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Sunday, August 30, 2020

खेलों के "म्हारे रत्न"

खेलों के "म्हारे रत्न"

रोहतक : खेल हो या सेना। हरियाणा के युवाओं ने हमेशा अपनी धमक से दुनियाभर में अपना डंका बजवाया है। हर साल आयोजित होने वाले राष्ट्रीय खेल पुरस्कार हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद के जन्मदिवस के अवसर पर माननीय राष्ट्रपति द्वारा दिए जाते हैं। शनिवार को आयोजित राष्ट्रीय खेल पुरस्कारों के अवसर पर हरियाणा के युवाओं ने एक बार भी गौरवांवित किया है।

राजीव गांधी खेल रत्न

रानी रामपाल: हॉकी टीम की कप्तान रानी रामपाल  का जीवन संघर्षों से भरा है। पिता ने घोडा गाडी चलाकर बेटी को हॉकी खेलने भेजा और बेटी ने पिता को अपनी मेहनत से आज मर्सडीज में घूमा रही है। रानी रामपाल की कहानी हर उस बेटी के काम आ सकती है जो अभावों से जूझकर अपना रास्ता बनाने की कोशिश में है।

विनेश फौगाट: बचपन में पिता का साया सिर से उठने के बाद ताऊ महावीर फौगाट ने विनेश को अखाडे की ऐसी मिट्टी चखा दी जिसके प्रेम में वो डूब ही गई। आज अनेक मेडल और पुरस्कारों से उसकी झोली भरी है और देश का सबसे बडा राष्ट्रीय खेल पुरस्कार खेल रत्न भी उसे अब मिला है।

अर्जुन अवार्ड

मनु भाकर: झज्जर के गौरिया गांव की रहने वाली शूटिंग सनसनी मनु भाकर आज किसी परिचय की मोहताज नहीं है। राष्ट्रीय स्तर पर कई रिकॉर्ड और मेडल जीत चुकी मनु भाकर को देश की शूटिंग का भविष्य माना जाता है। अपनी जिंदगी को खुलकर जीने वाली मनु भाकर को अर्जुन अवार्ड मिला है।
दीपिका ठाकुर: हॉकी की खिलाडी दीपिका ठाकुर का हॉकी स्टिक थामना और उसके बाद पीछे नहीं मुडकर देखना एक दिलचस्प और संघर्ष भरी दास्तान है। दीपिका के अनुसार, उसने खेल की शुरूआत छटी कक्षा की पढ़ाई के दौरान की थी। इसके लिए उसके चचेरे भाई से प्रेरणा मिली थी, उन्होंने हॉकी टीम बनाई थी। बस तब से उन्होंने एक के बाद एक कई मैच खेले, तीन कॉमनवेल्थ, तीन वर्ल्ड कप और तीन एशियन गेम्स तक पहुंचना और जीतने का उन्होंने सफर तय किया है।

दीपक निवास हुड्डा: रोहतक के सुनारिया गांव के रहने वाले दीपक निवासी हुड्डा को लोग कहते हैं कि वो पैदाइशी कबड्डी का खिलाडी है। जब दीपक निवास हुड्डा रोहतक में रहते हैं, तब भी वह अपने गांव चमारियां में अभ्यास के बिना एक दिन भी नहीं रह पाते। दीपक निवास हुड्डा देश के सबसे अच्छे एथलीटों में से एक है। दीपक अपने मैट पर शानदार प्रदर्शन के लिए जाने जाते हैं।
मनीष नारवाल: फरीदाबाद के बल्लभगढ़ सेक्टर 64 के रहने वाले मनीष नरवाल ने 2018 इंडोनेशिया पैरा एशियन खेलो में दस मीटर के एयर पिस्टल ओर 50 मीटर फ्री पिस्टल में गोल्ड मैडल हासिल किया था। मनीष ने अभी तक खेलो में तीन गोल्ड मैडल, एक रजत पदक हासिल किया हुआ है। मनीष पैरा खेलों में भारत का भविष्य माना जाता है।

मनीष कौशिक: सेना में सूबेदार के पद पर तैनात मनीष कौशिक रिंग में बेहद आक्रामक बॉक्सर होते हैं वहीं रिंग से बाहर वह अपने शांत व्यवहार के जाना जाता है। मनीष कौशिक का जन्म 11 जनवरी 1996 को हरियाणा के भिवानी जिले में हुआ था।  वह एक साधार परिवार से आते हैं। जहां उन्होंने अपने माता-पिता को गेंहू और कपास की खेती करने में उनका हाथ बटाया। मनीष ने अपने परिवार को एक नया जीवन देने के लिए एक नई दिशा चुनी और मुक्केबाज़़ी की दुनिया में कदम रखा।
संदीप चौधरी: गुरुग्राम के संदीप जब 12 साल के थे, तब उन्होंने हादसे में पैर गंवा दिए थे। इसके बावजूद वो खेले और रियो पैरालिंपिक में मामूली अंतर से मेडल चूक गया था और चौथे नंबर पर रहा था। जब भारत लौटा तो लगा कि चौथे और 40वें नंबर में कोई फर्क नहीं है। संदीप कहते हैं कि वो टूर्नामेंट में पर्सनल जैवलिन और पसंदीदा जर्सी व ट्रैक पेंट लेकर जाता हूं और कॉम्प्टिीशन के दिन वही इस्तेमाल करता हूं।

द्रोणाचार्य अवार्ड

ओपी दहिया: जीवनभर कुश्ती के दांवपेंच से जूझने वाले ओपी दहिया ने पहलवानी में बडे बडों को पटखनी दी है। हालांकि कोरोना पॉजिटिव होने के चलते वो अभी क्रवांटीन हैं। इन दिनों वो विनेश फौगाट को कुश्ती के दांव पेंच सिखा रहे थे और वो भी फिलहान कोरोना पॉजिटिव हैं।
कृष्ण कुमार हुड्डा: रोहतक के सांगी गांव में जन्मे कृष्ण कुमार हुड्डा इस समय मधुबन में बतौर एसपी तैनात हैं और बचपन से ही कबड्डी खेल रहे हैं। उनका कहना है कि नशे से दूर रह कर प्रत्येक युवा सफलता की सीढि़या चढ़ सकता है। कृष्ण कुमार हुड्डा उस टीम के कोच रहे हैं जिसने सैफ गेम्स और एशियन चैंपियनशिप जीती है। पिछले दो सीजन से वह दबंग दिल्ली केसी से जुड़े हुए हैं।

ध्यानचंद अवार्ड

नेत्रपाल हुड्डा: गांव दयालपुर में जन्मे नेत्रपाल हुड्डा 18 वर्ष की आयु में ही सेना में सिपाही के रूप में भर्ती हो गए थे। वर्ष 1965 में उनकी पोस्टिंग असम में हुई। सेना में ही रहते हुए प्रसिद्ध पहलवान कैप्टन स्व. चांदरूप से कुश्ती के गुर सीखने वाले नेत्रपाल ने इसके बाद राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में ढेरों पदक हासिल किए। पंजाब के अमृतसर में वर्ष 1972 में 'रुस्तम-ए-हिन्द' का खिताब मिला तो वर्ष 1973 में मेहर सिंह पहलवान को चित कर 'भारत केसरी' का तमगा भी हासिल किया था।
मनप्रीत सिंह: मूल रूप से डेराबस्सी हलके के गांव मीरपुरा के 109 किलो वजनी एवं 6 फुट 3 इंच की मजबूत कद काठी वाले मनप्रीत बीते 3 साल से नेशनल कबड्डी प्रो लीग में गुजरात फॉर्च्यून जैंट्स के कोच है। स्कूल के दिनों से ही नेशनल कबड्डी टीम में स्थान हासिल करने वाले मनप्रीत सिंह आक्रामक रीडर की भूमिका में रहे हैं। उन्होंने दो बार इंटरनेशनल वर्ल्ड कप में दो गोल्ड और दो बार एशियन गेम्स में दो गोल्ड के अलावा इंग्लैंड में सैफ खेलों में भी गोल्ड जीता है। अब तक 12 इंटरनेशनल गोल्ड हासिल कर चुके मनप्रीत सिंह राष्ट्रीय स्तर पर डेढ़ सौ से भी अधिक गोल्ड मेडल जीत चुके हैं। फिलहाल वे सोनीपत स्थित ओएनजीसी कंपनी में क्लास वन अफसर हैं।

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