जींद में ठेका पूरा होते ही कूड़ा उठान बंद, शहर में फैला कचरा
जींद : शहर में दो महीने से विशेष अनुमति से चल रहा शहर की सफाई का ठेका अब समाप्त हो गया है। 23 फरवरी को ठेका समाप्त होने के बाद कल से ठेकेदार ने कूड़ा उठाने का काम बंद कर दिया है। इस कारण शहर की गलियों और अन्य जगह गंदगी के ढेर लगे दिखाई दिए। हालांकि नगर परिषद अपने ट्रैक्टर व कर्मचारियों से कूड़े का उठान करवा रहा है, लेकिन इससे दिन भर में कुछ जगह से ही कूड़ा उठ पाया। ऐसे में यदि सफाई ठेके पर जल्द फैसला नहीं हुआ तो आने वाले दिनों में शहर की सफाई व्यवस्था चरमरा जाएगी।
गौरतलब है कि शहर की सफाई का ठेका पिछले साल 48 लाख रुपये महीना में था। इसके तहत सभी मुख्य मार्गों की सफाई व घर-घर से कूड़ा उठान व कूड़ा कलेक्शन सेंटर से कूड़ा उठाने का काम शामिल है। अब ठेका समाप्त होने के चलते शहर की सफाई व्यवस्था पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। शहर में प्रतिदिन 100 टन कूड़ा निकलता है, जिसे ठेकेदार के कर्मचारी व वाहन हांसी रोड स्थित डंपिंग साइट तक पहुंचाते हैं। यह कूड़ा अब आसपास के खाली प्लाटों, सार्वजनिक स्थानों पर ही आएगा। घरों से निकलने वाला कूड़ा जहां पहले सीधा डंपिंग साइट पर पहुंचता था, वहीं अब यह आसपास डाला जा रहा है। सफाई ठेके के तहत शहर में कूड़ा उठाने के लिए ठेकेदार द्वारा 156 कर्मचारी लगाए गए थे। यह लोग जहां मुख्य मार्गों की सफाई कर रहे थे, वहीं कूड़ा डंपिंग साइट तक भी पहुंचा रहे थे। इसमें 12 बड़े ट्रैक्टर-ट्रॉली व 40 छोटे ट्रैक्टर व गाड़ियां शामिल हैं।
बता दें नगरपरिषद के 204 सफाई कर्मचारी हैं। इन कर्मचारियों के जिम्मे कॉलोनियों में सफाई का काम है। ऐसे में कूड़ा उठाने की पूरी व्यवस्था ठेकेदार के ही जिम्मे रहती है। जिस फर्म के पास पिछले साल शहर की सफाई का ठेका था, इस बार भी ठेका उसी फर्म को मिला है। नगरपरिषद ने औपचारिक रूप से कूड़ा कलेक्शन सेंटर बंद कर दिए हैं, लेकिन इसके बावजूद शहर में 100 से अधिक जगह लोग कूड़ा डालते हैं। ठेकेदार के कर्मचारी यहां से कूड़ा उठाकर इसे हांसी रोड स्थित डंपिंग साइट पर पहुंचाते हैं।
श्रीश्याम एसोसिएट सुरेंद्र कुमार का कहना है कि करीब दो सप्ताह पहले ही सफाई का नया ठेका भी पूरा हो चुका है, लेकिन इसे मंजूरी के लिए मुख्यालय भेजा गया है। इसके अनुसार प्रतिमाह करीब 70 लाख रुपये ठेेकेदार को जाएंगे। इसमें बाजारों से कूड़ा उठान, घरों से कूड़ा उठान, मुख्य मार्गों की सफाई शामिल है।
जींद नगर परिषद की स्वच्छता निरीक्षक नीलम ने कहा कि दो महीने पहले ठेका समाप्त होने पर विशेष अनुमति से काम किया जा रहा था। अब यह ठेका भी समाप्त हो गया है। ऐसे में वीरवार से कूड़ा उठान का काम बंद कर दिया गया है। ठेका समाप्त होने के बाद वीरवार से ठेकेदार ने काम बंद कर दिया है। इसके चलते कूड़ा उठान नहीं हो सका। इसके बावजूद नगर परिषद के दो ट्रैक्टर-ट्रॉली व सफाई कर्मचारियों को लगाया गया है। व्यवस्था बनाने का प्रयास किया जा रहा है। अधिकारियों की जानकारी में मामला है।
सेवा संस्था के प्रधान नरेंद्र नाडा ने कहा कि ठेके के लिए अनुमति सरकार को भेजी गई है। इसको लेकर मुख्यालय में बात हुई है। जल्द ही अनुमति मिलने की उम्मीद है। इसके बाद ही काम शुरू हो पाएगा। यह व्यवस्था का मुद्दा है। तय है कि ठेका समाप्त होना है। इससे पहले ही प्रक्रिया की जाए, ताकि लोगों को परेशानी नहीं हो। इससे स्वच्छ भारत मिशन का क्या होगा। प्रदेश भर की नगर पालिकाओं व परिषदों का यही हाल है। इसके लिए सरकार को व्यवस्था बनानी चाहिए।
अन्ना टीम के सुनील वशिष्ठ ने बताया कि यह सिर्फ विलंब का नहीं, भ्रष्टाचार का खेल है। इसमें अधिकारियों व नेताओं की योजना चलती है। जींद जैसे शहर में 70 लाख रुपये का ठेका हुआ है, जो आम करदाता की जेब से जाएगा। इसके बावजूद भी सफाई की काई गारंटी नहीं है। अन्ना टीम इससे आधे से भी कम रेट में काम करने को तैयार है, लेकिन काम नहीं मिल रहा। इससे सारी स्थितियां साफ हो जाती हैं।
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