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Sunday, August 23, 2020

गड़बड़ी:7.5 करोड़ के रिटर्न को भेजे 150 करोड़ के फर्जी बिल, डेढ़ माह पहले पकड़ी थी फर्जी बिलिंग

गड़बड़ी:7.5 करोड़ के रिटर्न को भेजे 150 करोड़ के फर्जी बिल, डेढ़ माह पहले पकड़ी थी फर्जी बिलिंग

सोनीपत के फर्म संचालक को दस्तावेजों में हेर-फेर का दोषी माना

रोहतक : साेनीपत जिले के एक कारोबारी ने जीएसटी विभाग में रजिस्ट्रेशन कराने के एक माह में बादाम के तेल का कारोबार कागजों पर 150 करोड़ रुपए दिखाकर साढ़े सात करोड़ की जीएसटी चोरी का प्रयास किया। कारोबारी ने मारुति ट्रेडर्स के नाम से जनवरी 2020 में विभाग में रजिस्ट्रेशन कराया था, लेकिन 5 महीने तक संचालक ने कारोबार की जीएसटी रिटर्न फाइल नहीं की।
छठे महीने जैसे ही संचालक ने फाइल रिटर्न की ताे रोहतक जीएसटी आयुक्तालय की एंटी एवेजन शाखा के उच्चाधिकारियों की ओर से किए जा रहे सर्वे में जुटी टीम की इस पर नजर पड़ गई। टीम काे जीएसटी चाेरी का संदेह हुआ। जांच में जीएसटी चाेरी का भेद खुल गया। उच्चाधिकारियों ने टीम गठित कर सोनीपत के फर्म संचालक की तलाश शुरू कर दी है।
आयुक्तालय के उच्चाधिकारी बताते हैं कि टीम ने सोनीपत में जाकर फर्म के पते की जांच की तो वहां पर कुछ नहीं मिला। साढ़े 7 करोड़ रुपए का इनपुट टैक्स क्रेडिट की राशि फर्म संचालक के खाते में सरकार की ओर से ट्रांसफर की जाती इससे पहले आयुक्तालय के कमिश्नर विजय मोहन जैन के आदेश पर आरोपी के फर्म के नाम पर खुले बैंक खाते फ्रीज कर दिए गए। रोहतक आयुक्तालय की टीम की ओर से फर्जीवाड़ा पकड़ने के बाद आरोपी फर्म संचालक ने ग्रेटर नोएडा में फेक बिल लेने का फर्जीवाड़ा किया है। अब गिरफ्तारी को टीमें गठित की हैं।

78 फेक बिलों से कच्चा माल खरीदना दिखाया

आयुक्तालय के जांच अधिकारी बताते हैं कि सोनीपत की फर्म मारुति ट्रेडर्स के संचालक ने एक 78 फेक इनवाइस के जरिए बादाम का तेल तैयार करने के लिए कच्चा माल खरीदना दिखाया। चंद दिनाें में 150 कराेड़ रुपए का कारोबार रिटर्न में दिखा दिया। आरोपी फर्म संचालक सरकार की ओर से दी जाने वाली साढ़े सात करोड़ की इनपुट टैक्स क्रेडिट की राशि पाने के लिए क्लेम करता, इससे पहले की एंटी एवेजन शाखा के उच्चाधिकारियों ने कार्रवाई करते हुए नुकसान से बचा लिया।

जून 2019 में सोनीपत में मिला था 38 करोड़ रुपए की जीएसटी चोरी का केस

सीजीएसटी विभाग की एंटी एवेजन टीम ने जून 2019 में साेनीपत जिले के आरोपी फर्म संचालक को दो बाेगस फर्म शाह इंपैक्स व ऑर्चिड ओवरसीज नाम से सीजीएसटी विभाग में रजिस्ट्रेशन कराकर जीएसटी नंबर लिया था। आरोपी ने दो साल में 18 शहरों में 142 लोगों को फेक इनवाइस जारी कर 254 करोड़ रुपए का टर्न ओवर दिखाया। इसके बाद सरकार से 38 करोड़ रुपए के इनपुट टैक्स क्रेडिट का भुगतान पाने के लिए क्लेम कर दिया। प्रारंभिक जांच में मामला संदेहास्पद लगा, जिस पर सीजीएसटी कमिश्नर विजय मोहन जैन व तत्कालीन अपर आयुक्त महेंद्र सिंह ने एंटी इवेजन टीम के प्रभारी व अपर आयुक्त अनिल रावल को फर्म के पते पर जाकर वेरिफिकेशन करने को कहा। 18 जून 2020 को टीम सोनीपत में फर्म के पते पर पहुंची तो वहां पर एक बैंक्वेट हॉल मिला। आरोपी फर्म संचालक को हिरासत में लेकर पूछताछ करने के बाद सुनारिया जेल भेज दिया था। अब जमानत पर है।

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