कुलदीप बिश्नाई की CM से मुलाकात:कांग्रेस नाराज चल रहे नेता का ट्वीट- आदमपुर पंचायत बहाली और राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा
चंडीगढ़ : हरियाणा के हिसार जिले के आदमपुर से विधायक कुलदीप बिश्नोई की सीएम मनोहर लाल से मुलाकात हुई। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष की कुर्सी न मिलने से नाराज चल रहे कुलदीप बिश्नोई की मुलाकात ने राजनीतिक गलियारों में नई चर्चा छेड़ दी है। हालांकि कुलदीप बिश्नोई ने इस मुलाकात को आदमपुर ग्राम पंचायत के संदर्भ में जोड़ा है।
बता दें कि कुलदीप बिश्नोई ने उदयभान को कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष बनाए जाने के बाद राहुल गांधी से समय मांगा था, परंतु 27 अप्रैल के बाद से अब तक उनकी राहुल गांधी से मुलाकात नहीं हो पाई है। कुलदीप तब से पार्टी गतिविधियों से दूरी बनाए हुए हैं। ऐसे में सीएम से मुलाकात ने उनकी भाजपा के साथ नजदीकियों की चर्चा छेड़ दी है।
बता दे कि इससे पहले भी आदमपुर की समस्याओं को लेकर कुलदीप बिश्नोई सीएम मनोहर लाल से मिलते रहे हैं। गुुरुवार को भी आदमपुर नगर पालिका क्षेत्र से आदमपुर गांव को अलग करने की मांग को लेकर कांग्रेसी विधायक कुलदीप बिश्नोई ने सीएम मनोहर लाल से मुलाकात की।
*कुलदीप ने इस बात की जानकारी खुद ट्वीट करके दी।*
कुलदीप ने लिखा कि सीएम से मुलाकात हो गई है, आदमपुर ग्राम पंचायत बहाली को लेकर चल रहे धरने एवं अन्य समस्याओं के निदान सहित राजनीतिक मुद्दों पर मुख्यमंत्री से गुरुग्राम में विस्तृत सकारात्मक चर्चा हुई। मैं उनका आभारी हूं कि उन्होंने आदमपुर ग्राम पंचायत बहाली को लेकर मेरी बात मानते हुए मेरे सामने अधिकारियों को निर्देश दिए।
*आदमपुर नगर पालिका में तीन पंचायतें*
हरियाणा सरकार ने 28 जून 2020 को आदमपुर नगर पालिका की नोटिफिकेशन जारी किया। आदमपुर की तीन पंचायतें, मंडी आदमपुर, आदमपुर गांव और जवाहर नगर को मिलाकर नगर पालिका में शामिल किया गया, परंतु आदमपुर गांव के लोग पिछले 40 दिनों से नगरपालिका क्षेत्र से बाहर रहने को लेकर धरना दे रहे हैं। कुलदीप बिश्नोई भी उनके धरने पर पहुंचे। कुलदीप बिश्नोई ने सीएम के समक्ष यह मुद्दा रखने का वादा किया था।
*भाजपा के साथ रह चुका कुलदीप की पार्टी का गठबंधन*
कुलदीप बिश्नोई ने हरियाणा कांग्रेस से अलग होकर हरियाणा जनहित कांग्रेस का गठन किया था। 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले दोनों ने गठबंधन में चुनाव लड़ा, परंतु इस चुनाव में कुलदीप के हिस्से में आई हिसार और सिरसा लोकसभा सीटें पार्टी हार गई। भाजपा ने 8 सीटों पर विजय हासिल की। विधानसभा चुनाव से पहले गठबंधन टूट गया। कुलदीप की पार्टी को 2 सीटें ही मिलीं। इसके बाद कुलदीप ने अपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय कर दिया।
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