वरिष्ठ नागरिकों को कानूनी सुरक्षा देगी सरकार, बेटे-बहुओं के बाद अब दामाद और बेटी को भी देना होगा भत्ता
चंडीगढ़ : बुजुर्ग माता पिता और वरिष्ठ नागरिकों के साथ बढ़ रही दुर्व्यवहार की घटनाओं को देखते हुए मोदी सरकार अब इससे जुड़े कानून को और ज्यादा सख्त और व्यापक बनाने जा रही है। अब न केवल बेटे बेटियों बल्कि गोद ली गई संतानों के अलावा दामाद और बहुओं को भी बुजुर्गों का गुजारा भत्ता देना पड़ेगा।
मोदी सरकार के संसद में पेश किए गए संशोधन बिल में कुछ बड़े बदलाव किए गए हैं। बिल में बुजुर्गों को ये अधिकार दिया गया है कि अपने परिजनों के अनदेखी और दुर्व्यवहार किए जाने पर वो अपने संरक्षण और रखरखाव के लिए दावा कर सकते हैं।
रिश्तेदारों और परिजनों की परिभाषा को लेकर बदलाव है
संशोधन बिल में सबसे महत्वपूर्ण बदलाव रिश्तेदारों और परिजनों की परिभाषा को लेकर है जिसे बुजुर्गों के हित में और व्यापक बनाया गया है। संशोधन बिल के अनुसार अब रिश्तेदारों और बच्चों की श्रेणी में बेटा और बेटी के अलावा बहु, दामाद, पौत्र, पौत्री और नाबालिग बच्चों के अभिभावक को भी शामिल किया गया है।
यही नहीं नैसर्गिक बेटे – बेटियों के अलावा गोद लिए गए और सौतेली संतानों को भी बच्चों की श्रेणी में शामिल किया गया है। इस कानून के तहत शिकायत होने पर कोई भी बुजुर्ग इंसान अपने रिश्तेदारों और परिजनों के खिलाफ ट्राईब्यूनल में रख रखाव का आवेदन दे सकता हैं। सामान्य मामलों में ट्राईब्यूनल को 90 दिनों के भीतर अपना फैसला देना होगा लेकिन अगर आवेदक की उम्र 80 साल से ऊपर हो तो 60 दिनों में फैसला देना जरूरी बनाया गया है।
स्थायी समिति ने बिल पर लगाई मुहर
इसके अलावा बुजुर्गों के लिए केयर होम और वरिष्ठ नागरिक केंद्र बनाने का भी प्रावधान किया गया है। इन सभी केंद्रों का पंजीकरण करना अनिवार्य बनाया गया है। सरकार ने Maintenance and Welfare of Parents and Senior Citizens Act, 2007 में संशोधन करने का फैसला किया है।
इससे जुड़े संशोधन विधेयक को दिसम्बर 2019 में लोकसभा में पेश किया गया था जिसके बाद उसे समीक्षा के लिए संसद की स्थायी समिति के पास भेज दिया। अब स्थायी समिति ने भी बिल पर अपनी मुहर लगा दी है।
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