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Friday, May 20, 2022

सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी का लाइसेंस रद्द, 8 साल बाद हरियाणा सरकार की कार्रवाई

सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी का लाइसेंस रद्द, 8 साल बाद हरियाणा सरकार की कार्रवाई

चंडीगढ़ : आखिरकार एक वक्त में चर्चाओं में रही सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा की स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी कंपनी का लाइसेंस हरियाणा सरकार के संबंधित विभाग टाउन एंड कंट्री प्लानिंग ने रद्द कर दिया है। उक्त कंपनी के अधिकारी काफी लंबे अरसे से लाइसेंस रिन्यू कराने के लिए प्रयास में जुटे हुए थे। उक्त कंपनी उस वक्त चर्चा में आई थी, जब राज्य के चर्चित अधिकारी अशोक खेमका ने बतौर चकबंदी विभाग महानिदेशक जमीन का इंतकाल रद्द कर दिया था। उस वक्त केंद्र में कांग्रेस की सरकार होने के साथ-साथ हरियाणा में भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में भी कांग्रेस की ही सरकार काम कर रही थी। आरोप है कि कौड़ियों के भाव खरीदी गई जमीन को वाड्रा की कंपनी ने करोड़ों का फायदा उठाते हुए डीएलएफ को बेच दिया।  यहां उल्लेखनीय है कि हरियाणा के गुरुग्राम जिले में स्थित शिकोहपुर गांव में 3.52 एकड़ जमीन पर कमर्शियल कॉलोनी काटने के लिए पूर्व हुड्डा सरकार के वक्त में लाइसेंस प्रदान किया गया था। उसी वक्त से यह मामला चर्चा और राष्ट्रीय सुर्खियों का विषय बना रहा है। खास बात यह है कि गुरुग्राम के शिकोहपुर गांव की जमीन पर कॉलोनी काटने के लिए 3:30 एकड़ से ज्यादा जमीन ली गई थी। सुबह में भाजपा की मनोहर सरकार वर्ष 2014 में सत्ता में आई और उसके बाद इस कंपनी के लाइसेंस को लेकर भी खूब राजनीति गरमाई। कंपनी की ओर से प्रयास था कि उक्त लाइसेंस का रिन्यूअल हो जाए लेकिन 8 साल लंबे इंतजार के बाद में हरियाणा सरकार के नगर एवं ग्राम आयोजन टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग में इस जमीन के लाइसेंस को नियम विरुद्ध बताते हुए रद्द करने के आदेश जारी कर दिए हैं। खास बात यह है कि जिस जमीन के लिए यह लाइसेंस दिया गया था उस जमीन पर कोई भी निर्माण कार्य नहीं हो सकेगा हालांकि इसके लिए प्रमुख कंपनी डीएलएफ की ओर से हरियाणा के इस विभाग के पास आवेदन किया हुआ था।  पूरे मामले में आरोप है कि कौड़ियों के भाव खरीदी गई इस जमीन को वाड्रा की कंपनी द्वारा डीएलएफ को भारी कीमत पर बेचा गया। हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी की सरकार आने के बाद पूरे मामले में जांच कराने के लिए पूर्व जस्टिस एसएन ढींगरा की अध्यक्षता में एक आयोग का गठन किया गया था। आयोग ने जांच पड़ताल करने के बाद एक रिपोर्ट तैयार करके सरकार को सौंप दी थी लेकिन रिपोर्ट 100 पर जाने के बावजूद उक्त मामले को सार्वजनिक नहीं किया गया। दूसरी तरफ कंपनी के अधिकारियों के साथ-साथ पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा आदि ने इस आयोग को पूरी तरह से अवैध और नियमों के विपरीत बताते हुए अदालत में चुनौती दे डाली थी। अदालत की ओर से इस रिपोर्ट के सार्वजनिक होने पर रोक लगाई गई थी लेकिन अभी तक आयोग के गठन को लेकर अदालत की ओर से कोई फैसला नहीं आया है। खास बात यह है कि रॉबर्ट वाड्रा की स्काईलाइट कंपनी की मोटेशन डॉ अशोक खेमका ने रद्द की थी वाड्रा की कंपनी ने ऊंचे दामों पर इस जमीन को देश की प्रमुख कंपनी डीएलएफ को बेचा था। बताया जा रहा है कि ओमकारेश्वर प्रॉपर्टी लिमिटेड की ओर से सबसे पहले गांव शिकोहपुर में कमर्शियल कॉलोनी के लिए इसी जमीन का लाइसेंस लिया गया था और बाद में यही जमीन वाड्रा की कंपनी स्काई लाइट को बेची गई। कुल मिलाकर बाकी प्रक्रिया पूरी करते हुए प्रोजेक्ट को पूरा करने की जिम्मेवारी डीएलएफ को दी गई 20 मई वर्ष 2012 को इस कॉलोनी का बिल्डिंग प्लान पास कर दिया गया जिसकी समय अवधि मई 2017 तक तय की गई थी लेकिन कॉलोनी का निर्माण नहीं हो सका इस बीच डीएलएफ की ओर से प्रयास किए जा रहे थे कि लाइसेंस रिन्यू कर दिया जाए इसके लिए वर्ष 2011 में नए लाइसेंस के लिए आवेदन दिया गया था जो अप्रूव हो गया था लेकिन नियम व शर्तों के मुताबिक 90 दिनों में दस्तावेज जमा कराने थे कंपनी की ओर से लगातार समय बढ़ाने की मांग की जा रही थी।

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