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Tuesday, March 29, 2022

हरियाणा में हायर एजुकेशन की नीतियों का विरोध:रिसर्च स्कॉलर ने काली पटि्टयां बांध कर पंचकूला में शिक्षा सदन के बाहर निकाला मौन जुलूस

हरियाणा में हायर एजुकेशन की नीतियों का विरोध:रिसर्च स्कॉलर ने काली पटि्टयां बांध कर पंचकूला में शिक्षा सदन के बाहर निकाला मौन जुलूस

चंडीगढ़ : हरियाणा एस्पायरिंग असिस्टेंट प्रोफेसर एसोसिएशन ने हायर एजुकेशन विभाग में नियुक्तियों में धांधली की शिकायत अतिरिक्त मुख्य सचिव को सौंपा। इससे पूर्व डायरेक्टर हायर एजुकेशन को भी सौंपा ज्ञापन। एसोसिएशन ने हरियाणा के विभिन्न राजकीय महाविद्यालयों में नकली डिग्री,गलत चयन व नियुक्तियां, अयोग्य एक्सटेंशन लेक्चरर्स की भर्ती की सीबीआई या हाई पावर इंडिपेंडेंट एजेंसी से जांच करवाने व उन्हें तुरंत हटा कर रेगुलर अपॉइंटमेंट करवाने की मांग की है। इस मौके पर शिक्षा सदन के बाहर 80 सदस्यों ने मौन जुलूस निकाला।

प्रदेश के विभिन्न कॉलेजों में अयोग्य एक्सटेंशन लेक्चरर्स भर्ती घोटाला उजागर करने वाले लोगों ने सोमवार को प्रदेश के सीएम मनोहर लाल के नाम ज्ञापन सौंपकर इस मामले की सीबीआई या हाई पावर इंडिपेंडेंट एजेंसी से जांच करवाने व उन्हें तुरंत हटा कर रेगुलर अपॉइंटमेंट करवाने की मांग की है।

एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने बताया कि प्रदेश के विभिन्न विद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर का वर्क लोड हमेशा रहता है। इसी संदर्भ में उच्चतर शिक्षा विभाग हरियाणा द्वारा 5 जून 2013 के जारी पत्र द्वारा प्रदेश के विभिन्न महाविद्यालय में 200 रुपए प्रति पीरियड के हिसाब से (अधिकतम 18 हजार रुपए प्रति माह) एक्सटेंशन लेक्चरर्स की नियुक्ति के प्राचार्यों को आदेश दिए थे। इसके लिए प्राचार्य व स्टाफ ने मिलीभगत कर अपनी इच्छा से इन भर्तियाें में फर्जीवाडा कर अपने परिचितों व भाई भतीजावाद कर नॉन क्वालिफाइड व नॉन एलिजिबल एक्सटेंशन लेक्चरर्स लगाने शुरू कर दिए। धीरे-धीरे इनकी संख्या बढ़़ती चली गई।
प्राइवेट यूनिवर्सिटीज से प्राप्त नकली पीएचडी डिग्री का प्रचलन बढ़़ता चला गया और गलत ढंग से चयन व नियुक्तियां होनी शुरू हो गई। इन्होंने सड़क पर सरकार के विरुध प्रदर्शन करने शुरू कर दिए और सरकार से धीरे-धीरे अपनी मांगे मनवानी शुरू कर दी। 20 जुलाई 2017 को इनका वेतन 18000 प्रतिमा से बढ़ाकर 25000 कर दिया गया। धीरे धीरे दबाव के चलते इनका मासिक वेतन 57700 रुपए प्रतिमा एलिजिबल व 35400 रुपए मासिक नॉन एलिजिबल कर दिया गया। इसके बाद जो लोग अपनी इच्छा से इधर-उधर नौकरी छोड़ कर चले गए थे, वे सब प्रचार्यों व स्टाफ की मिलीभगत से वापिस आकर कॉलेजों में एडजस्ट होने शुरू हो गए।
उन्होंने प्राइवेट यूनिवर्सिटी से पीएचडी की नकली डिग्री बनवारी शुरू कर दी और 57700 रुपए प्रति माह लेने शुरू कर दिए। इस सब में उच्चतर शिक्षा विभाग हरियाणा के कर्मचारी भी शामिल हो गए व बुरी तरह से भ्रष्टाचार का बोलबाला होने लगा। कई बार सरकार ने नॉन एलिजिबल कैंडिडेटस को हटा दिया, परंतु उच्चतर शिक्षा विभाग व कॉलेजों की मिलीभगत व कई बार पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट चंडीगढ़ के आदेश पर इन वन एलिजिबल कैंडिडेट वापस बुला लिए गए। उच्चतर शिक्षा विभाग हरियाणा ने भी उदासीन रवैया अपनाते हुए पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में सही ढंग से पैरवी नहीं की। उपरोक्त सब का खामियाजा वेल क्वालिफाइड नेट पीएचडी यूथ को भुगतना पड़ रहा है।

एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि उपरोक्त वर्किंग एक्सटेंशन लेक्चरर्स द्वारा प्राइवेट यूनिवर्सिटी से प्राप्त हुई डिग्री, गलत चयन व नियुक्तियों की जांच कॉलेज के प्राचार्यों से ना करवा कर सीबीआई या हाई पावर इंडिपेंडेंट एजेंसी से करवाई जाए। इनमें डॉ. दीपक, प्रो. सुभाष सपरा, गौरव, रवि, प्रदीप सुशील, आरके जांगड़ा, अनिल अहलावत, बिजेंद्र सिंह, संजीव, अंकित बामल, राकेश कुमार, अमन माण्डरा सहित अन्य साथी मौजूद रहे।

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