हरियाणा में सूखे चारे पर राजनीति:किसान बोले- गेहूं में घाटा, तूड़ी बेचने से राहत; गौशाला वालों का तर्क- गाय मर जाएंगी
करनाल : हरियाणा में तूड़ी को दूसरे प्रदेशों में भेजने पर लगी धारा 144 लगातार बड़ा मुद्दा बनती जा रही है। ऐसे में प्रदेश से बाहर तूड़ी की सप्लाई नहीं हो सकती। सरकार प्रदेश में चारा की कमी बता रही है तो उनके साथ-साथ गौशाला इस आदेश को ठीक बता रही है। ऐसा न होने पर गौशाला के पशु भूखे मर जाएंगे।
वहीं किसान और विपक्ष इसको किसानों के विरोधी कानून बता रहे है। किसानों व कांग्रेस का मानना है कि गेहूं उत्पादन कम होने से किसानों को नुकसान हुआ है। वे तूड़ी बेचकर कुछ राहत पा सकते हैं। ऐसे में इस कानून को खत्म किया जाना चाहिए और हम कानून को खत्म करने की मांग करते हैं।
*गायों के लिए ज्यादा रेट पर तूड़ी खरीदनी मुश्किल*
राधाकृष्ण गौशाला प्रधान कृष्णलाल तनेजा ने बताया कि हम 20 साल से गौशाला चला रहे हैं। 1170 पशु हैं। आज तक हमें तूड़ी की चारे की कोई समस्या नहीं आई। पीछे नवंबर से तूड़ी का रेट काफी बढ़ गया है। सीजन में 300 से 350 रुपए में तूड़ी मिलती थी। गौशाला में 30 से 35 क्विंटल तूड़ी लगती है।
चारा भी 400 से 500 रुपए प्रति क्विंटल हो गया है। आने वाले समय में समस्या और ज्यादा होगी। सीजन में 880 रुपए के हिसाब से तूड़ी खरीदी है। सरकार से निवेदन है कि तूड़ी के प्रदेश से बाहर जाने पर रोक लगाई जाए। रेट पर भी अंकुश लगाए। गौशाला को हानि हो रही है।
*भविष्य को देखते हुए सरकार का आदेश*
डीसी अनीश यादव ने बताया कि इस बार गेहूं की पैदावार कम है। करीब 30 फीसदी कम हुआ है। ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा है कि गेहूं के उत्पादन के साथ चारा भी कम रहेगा। भविष्य को देखते हुए एतिहयात बरतने जा रहे हैं। इसके लिए धारा 144 लागू की है।
*सरकार समझे- अनाज कम, तूड़ी ज्यादा है*
विधायक शमशेर गोगी ने कहा कि यह सरकार का तानाशाही आदेश है। एक किसान मेहनत कर रहा है। सरकार की गलती की वजह से भुगतान कर रहा है। सरकार ने समय पर यूरिया और डीएपी मुहैया नहीं करवाया, जिसका किसानों की फसल की पैदावार पर 30 फीसदी तक असर हुआ है। उस पर बोनस देने की बजाए सरकार तूड़ी पर भी बैन लगा रही है।
सरकार के पास तूड़ी कम है। इस बार तो दाने कम हुए हैं, तूड़ी ज्यादा है। लोग स्टॉक कर रहे हैं। आज तूड़ी नहीं बिकने दोगे तो आने वाले समय बारिश में तूड़ी भीग कर खराब हो जाएगी। किसान को फिर से सस्ते दामों में बेचना पड़ेगा। भाजपा की नीयत व राष्ट्रवाद पर सवाल उठाता हूं। हम सब राष्ट्रवादी हैं। सरकार से अपील है कि इस आदेश को वापस ले लो। किसानाें को मारने का काम न करो।
*बोनस की बजाए, तूड़ी पर रोक*
किसान संदीप ने बताया कि सरकार को यह आदेश गलत है। इस बार किसानों की पैदावार कम हुई है। तूड़ी व पराली से किसान दो पैसे बना लेता तो क्या फर्क पड़ जाएगा। इससे उसका नुकसान की कुछ भरपाई हो जाएगी। हमारे लिए तो बहुत ही बहुत बढ़िया है। जब सरकार ने पॉलिसी बनाई है कि वह फसल को कहीं भी बेच सकते हैं।
अब धारा 144 लगाकर सरकार अपनी की पॉलिसी पर बैन लगा रही है। बाहर तूड़ी बेचने से उन्हें पैसा ज्यादा मिलता। किसानों को गेहूं का उत्पादन कम होने पर बोनस नहीं दिया। जब तूड़ा का रेट बढ़ गया तो व्यापारियों की फट सुन ली। फसल जलने के बाद सरकार कोई मुआवजा नहीं देती। और तो और किसानों को फायर ब्रिगेड का पैसा तक नहीं देती।
*तूड़ी बेचकर हो सकता था घाटा कम*
किसान विजय कुमार ने बताया कि जमींदार की अपनी चीज है, वह अपनी चीज को कहीं भी बेच सकती है। अब सरकार यह गलत आदेश लाई है। हर बार गेहूं की फसल प्रति एकड़ 24 क्विंटल होती थी। इस बार 15-16 क्विंटल तक ही सिमट गई। ऐसे में वह तूड़ी बेचकर घाटे को कुछ कम कर सकता था।
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