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Friday, October 9, 2020

सावधानी बरतें:गैजेट को अधिक समय तक इस्तेमाल करने से बचें और आंखों को दिन में 4-5 बार पानी से धोएं

सावधानी बरतें:गैजेट को अधिक समय तक इस्तेमाल करने से बचें और आंखों को दिन में 4-5 बार पानी से धोएं

पानीपत : हर 40 में से एक इंसान आंखों से जुड़ी कोई न कोई परेशानी से जूझ रहा है। आंखों को हर 20 मिनट पर 20 सेकंड के लिए तक 20 फीट तक देखें, इसके बाद वापस काम शुरू कर सकते हैं। बता दें कि सिविल अस्पताल में 8 अक्टूबर काे वर्ल्ड साइट डे मनाया गया। नेत्र राेग डाॅक्टराें ने अस्पताल में आने वाले मरीजाें काे आंखाें काे लेकर कई जानकारी दी।
नेत्रराेग विशेषज्ञ डाॅ. केतन ने बताया कि जब से काेराेना आया है तब से बड़ाें का वर्क फ्राॅम हाेम ताे बच्चाें की फाेन पर ऑनलाइन पढ़ाई हाे गई है। यानी फाेन व लैपटाॅप सहित अन्य चीजाें का इस्तेमाल ज्यादा हाे गया है। गैजेट को अधिक समय तक इस्तेमाल करने से बचें और आंखों को दिन में 4-5 बार पानी से धोएं। आंखों में खुजली, पानी आना, सिरदर्द हो तो अलर्ट हो जाएं और डॉक्टरी सलाह लें। आंखों की 90 फीसदी बीमारियों का इलाज संभव है। आमतौर पर लोग आंखों की देखभाल को नजरअंदाज करते हैं। इससे दिक्कतें बढ़ती हैं। इस साल की थीम है 'होप इन साइट'। इसके लिए सबसे जरूरी है आंखों की देखभाल।
इसलिए कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है

अगर आंखों में खिंचाव, खुजली, थकावट, लालिमा, पानी आना, धुंधला दिखने जैसी समस्या हो रही है तो अलर्ट हो जाएं। ये डिजिटल आई स्ट्रेन के लक्षण हैं। ये लक्षण गैजेट को अधिक इस्तेमाल करने पर दिखते हैं।

डिजिटल गैजेट्स से निकलने नीली रोशनी आंखों पर लगातार पड़ने से इनमें पहले रुखापन आता है फिर मांसपेशियों पर जोर पड़ता है। ऐसे में उनसे गैजेट का इस्तेमाल करने के दौरान पलकें झपकाने के लिए कहें।

मोबाइल की स्क्रीन छोटी होने के कारण आंखों पर जोर अधिक पड़ता है। इससे निकलने वाली नीली रोशनी आंखों के सबसे करीब होने के कारण ज्यादा बुरा असर छोड़ती है।

आंखों में सूखेपन से बचने के लिए बच्चों को गैजेट और आंखों के बीच दूरी रखने के लिए कहें। इसके अलावा दिन में 4 से 5 बार आंखों को सादे पानी से धोने के लिए कहें।

ज्यादातर बच्चे पेरेंट्स के डर से रात में लाइट ऑफ करके मोबाइल या दूसरे गैजेट पर वीडियो गेम खेलते हैं। ये सबसे ज्यादा खतरनाक स्थिति है क्योंकि कमरे में अंधेरा होने के कारण गैजेट की नीली रोशनी का बुरा असर सीधे आंखों पर पड़ता है। पेरेंट्स इन बातों का ध्यान रखें।

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