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Saturday, October 17, 2020

लिव-इन केस:लड़के की उम्र 21 साल से कम होने पर पुलिस ने सुरक्षा देने से किया था मना, हाईकोर्ट ने कहा-सुरक्षा करना राज्य का कर्तव्य

लिव-इन केस:लड़के की उम्र 21 साल से कम होने पर पुलिस ने सुरक्षा देने से किया था मना, हाईकोर्ट ने कहा-सुरक्षा करना राज्य का कर्तव्य

चंडीगढ़ : गुरदासपुर के प्रेमी जोड़े की याचिका पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने शुक्रवार को बड़ा महत्वपूर्ण फैसला दिया है। कोर्ट ने कहा है कि घर से भागा प्रेमी जोड़ा सुरक्षा पाने का हकदार है, भले ही उनमें से एक की उम्र शादी के योग्य न हो और दोनों लिव-इन में रह रहे हों। दरअसल, कानून के तहत शादी के लिए लड़के की उम्र 21 साल और लड़की की 18 साल से कम नहीं होनी चाहिए, लेकिन गुरदासपुर में बीते दिनों इसके उलट एक मामला सामने आया।
यहां मनदीप कौर नामक लड़की एक लड़के से प्यार करती है, जिसका परिवार वाले विरोध कर रहे हैं। ऐसे में दोनों ने घर से भागकर 20 सितंबर को पंचकूला में प्रेम विवाह कर लिया। फिर पुलिस प्रोटेक्शन मांगी तो उम्र का कानून आड़े आ गया। हालांकि दोनों बालिग हैं, लेकिन कानून के मुताबिक मनदीप कौर के प्रेमी की उम्र विवाह योग्य (21 साल) न होकर 20 साल 6 महीने ही थी। इसके चलते पुलिस प्रोटेक्शन की मांग पूरी होने में दिक्कत आई।
दोनों ने इसके लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका लगा दी। हाईकोर्ट में जस्टिस अरुण मोंगा की बेंच के समक्ष सुनवाई के दौरान मनदीप कौर और उसके प्रेमी एक-दूसरे से प्यार करने का दावा किया। दोनों ने कहा कि वो माता-पिता द्वारा पैदा किए गए हालात से मजबूर होकर कोर्ट की शरण में आए हैं। उन्होंने कहा कि वो परिपक्व हैं और अपने अच्छे-बुरे के बारे में सोच सकते हैं। दोनो ने बैच को बताया कि उन्होंने 20 सितंबर को पंचकूला में विवाह किया है।
इस पर जस्टिस मोंगा ने कहा कि दोनों का विवाह हिंदू विवाह अधिनियम के तहत मान्य नहीं है, लेकिन यह मुद्दा नहीं है। उन्हें जीवन और स्वतंत्रता की सुरक्षा के मौलिक अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता। हाईकोर्ट ने याचिका का निपटारा करते हुए गुरदासपुर के जिला पुलिस प्रमुख को जोड़े की सुरक्षा का आदेश दिया है।
कोर्ट की तरफ से आदेश में लिखा गया है कि भले ही उनका रिश्ता अमान्य है। यह हिंदू विवाह अधिनियम की धारा पांच का उल्लंघन है कि वर्तमान मामले में याचिकाकर्ता लड़का विवाह योग्य (21 साल) आयु नहीं रखता और लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहा है, लेकिन दोनों अपने जीवन और स्वतंत्रता की रक्षा करने का हकदार हैं।
नागरिक के जीवन और स्वतंत्रता की रक्षा करना राज्य का बाध्य कर्तव्य है। ऐसे में एसएसपी याचिकाकर्ता जोड़े द्वारा सुरक्षा की मांग के आवेदन की जांच करके उचित निर्णय लेकर उनकी जान-माल की रक्षा सुनिश्चित करें।

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