दो साल बाद भाखड़ा और पौंग डैम लबालब:हिमाचल में सरप्लस बिजली उत्पादन, पंजाब-हरियाणा और राजस्थान में नहीं रहेगी पानी की कमी
हिमाचल के साथ-साथ उत्तर भारत के 3 राज्यों- पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और केंद्रशासित प्रदेश चंडीगढ़ के लिए अच्छी खबर है। इन राज्यों को पानी सप्लाई करने वाले हिमाचल के 2 सबसे बड़े डैम भाखड़ा और पौंग लबालब होने की तरफ है। हिमाचल के साथ-साथ पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और चंडीगढ़ की लाइफ लाइन कहे जाने वाले यह दोनों डैम भरने से लोगों को सालभर पीने और खेती के लिए पानी की कमी नहीं रहेगी। यही नहीं, इस बार मानसून सीजन में हो रही अच्छी बरसात से हिमाचल के 80% से ज्यादा दूसरे डैम भी लगभग भर चुके हैं।
दो साल बाद भाखड़ा और पौंग डैम का फुल भरना पंजाब, हरियाणा और राजस्थान की खेतीबाड़ी के लिए टॉनिक का काम करेगा। इन दोनों डैम का पानी नहरों के जरिये इन राज्यों में खेतों तक पहुंचता है। इस बार मई-जून में पड़ी भयंकर गर्मी में हिमाचल के ऊपरी इलाकों में ग्लेशियर पिघलने की वजह से अच्छा-खासा पानी आने के बावजूद भाखड़ा और पौंग डैम खाली पड़े थे। इससे तीनों राज्यों में किसानों के साथ-साथ सरकारें भी परेशान थीं। अब मानसून ने सारी चिंताएं दूर कर दी हैं।
भाखड़ा डैम का वाटर लेवल इस समय 1639.67 फीट है जो एक महीने पहले 1557.64 फीट था। बीते 30 दिन में बांध का वाटर लेवल 82.03 फीट बढ़ा है। वाटर लेवल 1681.76 फीट पहुंच जाने पर भाखड़ा डैम के गेट खोलने पड़ते हैं। यानि अभी भाखड़ा का वाटर लेवल खतरे के निशान से 42.09 फीट नीचे है।
दूसरी ओर पौंग डैम का वाटर लेवल इस समय 1359.09 फीट है। वाटर लेवल 1420.99 फीट पर पहुंच जाने के बाद पौंग डैम के गेट खोलकर पानी रिलीज करना पड़ता है। इस लिहाज से पौंग डैम का वाटर लेवल अभी खतरे के निशान से 61.9 फीट नीचे है।
दोनों डैम 2021 में मानसूनी बरसात के बावजूद खाली रह गए थे। 2020 में भी इनमें पूरा पानी नहीं आया था। इस लिहाज से दो साल बाद दोनों बांधों का फुल होना अच्छे संकेत हैं।
पिछले साल मानसून में भाखड़ा और पौंग डैम मुश्किल से आधे भर पाए थे। इस बार इनके पूरा भरने की उम्मीद है। मौसम वैज्ञानिकों की मानें तो प्रदेश में अभी महीनेभर तक अच्छी बारिश के आसार है। अगर ऐसा हुआ तो दोनों डैम भर जाएंगे।
*हिमाचल बेच रहा 232 लाख यूनिट बिजली*
भाखड़ा-पौंग समेत दूसरे सारे डैम भरने की वजह से हिमाचल में बिजली उत्पादन बढ़ गया है। इस समय हिमाचल 232 लाख यूनिट या इससे ज्यादा बिजली पड़ोसी राज्यों को बेच रहा है। घाटे में चल रहे हिमाचल के बिजली बोर्ड के लिए यह राहतभरी खबर है। सारे डैम भरे होने की वजह से आगे भी पूरी क्षमता से बिजली उत्पादन जारी रहने की उम्मीद है।
पर्यावरण वैज्ञानिकों की मानें तो इस साल मार्च से ही गर्मी शुरू हो गई थी। अप्रैल-मई में तेज गर्मी की वजह से बर्फ बहुत तेजी से पिघली मगर नदियों में पूरा पानी नहीं आया और डैम खाली रह गए। हिमाचल की राज्य विज्ञान, पर्यावरण एवं प्रौद्योगिकी परिषद (HIMCOSTE) की रिपोर्ट के मुताबिक- हिमाचल से निकलने वाली रावी, ब्यास, सतलुज और चिनाब, चारों नदियों के बेसिन पर बर्फ पिघलने की दर इस बार 19 से 25% रही जबकि सामान्यत: यह 4 से 10% ही होती है।
*मानसून ने दी राहत*
मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, जो ग्लेशियर सामान्यत मई-जून के बाद जुलाई आते-आते पिघलते थे, वह इस बार मई या उससे पहले ही पिघल गए। नतीजा- जून में इन डैम में जो पानी आना चाहिए था, वह नहीं आया। ऐसे में पूरा दारोमदार मानसून पर टिका था। राहत की बात है कि मानसून में अच्छी बरसात से डैम काफी हद तक भर चुके हैं।
कुछ जगह तो डैम इतने भर चुके हैं कि उनके फ्लड गेट से पानी रिलीज करना पड़ रहा है। 5 दिन पहले ही ब्यास नदी पर बने पंडोह डैम से लगभग 30 घंटे तक लगातार पानी छोड़ना पड़ा था।
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