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Sunday, April 7, 2024

सोमवती अमावस्या आठ को, पिंडारा तीर्थ पर उमड़ेगी श्रद्धालुओं की भीड़

सोमवती अमावस्या आठ को, पिंडारा तीर्थ पर उमड़ेगी श्रद्धालुओं की भीड़
चैत्र माह कृष्ण पक्ष की सोमवती अमावस्या पर पितृ तर्पण का विशेष महत्व
वर्ष 2024 की है पहली सोमवती अमवस्या, साल में आएंगी तीन सोमवती अमवस्याएं
जींद : इस बार चैत्र माह कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि आठ अप्रैल को है। सोमवार को होने के कारण इसे सोमवती अमावस्या के नाम से जाना जाता है। इस दिन देवों के देव महादेव और मां पार्वती की विशेष पूजा और व्रत करने का विधान है। साथ ही पितरों का तर्पण किया जाता है। माना जाता है कि ऐसा करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है और व्रती को अखंड सौभाग्य, खुशहाली और पितरों का आशीर्वाद मिलता है। पंचांग के अनुसार चैत्र माह कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि का प्रारंभ आठ अप्रैल को सुबह तीन बजकर 21 मिनट से होगा और इस तिथि का समापन इसी दिन रात को 11 बजकर 50 मिनट पर होगा। वर्ष 2024 की है पहली सोमवती अमवस्या
वर्ष 2024 की पहली सोमवती अमावस्या आठ अप्रैल (सोमवार) को है। ऐसे में पांडू पिंडारा स्थित पिंडतारक तीर्थ पर सोमवार को सैंकडों की संख्या में श्रद्धालु सरोवर में स्नान कर तर्पण करेंगे। श्रद्धालुओं की भीड़ की संभावना को देखते हुए प्रशासन ने भी तैयारियां शुरू कर रखी हैं। स्पेशल पुलिसकर्मियों की डयूटी लगाई गई हैं। वहीं वालेंटियर व श्रद्धालु व्यवस्था की कमान संभालेंगे। जींद-गोहाना मार्ग पर जाम की स्थिति न रहे, इसके लिए ट्रैफिक पुलिस भी कमान संभाले रहेगी। 
*2024 में तीन सोमवती अमावस्या के बनेंगे योग*
*पहला योग आठ अप्रैल को।*
*दूसरा योग दो सितंबर को*
*तीसरा योग 30 दिसंबर को*
*यह रहेगी सोमवती अमवस्या की पूजा-विधि*
पांडु पिंडारा वक्तानंद आश्रम के जसवंत शास्त्री ने बताया कि सुबह जल्दी उठ कर स्नान करें। इस दिन पवित्र नदी या सरोवर में स्नान करने का विशेष महत्व रहता है। अगर सरोवर या नदी में स्नान नहीं किया जा सकता है तो घर पर ही नहाने के पानी में गंगा जल डाल कर स्नान कर सकते हैं। स्नान करने के पश्चात घर के मंदिर में दीप प्रज्जवलि करें। सूर्य देव को अध्र्य दें। अगर उपवास रख सकते हैं तो अवश्य रखें। पितरों के निमित्त तर्पण और दान अवश्य करें। अपने ईष्ट देव का अधिक से अधिक ध्यान करें। 
पिंडारा तीर्थ का यह है महत्व
पिंडतारक तीर्थ के संबंध में किदवंती है कि महाभारत युद्ध के बाद पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पांडवों ने यहां 12 वर्ष तक सोमवती अमावस्या की प्रतीक्षा में तपस्या की। बाद में सोमवती अमावस के आने पर युद्ध में मारे गए परिजनों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान किया। तभी से यह माना जाता है कि पांडू पिंडारा स्थित पिंडतारक तीर्थ पर पिंडदान करने से पूर्वजों को मोक्ष मिल जाता है। महाभारत काल से ही पितृ विसर्जन की अमावस्या, विशेषकर सोमवती अमावस्या पर यहां पिंडदान करने का विशेष महत्व है। यहां पिंडदान करने के लिए विभिन्न प्रांतों के लोग श्रद्धालु आते हैं। 
*फाल्गुन माह की अमावस्या में पूजा व पितृ तर्पण का विशेष महत्व : जसवंत शास्त्री*
पांडु पिंडारा वक्तानंद आश्रम के जसवंत शास्त्री ने बताया कि हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र माह की अमावस्या विशेष होती है। पूर्वजों की कृपा से परिवार में खुशहाली और समृद्धि आती है। इसके अलावा सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं भी पूर्ण होती हैं।

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