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Tuesday, July 14, 2020

हरियाणा भाजपा अध्‍यक्ष पद जाट-गैरजाट के द्वंद्व में फंसी आलाकमान,

हरियाणा भाजपा अध्‍यक्ष पद जाट-गैरजाट के द्वंद्व में फंसी आलाकमान रोज बन रहे नए समीकरण


चंडीगढ़। हरियाणा में भाजपा अध्यक्ष की नियुक्ति राजनीतिक पहेली बन गई है। भाजपा हाईकमान प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति में प्रांतीय नेतृत्व से राय भी ले रहा है और उसकी राय को स्वीकार भी नहीं किया जा रहा है। प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति में हो रही देरी के मद्देनजर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) को अब दखल देना पड़ सकता है।

*राजनीतिक पहेली बन गई अध्यक्ष की नियुक्ति*

भाजपा हाईकमान सिर्फ प्रांतीय नेतृत्व की सिफारिश के आधार पर ही प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति करने को तैयार नहीं है। प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति करने से पहले कई तरह के राजनीतिक फैक्टर देखे जा रहे हैैं। प्रांतीय नेतृत्व ने हालांकि प्रदेश अध्यक्ष के पद पर गैर जाट नेताओं के नाम दिए थे,लेकिन हाईकमान इसके लिए तैयार नजर नहीं आ रहा है।

प्रदेश नेतृत्व ने सुझाए हाईकमान को गैर जाट नेताओं के नाम

बरोदा विधानसभा के उपचुनाव हो या फिर अगले चार साल का भाजपा सरकार का कार्यकाल, हाईकमान को लगता है कि हरियाणा भाजपा को डमी की बजाय मजबूत व ताकतवर अध्यक्ष की जरूरत है। भाजपा के पास गैर जाट नेताओं की कमी नहीं है,लेकिन जाट नेताओं का अभाव बना हुआ है।

भाजपा हाईकमान देना चाह रहा, किसी कद्दावर जाट नेता को कमान

भाजपा दावा कर सकती है कि उसके पास जेपी दलाल, कमलेश ढांडा और महीपाल ढांडा के रूप में जाट नेता हैैं, लेकिन दलाल कांग्रेस और कमलेश इनेलो से आए हैैं। महीपाल का राजनीतिक कद हरियाणा के बाकी जाट नेताओं के बराबर नहीं है। ऐसे में भाजपा किसी जाट और कद्दावर नेता पर दांव खेलना चाह रही है। कांग्रेस के पास जाट नेताओं के रूप में भूपेंद्र सिंह हुड्डा, रणदीप सिंह सुरजेवाला, किरण चौधरी,जननायक जनता पार्टी के पास दुष्यंत चौटाला और इनेलो के पास ओमप्रकाश चौटाला व अभय सिंह चौटाला के रूप में कद्दावर जाट नेता हैैं। भाजपा दावा कर सकती है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह भी जाट हैैं,लेकिन अब उनकी उम्र हो चुकी है। उनके बेटे बृजेंद्र सिंह और सांसद धर्मबीर प्रदेश अध्यक्ष पद की लाइन में नहीं हैैं। मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला को पार्टी हाईकमान नकार चुका है। भाजपा हाईकमान के पास अब जाट नेताओं के रूप में कैप्टन अभिमन्यु और ओमप्रकाश धनखड़ के नाम ही बचे हैैं। इन दोनों जाट नेताओं का बड़ा रुतबा है और वह दूसरे दलों के कद्दावर नेताओं से टकराने का माद्दा रखते हैैं। गैर जाट नेताओं में केंद्रीय राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर और रतनलाल कटारिया के नाम मजबूती से लिए जा रहे हैैं। भाजपा के प्रांतीय महामंत्री संदीप जोशी के पिता प्रदेश अध्यक्ष और दादा जनसंघ के समय विधायक रहे हैैं। उनकी संघ में मजबूत पकड़ है। पूर्व उद्योग मंत्री विपुल गोयल भी भाजपा हाईकमान में अपनी अच्छी खासी घुसपैठ रखते हैैं। ऐसे में भाजपा हाईकमान को अब सिर्फ यही निर्णय लेना है कि वह किसी जाट नेता पर दांव खेले या फिर गैर जाट को प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपे। इस पर निर्णय लेने में पार्टी को अभी कुछ समय और लग सकता है।

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