आंधी से कोहराम - राहत नही, मचाई तबाही,
लाखों का हुआ नुकसान
शनिवार देर रात आई आंधी ने कहर बरपाते हुए सफीदों के क्षेत्र में काफी तबाही मचाई। जिससे लाखों रुपये का नुकसान हो गया। तूफान से अंटा गाँव मे बने मेटीस स्कुल की दिवार गिर गई , पानीपत स्टेट हाईवे पर सफेदे व अन्य पेड़ गिर गए। जिससे वाहनों के आवागमन में बाधा पहुंची। पेड़ो के साथ साथ बिजली के खम्बे घिरने से इलाकों की बिजली सारी रात बाधित रही।
मिली जानकारी के अनुसार देर रात आई आंधी से मेटीस स्कुल की दिवार गिर गई , जिससे लाखों के नुकसान का अनुमान है | गनीमत रही कि दिवार के आस पास कोई व्यक्ति मोजूद नही था जिससे किसी तरह के जान माल का नुकसान नही हुआ | अंटा गाँव के सरपंच सोमबीर ने हरियाणा बुलेटिन न्यूज़ के प्रतिनिधि को बताया कि देर रात आई आंधी से स्कुल की दिवार व कई पेड़ व बिजली के खम्बे टूट गये जिस कारण सारी रात बिजली भी बाधित रही | वही तेज आंधी से खेतों मे किसानों की गेहू की फसल गिर गई जिससे किसानो को लाखो का नुकसान हुआ है | सोमबीर ने जिला प्रसाशन से गाँव व आस पास की स्पेशल गिरदावरी करवाकर नुकसान की भरपाई करने की अपील की |
तेज आंधी किसानो के लिए राहत नही तबाही मचा गई , जिससे खेतों मे खड़ी गेहू की फसल गिर गई जिससे लाखों के नुकसान का अनुमान है | सफीदों व पिल्लूखेड़ा के बड़े क्षेत्र में इस आंधी व हल्की बरसात ने गेहूं की बालियों को जमीन से सटा दिया है। इसके चलते अब गेहूं फसल की कटाई में व्यापक प्रभाव पड़ेगा। एक अनुमान के अनुसार बीते दिनों समय से पहले हुई अत्यधिक गर्मी व तेज आंधी के चलते फसलों में 10 से 15 प्रतिशत उत्पादन गिरने की संभावना है।
किसान अजमेर सिंह व विजय ने बताया कि तेज आंधी व हल्की बरसात ने गेहूं की बालियों को जमीन से सटा दिया है तथा जो बालियां कच्ची रह गई थी, वे अब हवा व धूप न लगने के कारण मोटा दाना नहीं दे पाएंगी। उन्होंने बताया कि फसल गिरने के कारण मशीन या हाथ से कटाई में दिक्कत आएगी, जिससे उनकी फसल कटाई की लागत बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि आज डीजल, खाद-बीज महंगा हो गया है। ऊपर से प्रकृति की मार उनके खेतों में पड़ी है, इससे उन्हें खासा नुकसान हुआ है। किसानों ने मांग की कि तेज गर्मी व आंधी से बर्बाद हुई फसलों की स्पेशल गिरदावरी करवाकर उनके लिए मुआवजे की व्यवस्था करवाई जाए।
गेहूं की फसल अप्रैल के पहले सप्ताह में लगभग कटाई की स्थिति में आने को थी। जो बालियां अभी हरी थी, किसान उनके पकने व बालियों में गेहूं मोटा होने का इंतजार कर रहे थे। लेकिन प्रकृति की मार ने लगभग तैयार हो चुकी फसल को नुकसान पहुंचाने का काम किया।
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