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Sunday, February 28, 2021

संत गुरू रविदास ने हमें जाति-पाति से ऊपर उठकर आपसी भाईचारे और प्रेम प्यार बनाए रखने का संदेश दिया : भोला

संत गुरू रविदास ने हमें जाति-पाति से ऊपर उठकर  आपसी भाईचारे और प्रेम प्यार बनाए रखने का संदेश दिया : भोला

जींद : गावँ कंडेला पर स्थित रविदास धर्मशाला में संत गुरू रविदास की जयंती पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें मुखयातिथि के तौर पर समाजसेवी राकेश ग्रोवर और मास्टर जोगिंदर  मोर ने शिरकत करते हुए गुरू रविदास के चित्र के सामने पुष्प अर्पित किए और कहा कि संत गुरू रविदास ने आध्यात्मिक वचनों से सारे संसार को एकता और भाईचारे का संदेश दिया तथा सभी को जोडऩे की कोशिश की। उनकी महिमा को देखकर उस वक्त के राजा, महाराजा भक्ति मार्ग से जुड़े। संत गुरू रविदास जीवन भर समाज में फैली कुरीतियों जैसे ऊंच-नीच, जात-पात को दूर करने में लगे रहे। इस मौके पर डॉ. बीआर अ बेडकर सोसायटी और रामदासिया सोसाइटीके प्रधान  ने कहा कि आज संत गुरू रविदास की 644वीं जयंती है। संत रविदास के नाम के साथ गुरू का आचरण किया जाता है और कोई भी गुरू किसी समाज में धर्म और जाति-पाति से ऊपर उठकर आपसी भाईचारे और शांति का संदेश देते हैं। इसी तरह हमारे गुरू नानक और गुरू कबीर ने सभी को एक होने और मानवता तथा भाईचारे को बनाए रखने की शिक्षा दी। प्रधान ने कहा कि संत गुरू रविदास ने अपने दोहे और छंद के माध्यम से लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया। संत रविदास भक्तिपूर्ण भजनों की रचना करते थे और उन्हें लोग भाव-विभोर होकर सुनते थे। कार्यक्रम में सिविल अस्पताल के डिप्टी एमएस और डिप्टी सिविल सर्जन डॉ. राजेश भोला और समाजसेवी राकेश ग्रोवर ने कहा कि संत गुरू रविदास ने हमें जाति-पाति से ऊपर उठकर और अलग-अलग धर्मों से ऊपर उठकर आपसी भाईचारे और प्रेम प्यार बनाए रखने का संदेश दिया। उनका विश्वास था कि राम कृष्ण, राघव आदि एक ही परमेश्वर के अलग-अलग नाम हैं। वेद, कुरान, पुराण आदि ग्रंथों में एक ही परमेश्वर का गुणगान किया गया है। ईश्वर की भक्ति बड़े भाग्य से मिलती है। अभिमान शून्य रखकर काम करने वाला व्यक्ति जीवन में सच्ची भावना, समाज के व्यापक हित की कामना और मानव प्रेम से ओत-प्रोत होती थी, इसलिए उनका श्रोताओं के मन पर गहरा प्रभाव पड़ता था। वहीं कंडेला में भी कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस मौके पर महेंद्र कमांडो, मास्टर जोगेंद्र मोर आदि मौजूद रहे।

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