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Saturday, June 12, 2021

June 12, 2021

कोराेना से मरनेे वालों का आंकड़ा छुपा रही हरियाणा सरकार

कोराेना से मरनेे वालों का आंकड़ा छुपा रही हरियाणा सरकार
चंडीगढ़:  राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि कोरोना से हुई मौतों के संबंध में देश के विभिन्न राज्यों से आ रही खबरों से हरियाणा के लोगों में ये आशंका और अधिक गहरा गई है कि प्रदेश में बड़े पैमाने पर मौत के आंकड़ों को सरकार छुपा रही है। उन्होंने कहा कि हरियाणा में 22 जिले हैं, यदि हर जिले के सबसे बड़े एक गांव का भी निष्पक्ष व पारदर्शी तरीके से सर्वे कराया जाए तो अप्रैल और मई में मृतकों के चौंकाने वाले आंकड़े सामने आएंगे। दीपेंद्र ने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान एक-एक गांव में 50 तक भी मृत्यु होने की खबरें सामने आई, लेकिन सरकारी रिकार्ड में ये मौतें दर्ज नहीं की गयीं। उन्होंने फिर ये मांग दोहरायी कि अप्रैल और मई के महीने में अब तक प्रदेश में कुल कितनी मौतें हुई हैं उसका निष्पक्ष सर्वे कराकर सरकार आंकड़ा सार्वजनिक करे। दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि कोरोना रोगियों की मौतों के सरकारी दावों और जमीनी हकीकत में रात-दिन का अंतर है और ये बात लगातार सामने आ रही खबरों से भी साबित होती है। हरियाणा के स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार 8861 मौतें हरियाणा में सरकार ने मानी है। लेकिन लोगों का मानना है कि हकीक़त में ये संख्या इससे कहीं ज्यादा है।

सरकार को 22 जिलों में हर जिले के कम से कम एक बड़े गाँव का सर्वे कराना चाहिए, ताकि पता चल सके कि हकीक़त में कितनी मृत्यु हुई हैं और सरकारी आंकड़ों में कितनी मृत्यु दर्ज हुई है। सरकार को इस संबंध में पारदर्शी तरीके से स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। देश के विभिन्न राज्यों में कोरोना से हुई मौतों के आंकड़ों की हेराफेरी की खबरों से हरियाणा में लोग कोरोना की दूसरी लहर में हुई मौतों के सरकारी दावे पर यकीन करने को तैयार नही हैं। अप्रैल और मई महीने में जिस प्रकार कोरोना ने तांडव मचाया उसे देखते हुए सरकार के तमाम दावे गुमराह करने वाले प्रतीत होते हैं। सरकार को समझना चाहिए कि आंकड़े छिपाने से ना हकीकत बदलेगी, ना कोरोना कम होगा और ना ही अपने प्रियजनों को खोने वालों का दर्द कम होगा। मौत के आंकड़े छुपाकर कोरोना से जंग नहीं जीती जा सकती।

Saturday, June 6, 2020

June 06, 2020

1 जुलाई से स्कूल खोलने के फैसले पर प्रदेशभर के अभिभावको से साथ आए दीपेंद्र सिंह हुड्डा, फैसले को गलत करार देते हुए जताई आपत्ति

1 जुलाई से स्कूल खोलने के फैसले पर दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने जताई आपत्ति

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चंडीगढ़। राज्यसभा सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा(Rajya Sabha MP Deepender Singh Hooda) ने प्रदेश सरकार के स्कूल और कॉलेज खोलने वाले फैसले पर आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि आज भी पूरी दुनिया पर काेरोना संक्रमण(Corona infection) का खतरा मंडरा रहा है। खुद सरकार (Government) मानती है कि कोरोना से लड़ाई अभी लंबी चलेगी। आज कोरोना की वजह से पूरी दुनिया अनिश्चितता से गिरी हुई है। बावजूद इसके ये समझ से परे है कि हरियाणा सरकार(Government of Haryana) 1 जुलाई से स्कूल खोलने को लेकर इतनी निश्चित और निश्चिंत कैसे है। अभिभावक, टीचर्स, शिक्षाविद और विशेषज्ञ इस फ़ैसले पर हैरानी जता रहे हैं। केंद्र सरकार ने अनलॉक वन की गाइडलाइन में कहा है कि दूसरे चरण में स्कूल, कॉलेज और शैक्षणिक संस्थान खोलें जाएं। लेकिन राज्य सरकारें स्कूलों और बच्चों के माता-पिता से बात करके ही ऐसा फैसला लें। इसलिए प्रदेश सरकार अपने मौजूदा निर्णय को स्थगित करते हुए स्कूलों और अभिभावकों से बातचीत करनी चाहिए। हालात की पूरी समीक्षा के बाद ही आगे का फैसला गाइडलाइन के अनुसार जुलाई में ही लेना चाहिए। 

स्कूल और कॉलेज शुरू करना घातक साबित हो सकता

सांसद दीपेंद्र ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से देशभर के साथ हरियाणा में कोरोना ने जो रफ्तार पकड़ी है, वो सामान्य नहीं है। प्रतिदिन 100, 200, 300 केस सामने आ रहे हैं। ये बीमारी अब गांव में भी घुस चुकी है। ऐसे में स्कूल और कॉलेज शुरू करना घातक साबित हो सकता है। अगर आधे स्टूडेंट्स के फार्मूला पर भी क्लास शुरू की जाएंगी तो भी एक क्लास में कम से कम 15 से 20 विद्यार्थी रहेंगे। एक ही कमरे में 15 से 20 विद्यार्थियों का एकसाथ मौजूद रहना, किसी भी संक्रमण के लिए आदर्श स्थिति है। ऊपर से विद्यार्थियों को स्कूल-कॉलेज में एक ही वॉशरूम इस्तेमाल करना पड़ता है। ऐसे में सोशल डिस्टेंसिंग के कोई मायने नहीं रह जाते। बच्चों और किशोरों के लिए डिस्टेंसिंग और सेनेटाइज़ेशन जैसे कई एहतियात बरत पाना मुश्किल है। 

केंद्र सरकार ने अबतक स्पष्ट नीति नहीं बनाई

दीपेंद्र ने कहा कि कॉलेज और यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स को लेकर भी प्रदेश व केंद्र सरकार ने अबतक स्पष्ट नीति नहीं बनाई है। आईआईटी कानपुर-मेरठ-मुम्बई, एमिटी राजस्थान, महाराष्ट्र सरकार और दिल्ली यूनिवर्सिटी ने बिना परीक्षाओं के छात्रों को प्रोमोट करने का फैसला लिया है। ऐसे में हरियाणा की यूनिवर्सिटीज को भी इस तर्ज पर यूजी, पीजी और अन्य कोर्सिज के छात्रों को प्रोमोट करना चाहिए। हरियाणा में एनआईटी कुरुक्षेत्र ने इसी आधार पर सभी स्टूडेंट्स को प्रमोट कर दिया है। लेकिन केंद्र सरकार को इस बारे में सभी यूनिवर्सिटीज के लिए एक गाइडलाइन जारी करनी चाहिए। क्योंकि कुछ यूनिवर्सिटीज फाइनल ईयर स्टूडेंट्स को प्रमोट नहीं कर रही हैं। अगर प्रमोट करने का क्राइटेरिया, प्रक्रिया और समय सीमा एक जैसी होगी तो स्टूडेंट्स को आगे एडमिशन में किसी तरह की दिक्कत पेश नहीं आएगी।इसी मांग को लेकर एनएसयूआई कोर्ट में एक याचिका भी लगाने जा रही है।