विरोध:फसलों के मुआवजे को लेकर किसानों ने घेरा बिजली मंत्री का आवास, 20 को नेशनल हाईवे जाम करने की चेतावनी
फसलों के खराबे की स्पेशल गिरदावरी करवाकर उचित मुआवजा दिलाए जाने व किसान विरोधी अध्यादेश वापस लेने की मांगों के समर्थन में संघर्षरत किसानों ने बुधवार को बिजली मंत्री रणजीत सिंह के आवास का घेराव कर दिया। किसान खेती किसानी के प्रतीक हल को भी साथ उठाए हुए थे। किसानों ने 20 मिनट तक सरकार विरोधी नारे लगाकर रोष जताया।
गुस्साए किसानों ने कहा कि मांगे पूरी नहीं हुई, तो आगामी 20 सितंबर को नेशनल हाइवे जाम किया जाएगा और 30 को जिलाभर में 115 जलघरों की टंकियों पर चढ़ने की चेतावनी किसानों ने सरकार को दी। जिसके बाद प्रदर्शन करते हुए किसान दोपहर सवा एक बजे वापस लघु सचिवालय में धरनास्थल पहुंचे। सफेद मक्खी, उखेड़ा व अत्यधिक बारिश से फसलों के खराबे का उचित मुआवजा की मांग को लेकर पिछले 9 दिनों से जिला के किसान लघु सचिवालय में धरनारत हैं। विभिन्न संगठनों से जुड़े सैकड़ों किसान धरनास्थल पर एकत्रित हुए।
वहीं हटाए गए पीटीआई शिक्षकों ने भी किसानों का समर्थन किया। जहां से खेती किसानी के प्रतीक हल को उठाकर 12 बजे किसान रोष मार्च निकालते हुए लघु सचिवालय से बिजली मंत्री के आवास की ओर रवाना हुए। इस दौरान बरनाला रोड के एक साइड जाम की स्थिति बन गई, दूसरी तरफ से वाहनों को निकालना पड़ा। उधर प्रशासन ने बिजली मंत्री रणजीत सिंह आवास के बाहर किसानों के पहुंचने से पहले भारी पुलिस बल तैनात कर दिया था। आंदोलनकारी किसानों का काफिला कॉलोनी की गली से होते हुए दोपहर साढ़े 12 बजे मंत्री आवास के समक्ष पहुंचा। जहां किसानों ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।
अखिल भारतीय स्वामीनाथन संघर्ष समिति के प्रदेशाध्यक्ष विकल पचार ने कहा कि किसान विरोधी तीन अध्यादेश के खिलाफ पिपली में किसान रैली रोकने को सरकार ने किसानों पर लाठियां बरसाई। आंदोलनकारी किसानों की पहली मांग यह है कि मुख्यमंत्री पिपली लाठीचार्ज मामले में किसानों से माफी मांगे। किसानों को खराब फसलों का शतप्रतिशत मुआवजा दिया जाए, अन्यथा सरकार को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। किसानों ने सरकार को चेतावनी भरे लहजे में कहा कि अगर जल्द उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया, तो आने वाली 20 सितंबर को किसान नेशनल हाइवे जाम करेंगे और 30 सितंबर को जिलाभर में 115 जलघर की टंकियों पर चढ़कर किसान विरोध स्वरूप आंदोलन को तेज करेंगे। यह आंदोलन किसान आखिरी सांस तक जारी रखेंगे। जिसकी पूरी जिम्मेदारी सरकार की होगी।
किसानों की तीन मुख्य मांगें
किसानों की तीन मुख्य मांगों में फसलों के खराबे की स्पेशल गिरदावरी करवाई जाए, पीड़ित किसानों को 50 हजार रुपये प्रति एकड़ मुआवजा दिया जाए, ट्यूबवैल कनेक्शन तुरंत जारी किए जाएं, हरियाणा के बजट में खेती किसानी को 50 फीसदी हिस्सा दिया जाए और पिपली किसान रैली में हुए लाठीचार्ज मामले को लेकर मुख्यमंत्री किसानों से माफी मांगे सहित मांगे शामिल हैं।
मुआवजे की मांग को लेकर तेज होगा आंदोलन
अखिल भारतीय स्वामी नाथन संघर्ष समिति के प्रदेशाध्यक्ष विकल पचार ने बताया कि जिला में उखेड़ा रोग, सफेद मक्खी व बरसाती जलभराव से किसानों की फसलें खराब हुई हैं। फसल खराबे की स्पेशल गिरदावरी करवाने और उचित मुआवजा किसानों को दिलाने की मांग को लेकर समिति के बैनर तले सैकड़ों किसान बेमियादी धरना में शामिल होते हैं। जिसमें सरकार से फसल बीमा से रहित किसानों को भी मुआवजा दिए जाने की मांग उठाई गई है। इससे पहले वर्ष 2017 में कॉटन फसल खराबा की एवज में किसानों को बड़ा आंदोलन करना पड़ा था। बीमा क्लेम जारी नहीं होने से आंदोलनरत गुस्साए 4 किसान गांव रूपावास में जलघर की 50 फुट उंची टंकी पर चढ़ गए थे। जिसके बाद सरकार ने आश्वासन देकर किसानों को उतारा था। वहीं किसानों को करीब 197 करोड़ से ज्यादा बीमा क्लेम राशि जारी हुई थी।
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