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Saturday, October 17, 2020

अक्टूबर 2019 में उपाध्यक्ष का पद गंवाने के बाद अज्ञातवास झेल रहे अरविंद को चैयरमैन पद से मिली ताकत

अक्टूबर 2019 में उपाध्यक्ष का पद गंवाने के बाद अज्ञातवास झेल रहे अरविंद को चैयरमैन पद से मिली ताकत

 रेवाड़ी : ( पंकज कुमार ) अक्टूबर 2019 में हुए विधानसभा चुनाव ने राव इंद्रजीत सिंह अहीरवाल में भाजपा के ताकतवर चेहरा बनकर उभरे। अहीरवाल में राव प्रमुख प्रतिद्वंद्धी माने जाने वाले कदावर नेता राव नरबीर सिंह टिकट से वंचित कर सक्रिय राजनीति हाशिए पर पहुंचाने के बाद राव इंद्रजीत सिंह का जलवा प्रदेश मंत्रीमंडल गठन में भी दिखाई दिया। राव नरबीर सिंह का पत्ता काटने के बाद
रिटायर्ड आईएएस अफसर अभय सिंह के दूसरी बार विधायक चुने जाने के बाद भी मंत्रीमंडल में जगह नहीं मिल पाने से पार्टी में राव इंद्रजीत सिंह का कद एकाएक बढ़ गया। रामपुरा हाउस विरोधी छवि के कारण प्रदेश मंत्रीमंडल में अभय सिंह यादव की जगह रामपुरा हाउस समर्थक ओमप्रकाश यादव को जगह मिलने के बाद भाजपा अहीरवाल में राव इंद्रजीत सिंह के ईद-गिर्द घूमती दिखाई दी।

*राव इंद्रजीत सिंह को पहला झटका* सुभाष बराला की जगह प्रदेश भाजपा की कमान संभालने वाले ओमप्रकाश धनखड़  ने दिया। राव इंद्रजीत सिंह के गृह जिले रेवाड़ी सहित अहीरवाल के चार जिलों रेवाड़ी, गुरूग्राम, महेंद्रगढ़-नारनौल व नूंह में व्यक्ति विशेष समर्थक की बजाय संगठन के कार्यकर्ताओं को जिला अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी।
जिनमें रेवाड़ी में भाजपा के पुराने कार्यकर्ता हुकमचंद यादव, महेंद्रगढ़ में पूर्व विधायक कैलाश शर्मा के बेटे राकेश शर्मा, गुरुग्राम में गार्गी कक्कड़ तथा नूंह में पार्टी कार्यकर्ता नरेंद्र पटेल को जिम्मेदारी सौंपी। रेवाड़ी में तत्कालीन जिला अध्यक्ष पंडित योगेंद्र पालीवाल निधन के बाद जिले की जिम्मेदारी संभाल रहे जिला महामंत्री अमित यादव व प्रीतम चौहान के अलावा राव इंद्रजीत सिंह व राव नरबीर समर्थक कई पार्टी नेता इस दौड़ में शामिल थे।

लगा था बड़ा झटका

अक्टूबर 2019 में वैसे तो कई उल्टफेर हुए। अहीरवाल की राजधानी कहे जाने वाले रेवाड़ी जिले के तीन विधायकों में से केवल बावल से डॉ. बनवारी लाल ही दोबारा टिकट पाने में सफल रहे थे तथा राव इंद्र्रजीत सिंह की सहमति नहीं मिल पाना इसकी मुख्य वजह मानी गई थी। रेवाड़ी में रणधीर कापड़ीवास की बजाए राव इंद्रजीत सिंह समर्थक सुनील मुसेपुर को टिकट मिला था, जबकि कोसली में संगठन और राव दोनों में आस्था रखने वाले लक्ष्मण सिंह को विक्रम सिंह जगह उम्मीदवार बनाया गया था।
अहीरवाल में राव इंद्रजीत सिंह के प्रमुख प्रतिद्वंद्धी एवं मुख्यमंत्री के करीबी राव नरबीर सिंह की बादशाहपुर सीट छीनने के बाद रेवाड़ी से उनकी जगह सुनील यादव को टिकट देने के पार्टी के फैसलें ने राजनीतिक विश्लेषकों को भी आश्चर्यचकित कर दिया था। भाजपा की आपसी लड़ाई के चलते ही मजबूत स्थिति में होते हुए भी भाजपा को रेवाड़ी सीट से हाथ धोना पड़ा था।

अब हो सकता है

विधानसभा चुनावों में राव नरबीर सिंह जैसे कद्दावर नेता व मंत्रीमंडल गठन में अभय सिंह यादव की अनदेखी के बाद से पार्टी कैडर कार्यकर्ता स्वयं को ठगा सा महसूस करने लगे थे। समय-समय पर सोशल मीडिया पर भी इसकी आहट सुनाई देने लगी थी। करीब एक साल बाद अरविंद यादव को मिली चैयरमैनी ने संगठन से जुड़े पार्टी कार्यकर्ताओं की उम्मीदों को फिर से पंख लगा दिए हैं। इससे संगठन व पार्टी को कितनी मजबूती मिलेगी यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।

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