'सुनना है तो सुनो, नहीं तो 10 लोग...' राहुल के सामने ही खरगे ये क्या बोल गए
राहुल के सामने खरगे क्यों भड़क गए
सासाराम : बिहार के सासाराम में कांग्रेस की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ की शुरुआत एक जबरदस्त सियासी हलचल के साथ हुई. सुआरा हवाई अड्डा मैदान में आयोजित इस विशाल रैली में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने ऐसा बयान दिया, जिसने सभी को हैरान कर दिया. राहुल गांधी, लालू प्रसाद यादव, तेजस्वी यादव और अन्य विपक्षी नेताओं की मौजूदगी में खरगे भाषण देने के दौरान एक बार कहा, ‘सुनना है तो सुनो, नहीं तो 10 लोग रहेंगे तो भी मैं भाषण देता रहूंगा.’ दरअसल, भीड़ की तरफ से लगातार आवाजें और नारे लगाए जा रहे थे, जिससे खरगे को बोलने में दिक्कतें हो रही थीं. खरगे एक-दो बार बातों से और हाथ से शांत रहने की अपील की, लेकिन जब भीड़ नहीं मानी तो खरगे का धैर्य जवाब दे दिया.
इस बयान के बाद मंच पर मौजूद राहुल गांधी, तेजस्वी यादव, लालू यादव, और अन्य नेता भी थोड़े चौंकते नजर आए, जबकि भीड़ कुछ क्षणों के लिए शांत हो गई. फिर धीरे-धीरे तालियां गूंजने लगीं, लेकिन इस वक्तव्य ने कई राजनीतिक अर्थों और अटकलों को जन्म दे दिया. मंच पर तेजस्वी यादव और लालू यादव दोनों ही उस बयान पर कोई टिप्पणी करते नजर नहीं आए. लालू यादव ने अपने भाषण में केवल बीजेपी पर हमला बोला और “लोकतंत्र की हत्या” की बात कही. तेजस्वी ने वोटर लिस्ट के मुद्दे को ‘गरीबों की पहचान मिटाने की साज़िश’ बताया.
*खरगे भाषण के दौरान क्यों भड़के?*
राहुल गांधी रविवार से मतदाता सूची में कथित अनियमितताओं और विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के जरिए वोटरों के अधिकारों पर हो रहे हमले को उजागर करने लिए वोटर अधिकार यात्रा पर निकले हैं. लेकिन खरगे का बयान रैली का सबसे चर्चित क्षण बन गया. उन्होंने बीजेपी पर संविधान को कमजोर करने और ‘वोट चोरी’ की साजिश रचने का आरोप लगाया. खरगे ने कहा, ‘हम चुप नहीं रहेंगे. अगर सरकार और आयोग हमारी बात नहीं सुनेंगे, तो जनता सड़कों पर उतरेगी. एक नहीं, 10 लोग तैयार हैं, जो इस अन्याय के खिलाफ लड़ेंगे.’ उनके इस तीखे अंदाज ने मंच पर बैठे नेताओं और हजारों समर्थकों को उत्साहित कर दिया, लेकिन बीजेपी खेमे में इसे ‘उकसावे वाला’ बयान करार दिया गया.
*बीजेपी पर जमकर बरसे खरगे*
खरगे ने अपने भाषण में बिहार के लोगों से अपील की कि वे मतदाता सूची की जांच करें और सुनिश्चित करें कि उनका वोट सुरक्षित रहे. उन्होंने कहा, ‘बीजेपी डरती है, क्योंकि बिहार की जनता अब जाग चुकी है. हमारी यह यात्रा केवल वोट की रक्षा के लिए नहीं, बल्कि संविधान और लोकतंत्र को बचाने की लड़ाई है.’ उन्होंने जातीय गणना और 50% आरक्षण सीमा हटाने की मांग को भी जोरदार तरीके से उठाया. रैली में मौजूद कन्हैया कुमार, भाकपा माले के दीपंकर भट्टाचार्य और वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी ने भी खरगे के बयान का समर्थन किया.इस बयान ने सोशल मीडिया, खासकर एक्स पर तीव्र प्रतिक्रियाएं बटोरीं.
सासाराम रैली ने बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले महागठबंधन की एकजुटता और आक्रामक रणनीति को प्रदर्शित किया. खरगे का बयान न केवल बीजेपी के लिए चुनौती है, बल्कि यह भी संदेश देता है कि कांग्रेस अब बिहार में अपनी स्वतंत्र पहचान मजबूत करने को तैयार है. क्या यह बयान बिहार की सियासत में नया मोड़ लाएगा, यह तो आने वाला समय बताएगा, लेकिन फिलहाल सासाराम की यह रैली चर्चा का केंद्र बनी हुई है.
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