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Saturday, June 6, 2020

1 जुलाई से स्कूल खोलने के फैसले पर प्रदेशभर के अभिभावको से साथ आए दीपेंद्र सिंह हुड्डा, फैसले को गलत करार देते हुए जताई आपत्ति

1 जुलाई से स्कूल खोलने के फैसले पर दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने जताई आपत्ति

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चंडीगढ़। राज्यसभा सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा(Rajya Sabha MP Deepender Singh Hooda) ने प्रदेश सरकार के स्कूल और कॉलेज खोलने वाले फैसले पर आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि आज भी पूरी दुनिया पर काेरोना संक्रमण(Corona infection) का खतरा मंडरा रहा है। खुद सरकार (Government) मानती है कि कोरोना से लड़ाई अभी लंबी चलेगी। आज कोरोना की वजह से पूरी दुनिया अनिश्चितता से गिरी हुई है। बावजूद इसके ये समझ से परे है कि हरियाणा सरकार(Government of Haryana) 1 जुलाई से स्कूल खोलने को लेकर इतनी निश्चित और निश्चिंत कैसे है। अभिभावक, टीचर्स, शिक्षाविद और विशेषज्ञ इस फ़ैसले पर हैरानी जता रहे हैं। केंद्र सरकार ने अनलॉक वन की गाइडलाइन में कहा है कि दूसरे चरण में स्कूल, कॉलेज और शैक्षणिक संस्थान खोलें जाएं। लेकिन राज्य सरकारें स्कूलों और बच्चों के माता-पिता से बात करके ही ऐसा फैसला लें। इसलिए प्रदेश सरकार अपने मौजूदा निर्णय को स्थगित करते हुए स्कूलों और अभिभावकों से बातचीत करनी चाहिए। हालात की पूरी समीक्षा के बाद ही आगे का फैसला गाइडलाइन के अनुसार जुलाई में ही लेना चाहिए। 

स्कूल और कॉलेज शुरू करना घातक साबित हो सकता

सांसद दीपेंद्र ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से देशभर के साथ हरियाणा में कोरोना ने जो रफ्तार पकड़ी है, वो सामान्य नहीं है। प्रतिदिन 100, 200, 300 केस सामने आ रहे हैं। ये बीमारी अब गांव में भी घुस चुकी है। ऐसे में स्कूल और कॉलेज शुरू करना घातक साबित हो सकता है। अगर आधे स्टूडेंट्स के फार्मूला पर भी क्लास शुरू की जाएंगी तो भी एक क्लास में कम से कम 15 से 20 विद्यार्थी रहेंगे। एक ही कमरे में 15 से 20 विद्यार्थियों का एकसाथ मौजूद रहना, किसी भी संक्रमण के लिए आदर्श स्थिति है। ऊपर से विद्यार्थियों को स्कूल-कॉलेज में एक ही वॉशरूम इस्तेमाल करना पड़ता है। ऐसे में सोशल डिस्टेंसिंग के कोई मायने नहीं रह जाते। बच्चों और किशोरों के लिए डिस्टेंसिंग और सेनेटाइज़ेशन जैसे कई एहतियात बरत पाना मुश्किल है। 

केंद्र सरकार ने अबतक स्पष्ट नीति नहीं बनाई

दीपेंद्र ने कहा कि कॉलेज और यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स को लेकर भी प्रदेश व केंद्र सरकार ने अबतक स्पष्ट नीति नहीं बनाई है। आईआईटी कानपुर-मेरठ-मुम्बई, एमिटी राजस्थान, महाराष्ट्र सरकार और दिल्ली यूनिवर्सिटी ने बिना परीक्षाओं के छात्रों को प्रोमोट करने का फैसला लिया है। ऐसे में हरियाणा की यूनिवर्सिटीज को भी इस तर्ज पर यूजी, पीजी और अन्य कोर्सिज के छात्रों को प्रोमोट करना चाहिए। हरियाणा में एनआईटी कुरुक्षेत्र ने इसी आधार पर सभी स्टूडेंट्स को प्रमोट कर दिया है। लेकिन केंद्र सरकार को इस बारे में सभी यूनिवर्सिटीज के लिए एक गाइडलाइन जारी करनी चाहिए। क्योंकि कुछ यूनिवर्सिटीज फाइनल ईयर स्टूडेंट्स को प्रमोट नहीं कर रही हैं। अगर प्रमोट करने का क्राइटेरिया, प्रक्रिया और समय सीमा एक जैसी होगी तो स्टूडेंट्स को आगे एडमिशन में किसी तरह की दिक्कत पेश नहीं आएगी।इसी मांग को लेकर एनएसयूआई कोर्ट में एक याचिका भी लगाने जा रही है।

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