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Wednesday, March 2, 2022

यूक्रेन से वतन लौटने की राह दुश्वारियों से भरी, जान बचाने के लिए विदेशी सड़कों पर लंबा सफर तय कर रहे छात्र

यूक्रेन से वतन लौटने की राह दुश्वारियों से भरी, जान बचाने के लिए विदेशी सड़कों पर लंबा सफर तय कर रहे छात्र 
अंबाला :  एमबीबीएस करने का सपना लेकर गए छात्रों के युद्धग्रस्त यूक्रेन से वतन लौटने की राह दुश्वारियों भरी है। आसमान से बरस रहे बमों से बचने के लिए ये छात्र भूखे-प्यासे रहकर जान बचाने के लिए 80-80 किलोमीटर का सफर पैदल ही तय कर रहे हैं। इसके बावजूद छात्रों की वतन वापसी होती नहीं दिख रही। चार साल पहले मेडिकल की पढ़ाई के लिए यूक्रेन गए सनमीन सिंह व हरसिमरन कौर की कहानी भी कुछ ऐसे ही है। ये जुड़वां भाई-बहन पिछले कई दिन से वतन वापसी के लिए खूब कसरत कर रहे हैं। भयानक दिक्कतों के बाद हरसिमरन का रजिस्ट्रेशन हो गया। मगर सनमीन सिंह अभी हंगरी बॉर्डर पर रजिस्ट्रेशन के इंतजार में फंसा है। उधर बच्चों की राह मुश्किल होते देखकर परिजन भी खौफजदा हैं। यूक्रेन में एक भारतीय छात्र की मौत के बाद दहशत और बढ़ गई। 
*चार साल पहले गए थे पढ़ाई के लिए*

 जिले की मुलाना विधानसभा के गोला गांव के रहने वाले करम सिंह के जुड़वा बेटा-बेटी सनमीन सिंह व हरसिमरन कौर चार साल पहले ही यूक्रेन में एमबीबीएस करने के लिए गए थे। वहां की इंटरनेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी से दोनों एक साथ पढ़ाई कर रहे हैं। रुसी हमले के बाद अब इनका एक साथ डॉक्टर बनने का सपना अधर में लटक गया। यूक्रेन पर हमले के बाद से दोनों के सामने बड़ा संकट खड़ा हो गया। हालांकि परिवार की ओर से यूक्रेन-रुस के बीच बढ़ते तनाव की वजह से दोनों को इंडिया वापिस बुलाने का फैसला किया था। वापसी के लिए दोनों की टिकटें भी बुक हो गई थी लेकिन इससे पहले ही रुस ने हमला कर दिया। जान बचाने के लिए दो दिन तक तो दोनों दूसरे छात्रों के साथ अपने कमरों में ही बंद रहे। मगर रुसी हमले तेज होने के बाद अब दोनों ने यूक्रेन छोड़ने का फैसला किया है।  
*80 किलोमीटर का सफर पैदल तय किया* 

जिला परिषद की चेयरपर्सन रही पिंकी गोला के पति स्वर्ण गोला ने बताया कि सनमीन व हरसिमरन उसे भतीजा-भतीजी हैं। डॉक्टर बनने का सपना लेकर दोनों यूक्रेन गए थे। मगर उन्हें यह मालूम नहीं था कि विदेशी सड़कों पर उनके बच्चे इतनी तकलीफ सहेंगे। स्वर्ण ने बताया कि चार दिन से उनके बच्चे सड़कों पर धक्के खा रहे हैं। जान बचाने के लिए वे पहले यूक्रेन से पोलैंड गए लेकिन बॉर्डर पर उन्हें एंट्री नहीं मिली। इसी वजह से उन्हें दोबारा यूक्रेन वापस आना पड़ा। इस दौरान दोनों को करीब 80 किलोमीटर पैदल चलना पड़ा। अपने रुम पर वापस आने के बाद फिर हंगरी बॉर्डर से वतन वापसी की योजना बनाई। यूक्रेन से हंगरी बॉर्डर तक 100 किलोमीटर का कुछ हस्सिा पैदल तय किया। इसके बाद वैन से किसी तरह हंगरी बॉर्डर तक पहुंचे। यहां आने के बाद इन छात्रों को थोड़ी राहत मिली है। स्वर्ण ने बताया कि यहां वतन वापसी के लिए हरसिमरन का तो रजिस्ट्रेशन हो गया है लेकिन सनमीन को अभी इंतजार करना पड़ रहा है। उन्हें उम्मीद है कि जल्द ही उनके बच्चे देश लौट आएंगे।  न कैब मिल रही न ही बस रुसी हमले के बाद यूक्रेन में भारतीय छात्रों को न तो कैब मिल रही है न ही बस। पैदल ही भारतीय छात्र जान बचाने के लिए चल रहे हैं। सनमीन व हरसिमरन ने बताया कि हर जगह भारी भीड़ है। यूक्रेनी लोग भी जान बचाने के लिए पैदल ही पश्चिमी देशों की ओर जा रहे हैं। पड़ोसी देशों में घुसने पर भारतीय छात्रों क साथ बुरा बर्ताव किया जा रहा है। इसी वजह से काफी छात्रों को वापस लौटना पड़ रहा है। एसडीएम ने की छात्रों के परिजनों से मुलाकात एसडीएम सत्यवान सिंह मान ने बुधवार को यूक्रेन में फंसे छात्रों के परिजनों से मुलाकात की। परिजनों को यह भरोसा दिया गया कि उनके बच्चों को भारत लाने के लिए केंद्र सरकार हर संभव प्रयास कर रही है। एसडीएम मान ने कहा कि किसी भी परिवार को घबराने की जरुरत नहीं है। एसडीएम ने मुलाना के रवन्द्रि सैनी बुढियो की आंचल, गजल मोर, सरकपुर की विशाखा तथा उगाला के प्रगुन के परिजनों से भी मुलाकात की। एसडीएम ने कहा कि सभी भारतीय छात्रों को यूक्रेन से लाने की कोशिश की जा रही है। इस मौके पर तहसीलदार नवनीत, नायब तहसीलदार अंशुल अरोड़ा, फील्ड कानूनगो सुशील कुमार व पटवारी सुरेश कुमार भी मौजूद रहे।

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