कल से शुरू होंगे गुप्त नवरात्र, जानिए पूजन विधि और महत्व
कुरुक्षेत्र : मां दुर्गा को शक्ति का प्रतीक माना जाता है। इनकी आराधना के लिए वर्ष में दो बार विशाल नवरात्रि पर्व मनाया जाता है। इसमें मां जगजननी भगवती दुर्गा के अलग-अलग नौ रूपों की उपासना की जाती है। इस नवरात्र को चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि के नाम से जाना जाता है लेकिन साल में दो बार नवरात्र ऐसे भी आते हैं जब मां दुर्गा की दस महाविद्याओं की पूजा की जाती है। इन्हें गुप्त नवरात्र कहा जाता है। गुरुवार 30 जून को, पुनर्वसु नक्षत्र, सर्वार्थ योग और ध्रुव योग से आषाढ़ गुप्त नवरात्र शुरू होंगे और इसका समापन नवमी तिथि शुक्रवार 8 जुलाई चित्रा नक्षत्र और शिव योग में होगा। दस महाविद्या की विशेष पूजा अर्चना श्रीदुर्गा देवी मन्दिर पिपली के अध्यक्ष व कॉस्मिक एस्ट्रो पिपली के डायरेक्टर ज्योतिष व वास्तु विशेषज्ञ डॉ.सुरेश मिश्रा ने बताया कि गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्याओं की साधना की जाती है। गुप्त नवरात्रि के समय साधक मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां ध्रूमावती, मां बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी की पूजा करते हैं। गुप्त नवरात्रि विशेषकर तांत्रिक क्रियाएं, शक्ति साधना, महाकाल आदि से जुड़े भक्त जनों के लिए विशेष महत्त्व रखती है। इस समय मां दुर्गा के साधक कठोर नियम के साथ व्रत और साधना करते हैं। इसीलिए गुप्त नवरात्र में विशेष पूजा किसी सात्त्विक विद्वान ब्राह्मण के मार्गदर्शन में ही करनी चाहिए। ब्राह्मण अर्थात ब्रह्म को जानने वाला और जिसको कीलक, निष्कीलन और शापोद्धार विधान किसी सद्गुरु द्वारा प्राप्त हो। माघ नवरात्री उत्तरी भारत में अधिक प्रसिद्ध है और आषाढ़ नवरात्रि मुख्य रूप से दक्षिणी भारत में लोकप्रिय है। गुप्त नवरात्रि में विशेष नियम का ध्यान रखें नौ दिनों तक ब्रह्मचर्य नियम का जरूर पालन करें। तामसिक भोजन का त्याग करें। किसी का बुरा मत सोचो और वाद विवाद से बचें। निर्जला अथवा फलाहार उपवास रखें। मां दुर्गा की पूजा, उपासना, जप और आरती आदि करें। लहसुन-प्याज का उपयोग न करें। अपने माता-पिता की सेवा और कंजकों का आदर सत्कार करें। गौ सेवा और जीव जन्तुओं और पक्षियों की सेवा करें। क्रोध पर नियंत्रण और वाणी का संयम रखें। सभी का मंगल हो और विश्व का कल्याण हो यह मंगल प्रार्थना भी करें।
No comments:
Post a Comment