटर में भेज दिया
दिल्ली रोहिणी निवासी 55 वर्षीय विनोद ने बताया कि वो उसकी छाती में दर्द की शिकायत है। पीजीआई में चिकित्सकों ने सीटी स्कैन सहित अन्य कई जांचें लिखी। सीटी स्कैन कराने को पुरानी इमरजेंसी ब्लाॅक के रूम नंबर 21 में पहुंचे तो यहां पर जांच न होने का पता चला। वहां से बताया गया कि जल्दी सीटी स्कैन कराना है तो न्यू ओपीडी ब्लाॅक में चले जाओ। वहां भी नंबर में देरी थी तो प्राइवेट सेंटर में जांच करानी पड़ी।
सीटी स्कैन मशीन बंद होने पर निजी सेंटर में जाकर जांच कराने को कहा 2 हजार रुपए लगेंगे
झज्जर के किसान राजकुमार ने बताया कि उसकी तीन बेटियां हैं। एक 12 साल की बेटी को फीवर, आंखों में सूजन और उल्टियां आ रही हैं। झज्जर से चिकित्सकों ने पीजीआई रेफर किया। यहां इमरजेंसी विभाग में चिकित्सक ने सीटी स्कैन लिख दिया। रेडियोलॉजी विभाग में कर्मचारी ने सीटी स्कैन मशीन बंद होने की बात कहते हुए न्यू ओपीडी में भेजा। न्यू ओपीडी में पहुंचे तो यहां पर निजी सेंटर में रियायती दर पर सीटी स्कैन का शुल्क दो हजार रुपए के करीब बताया गया।
अनुबंधित डायग्नोस्टिक सेंटर में करीब ढाई साल में एक लाख से ज्यादा हुई एमआरआई व सीटी स्कैन
न्यू ओपीडी ब्लाॅक में पीपीपी मॉडल पर संचालित निजी सेंटर के अधिकारी ने बताया कि सरकारी अनुबंध के तहत मरीजों को रियायती दर पर एमआरआई व सीटी स्कैन की जांच की जाती है। इस सेंटर की ओर से करीबन ढाई साल में अब तक एक लाख से ज्यादा मरीजों को सीटी स्कैन और एमआरआई जांच की सुविधा दी जा चुकी है। उन्होंने बताया कि ओपीडी ब्लॉक के ग्राउंड फ्लोर पर 24 घंटे जांच सुविधा दी जा रही है। मरीजों को दो से तीन दिन में रिपोर्ट दे दी जाती है। उन्होंने बताया कि सीटी स्कैन में कंट्रास्ट में उपयोग किया जाने वाला केमिकल महंगा पड़ता है। फिर भी रियायती दर पर वर्तमान समय में रोजाना 90 के करीब मरीजों को एमआरआई और सीटी स्कैन जांच की जा रही है।

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