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Tuesday, May 16, 2023

May 16, 2023

हरियाणा सरकार ने दिल्ली-गुरुग्राम- शाहजहांपुर- नीमराणा- बहरोड़ (एस.एन.बी.) - अलवर और दिल्ली से पानीपत रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (आर.आर.टी.एस.) प्रोजेक्ट्स को मंजूरी

चंडीगढ़,15 मई- हरियाणा सरकार ने दिल्ली-गुरुग्राम- शाहजहांपुर- नीमराणा- बहरोड़ (एस.एन.बी.) - अलवर और दिल्ली से पानीपत रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (आर.आर.टी.एस.) प्रोजेक्ट्स को मंजूरी दे दी है। केन्द्र सरकार द्वारा इन परियोजनाओं की स्वीकृति विचाराधीन है।
आज यहां मुख्य सचिव श्री संजीव कौशल की अध्यक्षता में हुई आर.आर.टी.एस. की बैठक के दौरान बताया गया कि दिल्ली-एस.एन.बी. आर.आर.टी.एस. कॉरिडोर की लंबाई 107 किलोमीटर होगी। इसमें 70 किलोमीटर हिस्सा एलिवेटेड और शेष 37 किलोमीटर अंडरग्राउंड होगा। इस पर 6 अंडरग्राउंड, 9 एलिवेटेड और 1 एट-ग्रेड स्टेशन होंगे। धारूहेड़ा में एक डिपो बनाने की योजना है। दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान से गुजरने वाले इस कॉरिडोर की लंबाई क्रमशः 23 किमी, 83 किमी और 2 किमी है। प्रस्तावित अलायनमेंट का एलिवेटेड हिस्सा पुरानी दिल्ली-गुरुग्राम, गुरुग्राम में सेक्टर 17 के राइट ऑफ वे (आर.ओ.डब्ल्यू.) और एस.एन.बी. (राजस्थान सीमा) तक एनएच-40, 48 के बीच होगा। दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान ने इस परियोजना को मंजूरी दे दी है जबकि केन्द्र सरकार इसकी स्वीकृति विचाराधीन है।
दिल्ली-एस.एन.बी. कॉरिडोर के प्रस्तावित स्टेशनों में सराय काले खां, आई.एन.ए., मुनीरका, एरोसिटी, उद्योग विहार, सेक्टर-17, राजीव चौक, खेड़कीदौला, मानेसर, पंचगांव, बिलासपुर चौक, धारूहेड़ा, एम.बी.आई.आर., रेवाड़ी, बावल और एस.एन.बी. हैं।

बैठक के दौरान अवगत कराया गया कि 103 किमी लंबे अलायनमेंट के दिल्ली-पानीपत आर.आर.टी.एस. कॉरिडोर का 11.5 कि.मी. हिस्सा एलिवेटेड और शेष 91.5 कि.मी. हिस्सा अंडरग्राउंड होगा। इसमें 2 अंडरग्राउंड, 14 एलिवेटेड और 2 एट ग्रेड स्टेशन होंगे। मुरथल और पानीपत में दो डिपो बनाने की योजना है। दिल्ली में इसकी लम्बाई 36.2 कि.मी. जबकि हरियाणा में 66.8 कि.मी. होगी।
आर.आर.टी.एस. परियोजना केन्द्र सरकार के प्रमुख रणनीतिक हस्तक्षेपों में से एक है और तदनुसार, शहरी गतिशीलता में बदलाव लाने तथा शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, रोजगार और आर्थिक अवसरों तक पहुंच के माध्यम से आमजन को सशक्त बनाकर उसे टिकाऊ, आरामदायक और तेज सार्वजनिक परिवहन मुहैया करवाने के उद्देश्य से इसे केन्द्र सरकार की नेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन (एन.आई.पी.) में शामिल किया गया है।

एन.सी.आर.टी.सी. भारत सरकार एक संयुक्त उद्यम कंपनी है तथा दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान भागीदार राज्य हैं। इसका प्रशासनिक नियंत्रण केन्द्रीय आवास और शहरी मामले मंत्रालय के अधीन है। एन.सी.आर.टी.सी. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के शहरों में आरामदायक और तेज पारगमन सुविधा प्रदान करने और परिवहन मांग में उच्च वृद्धि को पूरा करने के लिए एन.सी.आर. में रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (आर.आर.टी.एस.) परियोजनाओं के डिजाइन, विकास, कार्यान्वयन, वित्त-पोषण, संचालन और रखरखाव का कार्य करता है।

एन.सी.आर.टी.सी. के प्रबंध निदेशक श्री विनय कुमार सिंह ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए बताया कि दिल्ली-मेरठ आर.आर.टी.एस. कॉरिडोर का साहिबाबाद से दुहाई तक तक 17 कि.मी. लंबा हिस्सा चालू होने वाला है। उन्होंने मुख्य सचिव श्री संजीव कौशल से आर.आर.टी.एस. कॉरिडोर के लिए एकीकृत सुरक्षा योजना तैयार करने के संबंध में भी चर्चा की।
May 16, 2023

हरियाणा के दिव्यांगजनों के लिए खुलेगा नौकरियों का पिटारा- 35 हजार दिव्यांगजनों की भर्ती प्रक्रिया शुरू

हरियाणा के दिव्यांगजनों के लिए खुलेगा नौकरियों का पिटारा
- 35 हजार दिव्यांगजनों की भर्ती प्रक्रिया शुरू
चंडीगढ़ , 15 मई - हरियाणा में दिव्यांगजनों के लिए नौकरियों का पिटारा खुल गया है , जल्द ही प्रदेश के करीब 35 हज़ार दिव्यांगजनों को रोजगार उपलब्ध हो जाएगा। इनमे सरकारी क्षेत्र में 15 हजार तो, निजी क्षेत्र में 20 हजार दिव्यांगजनों को एडजेस्ट किया जाएगा।
हरियाणा दिव्यांगजन आयुक्त श्री राजकुमार मक्कड़ ने आज ई -कॉमर्स के क्षेत्र में जानी -मानी कंपनी 'अमेज़ॉन ' के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर किए। इस कंपनी द्वारा हरियाणा के लगभग 10 हज़ार दिव्यांगजनों को उनकी कार्य-क्षमता के अनुसार रोज़गार दिया जाएगा। जल्द ही राज्य सरकार के साथ ' यूथ फॉर जॉब ' कंपनी के साथ समझौता -ज्ञापन पर भी हस्ताक्षर होंगे , जिसके तहत इस कंपनी द्वारा भी 10 हज़ार दिव्यांगजनों को रोज़गार देने के द्वार खुल जाएंगे।
हरियाणा दिव्यांगजन आयुक्त श्री राजकुमार मक्कड़ ने बताया कि मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल के दिल में दिव्यांगजनों के प्रति विशेष स्नेह है , वे चाहते हैं कि राज्य के अधिक से अधिक दिव्यांगजनों को उनकी स्किल और शारीरिक क्षमता के आधार पर रोजगार देकर स्वावलम्बी बनाया जाए। उन्होंने बताया कि हाल ही में मुख्यमंत्री ने गुरुग्राम में करीब एक -सौ कंपनियों के साथ मीटिंग की थी और उनको अपनी -अपनी कंपनी में दिव्यांगजनों को रोजगार देने के लिए प्रेरित किया था। मुख्यमंत्री के प्रोत्साहन का असर यह हुआ कि कई कंपनियों ने नौकरियां देने का आश्वासन दिया है। यही नहीं "अमेज़ॉन" और "यूथ फॉर जॉब" ने तो एक कदम आगे बढ़कर दिव्यांगजनों को रोजगार देने के लिए एमओयू की कार्रवाई को भी सिरे चढ़ाना शुरू कर दिया है।
बकौल श्री मक्कड़ , अमेज़ॉन ने प्रथम चरण में 1500 मूक -बधिरों को गुरुग्राम ,मानेसर तथा फ़रीदाबाद में नियुक्त करने का निर्णय लिया है। नियुक्ति से पूर्व इनको प्रशिक्षण दिया जाएगा। जॉब के दौरान ये दिव्यांगजन फ्रंट की बजाए 'बैक एंड' पर कंप्यूटर ऑपरेटर या स्टोर -रूम में काम करेंगे। यही नहीं इनकी सुरक्षा का ध्यान रखते हुए कंपनी द्वारा 'पिक एंड ड्रॉप ' की सुविधा भी दी जाएगी।
उन्होंने बताया कि "रोजगारयुक्त दिव्यांगजन अभियान" के तहत दूसरे चरण में करीब 3,500 दृष्टि - बाधित दिव्यांगजनों को अमेज़ॉन द्वारा रोजगार दिया जाएगा। इस प्रकार , चरणबद्ध तरीके से अमेज़ॉन द्वारा कुल 10 हज़ार दिव्यांगों को जॉब दी जाएगी।
हरियाणा दिव्यांगजन आयुक्त ने आगे बताया कि जिस कंपनी "यूथ फॉर जॉब" के साथ हरियाणा सरकार द्वारा एमओयू किया जाएगा , उस कंपनी द्वारा जॉब के लिए आने वाले आवेदनों के आधार पर सर्वे किया जाएगा कि दिव्यांगजनों को उनके घर के नजदीक कौन-सी जॉब उपलब्ध करवाई जा सकती है ताकि उनको आने -जाने में परेशानी न हो।
श्री राजकुमार मक्कड़ ने वर्तमान प्रदेश सरकार की इस नीति को "हींग लगे न फ़िटकरी , रंग भी चौखा" क़रार देते हुए कहा कि अगर पूर्व की सरकारें भी अपने कार्यकाल में दिव्यांगजनों के रोज़गार के लिए इसी तरह के कदम उठा लेती तो हजारों दिव्यांगों का हित हो जाता।
हरियाणा दिव्यांगजन आयुक्त श्री राजकुमार मक्कड़, जिनको पिछले दिनों दिव्यांगजनों के लिए उत्कृष्ट कार्य करने पर केंद्र सरकार द्वारा सम्मानित किया गया था , ने हरियाणा सरकार द्वारा दिव्यांगों के लिए किये जा रहे कल्याणकारी कार्यों की विस्तार से जानकारी देते हुए बताया हरियाणा देश का पहला राज्य है जिसने सर्वप्रथम एक जनवरी 1996 को प्रदेश में दिव्यांगों के लिए सरकारी नौकरियों में तीन फ़ीसदी आरक्षण लागू किया था , इसके बाद तत्कालीन केंद्र सरकार ने सात फ़रवरी 1996 को कानून बनाकर पुरे देश में इसे लागू किया। उन्होंने बताया कि हरियाणा सहित विभिन्न राज्यों ने आरक्षण तो लागू कर दिया परन्तु उसको अमलीजामा नहीं पहनाया जिसके कारण पात्र दिव्यांगजन अपने हक़ से वंचित रहने पर मजबूर हुए। इनके आरक्षित कोटे में सामान्य या अन्य वर्ग की भर्तियां की जाती रही।

श्री मक्कड़ ने बताया कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 19 अप्रैल 2017 से दिव्यांगजनों के आरक्षण कोटे को तीन से बढ़ाकर चार प्रतिशत कर दिया और बैकलॉग को भरने के निर्देश दिए। वर्तमान मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने अन्य राज्यों से दो क़दम आगे चलकर एक जनवरी 1996 से लेकर आज तक की सभी बैकलॉग नौकरियों को जल्द से जल्द भरने के निर्देश दे दिए। विभाग के अतिरिक्त आयुक्त की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया गया जिसने दिव्यांगजनों के लिए बनाए गए रोस्टर रजिस्टर की जाँच -पड़ताल की। विश्विद्यालय, निगम , बोर्ड तथा कई विभाग की नौकरियों में आरक्षण की जांच के दौरान सामने आया कि लगभग 15 हज़ार ऐसे पद हैं जिन पर दिव्यांगजनों की बजाए अन्य शारीरिक रूप से स्वस्थ लोगों को भर्ती कर लिया गया।  


हरियाणा दिव्यांगजन आयुक्त के अनुसार , दिव्यांगजनों के बैकलॉग में से करीब 4000 पदों पर पात्र दिव्यांगों की भर्ती कर ली गई है और शेष की प्रक्रिया जारी है। उन्होंने बताया कि हरियाणा ही नहीं देश के इतिहास में पहली बार किसी एक राज्य द्वारा 103 पैरा -डॉक्टर तथा 2500 पैरा -मेडिकल स्टॉफ की भर्ती की गई है। हरियाणा दिव्यांगजन आयुक्त श्री राजकुमार मक्कड़ के हस्तक्षेप से एचसीएस की भर्ती में बकाया बैकलॉग की 14 वैकेंसी को भरा जाएगा , विज्ञापन को संशोधित करके दिव्यांगजनों के लिए कोटा निर्धारित किया गया है। इसके अलावा , पीजीटी तथा कौशल रोजगार निगम के तहत निकाली जा रही रिक्तियों में भी दिव्यांगजनों के लिए 4 प्रतिशत आरक्षण दिया जाना सुनिश्चित किया जा रहा है।
May 16, 2023

एचसीएस एवं एलाईड प्रारम्भिक परीक्षा 21 मई को -संजीव कौशल

एचसीएस एवं एलाईड प्रारम्भिक परीक्षा 21 मई को -संजीव कौशल
चंडीगढ़, 15 मई- हरियाणा के मुख्य सचिव श्री संजीव कौशल ने कहा कि 21 मई को एचसीएस एवं एलाईड सर्विस की प्रारम्भिक परीक्षा का आयोजन पारदर्शी एवं समुचित ढंग से करवाने के लिए व्यापक स्तर पर पुख्ता प्रबंध किए जाए। परीक्षा केन्द्रों के आसपास धारा 144 लगाकर कोचिंग सैंटर एवं फोटोस्टेट दुकानें भी बंद रहें।

मुख्य सचिव आज एचसीएस एवं एलाईड सर्विस की प्रारम्भिक परीक्षा के लिए आयोजित बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। बैठक से 6 जिलों के डीसी एवं एसपी ऑनलाइन जुडे़।
मुख्य सचिव ने 28 मई को आयोजित होने वाली यूपीएससी की प्रारम्भिक परीक्षा के लिए भी आवश्यक प्रबंध करने के निर्देश दिए। यूपीएससी की परीक्षा के लिए फरीदाबाद व गुरुग्राम जिले में लगभग 148 परीक्षा केन्द्र बनाएं गए हैं।

मुख्य सचिव ने बताया कि एचसीएस एवं अलाईड सेवाओं के लिए परीक्षा 21 मई को दो शिफ्टों में आयोजित की जाएगी। प्रातःकाल सत्र में 10 से 12 बजे तक सामान्य अध्ययन तथा सांयकालीन सत्र में 3 बजे से 5 बजे तक सिविल सर्विसिज एपटीच्यूड टैस्ट परीक्षा का आयोजन होगा। पंचकूला, अंबाला, फरीदाबाद, गुरुग्राम, करनाल तथा कुरूक्षेत्र सहित 6 जिलों के 341 परीक्षा केन्द्र बनाए गए हैं।
93600 उम्मीदवार देंगे प्रारम्भिक परीक्षा
 
मुख्य सचिव ने बताया कि अंबाला जिले में 41 परीक्षा केन्द्र बनाए गए हैं जिनमें 11736 उम्मीदवार, फरीदाबाद जिले में 89 परीक्षा केन्द्र जिनमें 24009 उम्मीदवार, गुरुग्राम जिले में 83 परीक्षा केन्द्र जिनमें 22272 उम्मीदवार, करनाल जिले में 47 परीक्षा केन्द्रों में 14667 उम्मीदवार परीक्षा देंगे। इसी प्रकार कुरूक्षेत्र के 42 परीक्षा केन्द्रों पर 10920 उम्मीदवार तथा पंचकूला के 39 परीक्षा केन्द्रों पर 10056 उम्मीदवार प्रारम्भिक परीक्षा में बैठेंगे।

मुख्य सचिव ने बताया कि प्रारम्भिक परीक्षा के लिए हर जिले में दो-दो नोडल ऑफिसर एवं कोऑर्डिनेटर लगाए गए हैं। संबंधित जिले के उपायुक्त परीक्षा के लिए ओवर आल इंचार्ज होंगे तथा सभी परीक्षा केन्द्रों में बिजली, पानी एवं जिला स्तर पर आपातकाल मेडिकल सेवाओं के लिए एम्बुलेंस सेवाओं का भी प्रबंध करवाना सुनिश्चित करेंगे।
 
पारदर्शी एवं निष्पक्ष परीक्षा करवाना करें सुनिश्चित

मुख्य सचिव ने कहा कि उपायुक्त 4-5 परीक्षा केन्द्रों पर ड्यूटी मजिस्ट्रेट नियुक्त कर कानून व्यवस्था बनाए रखते हुए पारदर्शी एवं निष्पक्ष परीक्षा करवाना सुनिश्चित करेंगे। इसके अलावा परीक्षा केन्द्र पर तलाशी एवं जांच के लिए टीमें गठित करना, सीसीटीवी  कैमरे लगवाना तथा हर उम्मीदवार की बायोमीट्रिक हाजिरी सुनिश्चित करेंगे। उन्होंने कहा कि एचपीएससी के प्रश्न पत्र समय पर लेना तथा स्ट्रांग रूम की निगरानी भी सुनिश्चित करेंगे।

बैठक में एचपीएससी के चेयरमैन आलोक वर्मा, निदेशक सैकेण्डरी शिक्षा श्री अशंज सिंह, एचपीएससी के सचिव श्री मुकेश आहूजा, केन्द्रीय परीक्षा कमेटी सचिव श्री आदित्य दहिया, विशेष सचिव गृह श्री महाबीर कौशिक, एचपीएसी उप सचिव सतीश कुमार सहित कई पदाधिकारी मौजूद रहे।

Thursday, May 11, 2023

May 11, 2023

*हरियाणा में PGT अभ्यर्थियों को फिर झटका:होईकोर्ट ने परीक्षा पर लगाई रोक; एग्जाम पैटर्न बदलना बनी वजह, सरकार-HPSC को नोटिस*

*हरियाणा में PGT अभ्यर्थियों को फिर झटका:होईकोर्ट ने परीक्षा पर लगाई रोक; एग्जाम पैटर्न बदलना बनी वजह, सरकार-HPSC को नोटिस*
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट (HC) के एक आदेश से लोक सेवा आयोग (HPSC) के माध्यम से होने वाली PGT भर्ती के अभ्यर्थियों को झटका लगा है। हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए इस एग्जाम पर रोक लगा दी है। साथ ही हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार और आयोग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। HC ने एग्जाम पैटर्न बदले जाने के कारण यह फैसला किया है।

याचिकाकर्ता पूनम ने याचिका दाखिल कर हाईकोर्ट को बताया है कि अगस्त 2019 में HPSC ने पीजीटी के विभिन्न विषय के शिक्षकों के पद भरने के लिए विज्ञापन जारी किया था। नवंबर 2020 में पदों को भरने की जिम्मेदारी एचपीएससी को दी गई और इसके लिए फिर से विज्ञापन जारी किया गया।

ऐसे बदला एग्जाम पैटर्न
भर्ती को पूरा करने के लिए दिसंबर 2022 को HPSC ने एग्जाम का पैटर्न जारी किया। इसके अनुसार 150 मल्टीपल चॉइस प्रश्न पूछे जाने थे। इसके बाद 20 मार्च को एचपीएससी ने परीक्षा की नई योजना जारी कर दी। इसके अनुसार परीक्षा को दो चरणों में विभाजित कर दिया गया। इसके तहत प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा आयोजित करना तय किया गया। याची ने कहा कि भर्ती प्रक्रिया के शुरू होने के बाद इस प्रकार नियम में बदलाव करना सही नहीं है।
चार साल से कर रहे अभ्यर्थी तैयारी
याचिकाकर्ता ने बताया कि वह इस भर्ती के लिए पिछले 4 साल से तैयारी कर रही है। परीक्षा से ठीक पहले नई प्रक्रिया को अपनाना अवैध और मनमाना है। याचिका में कहा गया है कि आयोग ने पहले मल्टीपल चॉइस प्रश्नों के साथ लिखित परीक्षा की घोषणा की थी, लेकिन बाद में सब्जेक्टिव प्रश्नों के साथ प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा आयोजित करने की घोषणा की गई।
2019 से लटक रही परीक्षा
हरियाणा की पीजीटी की भर्ती पिछले चार साल से लटक रही है। सबसे पहले 2019 में पीजीटी के 4476 पदों के लिए भर्ती निकाली गई। इसके बाद वर्ष 2021 में फिर इन्हीं पदों को दोबारा विज्ञापन निकाला गया। पहले भर्ती की जिम्मेदारी हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग को दी गई थी, लेकिन सरकार ने फैसला लिया कि ग्रुप A और B की भर्ती हरियाणा लोक सेवा आयोग करेगा।
2022 में तीसरी बार निकली भर्ती
दिसंबर 2022 में एचपीएससी ने 50 प्रतिशत अंक लाने जरूरी और नेगेटिव मार्किंग को शामिल कर तीसरी बार पदों को लेकर विज्ञापन जारी किया गया। मार्च 2023 में भर्ती वापस ले ली गई। 20 मार्च 2023 को नया नियम बनाया कि परीक्षा मल्टीपल चॉइस नहीं, विस्तृत होगी। 29 मार्च को फिर इसमें संशोधन कर कहा कि पीजीटी के लिए एक प्रारंभिक और दूसरी मुख्य परीक्षा यानी 2 परीक्षाएं होंगी।
May 11, 2023

*कम उम्र के बच्चों को हो रहा आंखों का कैंसर:धुंधलापन न करें इग्नोर; यह दिमाग तक फैल सकता है*

*कम उम्र के बच्चों को हो रहा आंखों का कैंसर:धुंधलापन न करें इग्नोर; यह दिमाग तक फैल सकता है*
लोग नॉर्मल बीमारी होने पर इतना नहीं घबराते। जितना कैंसर का नाम सुनते ही डर जाते हैं। वहीं अगर ये शरीर के नाजुक पार्ट आंख में हो, तो ये बहुत ही डेंजरस सिचुएशन है।

*सही सुना आपने, आंखों में भी कैंसर हो सकता है।* इसे रेटिनोब्लास्टोमा कहते हैं। आंखों के कैंसर के खतरे से लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल 8 से 14 मई तक विश्व रेटिनोब्लास्टोमा जागरूकता सप्ताह भी मनाया जाता रेटिनोब्लास्टोमा के बारे में करते हैं। ये भी जानते हैं कि इसके लक्षण क्या हैं, किन लोगों को इसका खतरा ज्यादा होता है।
एक्सपर्ट: डॉ. सीमा दास, डायरेक्टर, ऑकुलोप्लास्टी और ओकुलर ऑन्कोलॉजी, डॉ. श्रॉफ चैरिटी आई हॉस्पिटल, दिल्ली
सवाल: क्या होता है रेटिनोब्लास्टोमा?
जवाब: रेटिनोब्लास्टोमा एक तरह का कैंसर है जो आंख के रेटिना में बनता है। रेटिना आंख के पीछे नर्वस टिश्यू यानी तंत्रिका ऊतक की एक पतली परत होती है। इससे एक या दोनों आंखों पर असर पड़ सकता है।
ये एक ऐसी बीमारी है, जो जन्म के कुछ समय बाद ही डेवलप होने लगती है। ये इतना डेंजरस होता है कि आंख के साथ जिंदगी भी छीन सकता है।

सवाल: ये आंखों में कैसे होना शुरू होता है?
जवाब: यह आंखों के रेटिना से एक छोटे ट्यूमर के रूप में शुरू होता है। ये साइज में काफी तेजी से बढ़ता है। अगर समय पर ध्यान न दिया जाए, तो आंख और रोशनी दोनों को नुकसान पहुंचा सकता है।
शुरुआती दिनों में, ट्यूमर आंख तक ही सीमित रहता है। लेकिन अगर इसका ट्रीटमेंट नहीं कराया, तो ट्यूमर आंख से बाहर फैल सकता है। शरीर के कई हिस्सों जैसे दिमाग, हड्डियों तक।

सवाल: किस उम्र में रेटिनोब्लास्टोमा होने का रिस्क ज्यादा रहता है?
जवाब: आमतौर पर 5 साल से कम उम्र के बच्चों में इस कैंसर का खतरा ज्यादा रहता है। हालांकि कभी-कभी बड़े बच्चे भी इससे इफेक्ट हो सकते हैं।
*हर 15,000-18,000 जन्मे बच्चों में से लगभग 1 बच्चा इस कैंसर से प्रभावित होता है।*

सवाल: तो क्या ये वयस्क और बुजुर्गों में नहीं होता है?
जवाब: वयस्क और बुजुर्गों में कैंसर का ये टाइप रेटिनोब्लास्टोमा होने का रिस्क न के बराबर होता है।
50 से 60 साल के लोगों को दूसरे टाइप के आंखों का कैंसर होने का रिस्क रहता है।

सवाल: रेटिनोब्लास्टोमा किस वजह से होता है?
जवाब: अगर माता-पिता, भाई-बहन में किसी को आंखों का कैंसर है या हो चुका है, तो जन्म लेने वाले बच्चे में रेटिनोब्लास्टोमा का रिस्क 50% तक बढ़ जाता है। या फिर गर्भ में पल रहे बच्चे में कुछ न्यूट्रीएंट्स की कमी की वजह से यह होता है।
सवाल: इस बीमारी के होने पर कैसे लक्षण दिखाई देते हैं?
जवाब: बच्चों में होने वाले इस कैंसर के लक्षण को नीचे लगे क्रिएटिव से समझते हैं-

सवाल: रेटिनोब्लास्टोमा से बचाने के लिए बच्चे का चेकअप कब कराना चाहिए और इसके लिए किस डॉक्टर के पास जाना चाहिए?
जवाब: इस कैंसर का सबसे पहला लक्षण आंख में सफेद चमक है। आंख के बीच में अगर वाइट रिफ्लेक्स दिखता है या फिर ऊपर बताए गए लक्षण दिखते हैं तो बच्चे को इस कैंसर से बचाने के लिए कुछ टेस्ट कराएं।
रेटिनोब्लास्टोमा का इलाज आई कैंसर स्पेशलिस्ट करते हैं।

सवाल: इसका पता किस टेस्ट से चलता है?
जवाब: आई स्पेशलिस्ट एनेस्थीसिया देकर आई कैंसर का टेस्ट करते हैं। एमआरआई स्कैन और अल्ट्रासाउंड से आंखों का टेस्ट किया जाता है।
जिन पेशेंट को कीमोथेरेपी की जरूरत होती है, उनकी हेल्थ की टेस्टिंग पहले एक चाइल्ड स्पेशलिस्ट से करवाई जाती है। उसके बाद आगे का प्रोसेस होता है।
हालांकि कैंसर की एडवांस स्टेज के लिए कभी-कभी सर्जरी कराने की एडवाइस डॉक्टर देते हैं। इसके लिए इंट्रावेनस कीमोथेरेपी और ब्रैकीथेरेपी जैसे एडवांस ट्रीटमेंट भी मौजूद है।
सवाल: रेटिनोब्लास्टोमा होने पर इसका इलाज संभव है?
जवाब: इलाज संभव है। लेकिन जरूरी यह है कि इसे समय रहते ही डिटेक्ट यानी पता कर लिया जाए।
शुरुआती स्टेज में इस कैंसर का इलाज आमतौर पर लेजर और कीमोथेरेपी के साथ किया जाता है। जो अधिकतर पेशेंट की जिंदगी, आंख और रोशनी को बचा लेता है।
वहीं अगर ट्रीटमेंट करने में देरी की गई, तो सिचुएशन खतरनाक हो सकता है। यहां तक कि सर्जरी में आंख भी निकालनी पड़ सकती है या दिखना भी बंद हो सकता है।

सवाल: रेटिनोब्लास्टोमा के अलावा आंख का कैंसर कितने तरह का होता है?
जवाब: इसके अलावा आंख का कैंसर 3 तरह का होता है।
ऑक्यूलर मेलानोमा: एडल्ट में होने वाला यह सबसे कॉमन आई कैंसर है। मेलानोमा यानी ट्यूमर उन सेल्स में होता है जो आंखों समेत शरीर के कई पार्ट्स में पिगमेंट के बनने में शामिल होते हैं।
प्राइमरी इंट्राऑक्यूलर लिम्फोमा: इस कैंसर में लिम्फोसाइट्स नाम की वाइट ब्लड सेल्स शामिल होती हैं। यह आमतौर पर HIV एड्स पेशेंट में देखने को मिलता है।
शरीर के इम्‍यून सिस्‍टम की सेल्स को लिम्‍फोकेट्स और जो सेल्स कैंसर से ग्रसित होती है उन्‍हें लिम्‍फोमा या लिम्‍फ कैंसर कहते हैं।
ऑक्यूलर मेटास्टेसिस: कई बार ऐसा होता है कि शरीर के कई पार्ट्स में जो ट्यूमर होता है जैसे लंग्स कैंसर। वह भी आंखों को प्रभावित कर सकता है। कैंसर के लिए जिम्मेदार ये सेल्स ब्लड वेसेल्स के माध्यम से आंखों तक पहुंच सकती हैं।

Wednesday, May 10, 2023

May 10, 2023

*आम लोगों के लिए अच्छी खबर:*तीन साल बाद खुला जिंदल टावर, समय शाम 4 से 7 तक*

*आम लोगों के लिए अच्छी खबर:तीन साल बाद खुला जिंदल टावर, समय शाम 4 से 7 तक*
तीन साल बाद खुला जिंदल टावर, समय शाम 4 से 7 तक|
                                 तीन साल के बाद जिंदल टावर मंगलवार काे आम लोगों के लिए फिर खाेल दिया गया है। 90 मीटर के ऑब्जरवेटरी टावर से शहर का नजारा देख सकते हैं। ओपी जिंदल ज्ञान केन्द्र परिसर स्थित ऑब्जरवेटरी टावर और पार्क की मरम्मत का काम तीन महीनाें की रिकार्ड अवधि में पूरा हाे गया है। सोमवार को छोड़कर बाकी दिन शाम 4 बजे से शाम 7 बजे तक शहरवासी इस टावर से शहर का नजारा देख सकेंगे। टाॅवर पर दो मंजिला प्लेटफार्म बना रखा है। टावर पर चढ़ने के लिए सीढ़ियां व लिफ्ट का प्रबंध है। टावर काे विजय के पाटिल एण्ड एसाेसिएट्स द्वारा डिजाइन किया गया है।
टावर देखने पहुंचे डीएन काॅलेज छात्र चिराग निवासी गाेरखपुर ने बताया कि पहले कभी इतनी ऊंचाई वाला टावर नहीं देखा है। चिराग ने बताया कि जब भी पार्क में आता था ताे यह टावर बंद मिलता था। लेकिन आज जब यहां से गुजर रहा था ताे टावर खुला ताे देखने आ गया। हिसार निवासी विनय ने बताया कि बदलाव करके और भी अच्छा बना दिया है।
May 10, 2023

*हरियाणा सरकार का युवाओं को झटका:फॉरेस्ट गार्ड के लिए शैक्षिक योग्यता 12वीं की; सीनियर माइनिंग गार्ड में अपग्रेड हुए 22 पद*

*हरियाणा सरकार का युवाओं को झटका:फॉरेस्ट गार्ड के लिए शैक्षिक योग्यता 12वीं की; सीनियर माइनिंग गार्ड में अपग्रेड हुए 22 पद*
फॉरेस्ट गार्ड के लिए शैक्षिक योग्यता 12वीं की; सीनियर माइनिंग गार्ड में अपग्रेड हुए 22 पद|हरियाणा
हरियाणा सरकार ने युवाओं को बड़ा झटका दिया है। सरकार ने फॉरेस्ट गार्ड के लिए शैक्षिक योग्यता को अब 12वीं तक कर दिया है। कैबिनेट मीटिंग में हरियाणा राज्य वन कार्यकारी अनुभाग (ग्रुप-C) सेवा नियम (1998) में संशोधन के बाद यह फैसला लिया गया है।

इसके साथ ही माइनिंग गार्ड के कुल 117 नियमित पदों में से एफपीएल-2 में माइनिंग गार्ड के 22 पदों को सीनियर माइनिंग गार्ड के पदों को अपग्रेड करने के प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई है। इस संशोधन के साथ कि सीनियर माइनिंग गार्ड के पदों के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता 12वीं कर दी गई है।
पहले 10वीं थी शैक्षिक योग्यता
वन रक्षकों की भर्ती के लिए अब तक न्यूनतम शैक्षिक योग्यता 10वीं थी, लेकिन अब हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग द्वारा आयोजित सामान्य प्रवेश परीक्षा में न्यूनतम शैक्षिक योग्यता 10+2 किया है। कैबिनेट ने फॉरेस्ट गार्ड्स की भर्ती के लिए शैक्षिक योग्यता को मैट्रिक से 10+2 तक हिंदी या संस्कृत के साथ मैट्रिक में एक विषय के रूप में या हिंदी को एक विषय के रूप में बढ़ाने के लिए संशोधन को मंजूरी दी।
पदोन्नति से भरे जाएंगे पद
माइनिंग गार्ड के 22 पदों को सीनियर माइनिंग गार्ड में अपग्रेड करने के बाद अब हरियाणा खनन एवं भू विज्ञान विभाग फील्ड (ग्रुप-C) सर्विस रूल्स, 1998 में सीनियर माइनिंग गार्ड के पदों को पदोन्नति द्वारा भरने के लिए योग्यता मानदंडों में संशोधन किया गया है। ये पद माइनिंग गार्ड, जिनके पास हिंदी या संस्कृत के साथ 12वीं पास शैक्षणिक योग्यता हो और माइनिंग गार्ड के रूप में 10 साल का अनुभव हो, में से पदोन्नति द्वारा भरे जाएंगे।

Monday, May 8, 2023

May 08, 2023

*पापा ने जुए में सबकुछ लुटा दिया:बेटे ने बनाया पहला स्वदेशी ड्रोन मोटर; सालाना एक करोड़ का बिजनेस*

‘पापा सरकारी टीचर थे। उन्हें जुए की लत थी। जितना वो कमाते थे, उससे ज्यादा जुए में हार जाते थे। मां की कमाई भी जुए में ही डुबो देते थे। इस वजह से परिवार पर बहुत ज्यादा कर्ज हो गया। आर्थिक स्थिति इतनी लचर हो गई कि हर दिन के लिए सोचना पड़ता था। पापा, मम्मी के साथ मार-पिटाई करते, मेंटली-फिजिकली टॉर्चर करते थे। ये सब तकरीबन 12 साल तक चला।
मुझे वो दिन याद है, मैं बहुत छोटा था। जबरदस्त ठंड पड़ रही थी। मां नाना-नानी के पास गई थी। हम दोनों भाई पापा के पास ही थे। एक दिन सुबह के 3 बजे ही पापा हम दोनों भाइयों को नाना के घर दरवाजे पर छोड़कर चले गए। उसके बाद आज तक हम लोगों ने उनका मुंह तक नहीं देखा। बाद में मम्मी ने पापा से अलग होने का फैसला कर लिया।
आज मुझे नहीं याद कि वो दिखने में कैसे थे? पापा से अलग होने के बाद मम्मी ने मुझे पढ़ाया-लिखाया। मैंने इंजीनियरिंग किया। मेरे पूरे करियर में ननिहाल और मम्मी और बड़े भाई का सबसे बड़ा रोल रहा।
संघर्ष और मेहनत की बदौलत ही मैंने 2020 में इंडिया की पहली स्वदेशी ड्रोन मोटर बनाई। आज मेड इन इंडिया ड्रोन मोटर बनाने वाली मेरी कंपनी ‘क्षेनहेस्टर’ का सालाना टर्नओवर एक करोड़ है।’
दोपहर के एक बज रहे हैं। गुजरात में इन दिनों चिलचिलाती गर्मी पड़ रही है। राजकोट में गुजरात टेक्निकल यूनिवर्सिटी (GTU) का इन्क्यूबेशन सेंटर है, जहां 31 साल के मिलन हांसलिया ड्रोन मोटर की टेस्टिंग के दौरान अपनी कहानी मुझे सुना रहे हैं। माथे पर से पसीने को पोछते हुए जब मिलन अपनी जर्नी बताना शुरू करते हैं, तो कई बार उनकी आवाज ठहर जाती है।

*ये मिलन हांसलिया हैं, जो ड्रोन मोटर बनाने वाली कंपनी क्षेनहेस्टर के फाउंडर हैं।*

*मिलन ड्रोन मोटर के डेमो को दिखा रहे हैं*
मिलन कहते हैं, ‘जब पुरानी बातों को याद करता हूं, तो रोना आ जाता है। मेहनत का परिणाम ही है कि मेरे हाथ में जो मोटर आप देख रहे हैं, वो इंडिया का पहला ड्रोन मोटर है। इससे पहले अब तक जितने भी मोटर ड्रोन में या कॉमर्शियल सेक्टर में इस्तेमाल होते रहे हैं, वो चीन, यूरोप या अमेरिका जैसे देशों से इंपोर्ट होते रहे हैं।’
*मिलन ड्रोन मोटर की टेस्टिंग अपने एक साथी को थमाकर मेरे साथ अपनी कहानी जारी रखते हैं*।

वो कहते हैं, ‘जब मैं छोटा था, तो मम्मी को बहुत तकलीफ में देखता था। किसी तरह से घर-परिवार चल पा रहा था। तभी से मेरे मन में था कि पढ़-लिखकर कुछ-न-कुछ बेहतर करना है।
2013 में मैंने गुजरात से ही मैकेनिकल इंजीनियरिंग में B.Tech कम्प्लीट किया। पास आउट होने के साथ ही एक कंपनी में ठीक-ठाक पैकेज पर जॉब लग गई। तकरीबन 4 साल जॉब किया, ताकि फैमिली की थोड़ी-बहुत फाइनेंशियल कंडीशन ठीक हो सके।
2018 का साल बीत रहा था। मैं चाह रहा था कि कुछ अपना स्टार्टअप शुरू करूं। इसके लिए मास्टर करने की जरूरत थी, लेकिन जॉब की वजह से दिक्कतें हो रही थीं। जिस कंपनी में मैं काम कर रहा था, वहां के ओनर नहीं चाह रहे थे कि मैं जॉब छोड़ दूं, लेकिन स्टडी की वजह से मुझे रिजाइन करना पड़ा।'

*मिलन अपने ऑफिस में हैं*
मिलन अपनी ड्रोन मोटर बनाने की यूनिट को दिखा रहे हैं। वो कहते हैं, 'मुझे याद है, एडमिशन के आखिरी दिन मैंने अहमदाबाद जाकर M.Tech में एडमिशन लिया। 2019 का साल बीत रहा था। कॉलेज प्रोजेक्ट के दौरान मेरा आइडिया सिंगल सीट इलेक्ट्रिक व्हीकल पर काम करने को लेकर था।
जब IIT मंडी के इन्क्यूबेशन सेंटर में मेरा सिलेक्शन हुआ और वहां गया, तो पहले इसके मोटर और फिर बाद में ड्रोन मोटर बनाने पर वर्क करना शुरू किया।
स्टडी के दौरान पता चला कि इंडिया में जितने भी ड्रोन मोटर या कॉमर्शियल इंडस्ट्री के मोटर इस्तेमाल हो रहे हैं, सभी इंपोर्टेड हैं। इंडिया में इसकी मैन्युफैक्चरिंग ही नहीं हो रही है।'

*मिलन के हाथ में ड्रोन मोटर का एक डेमो है। वो इस मोटर को पहला मेड इन इंडिया ड्रोन मोटर होने का दावा कर रहे हैं*।
मिलन कहते हैं, इसे मैंने 3 महीने की मेहनत के बाद डेवलप किया है, इसलिए कैमरे पर ओरिजिनल प्रोडक्ट नहीं दिखाना चाहता हूं। ड्रोन मोटर का इस्तेमाल डिफेंस सेक्टर में भी होता है, इसलिए इससे सुरक्षा का मामला जुड़ा होता है।'
मिलन आगे बताते हैं, ‘2019 में IIT मंडी के स्टार्टअप सेशन को अटैंड करने के बाद इतना तो समझ में आ गया कि आने वाला वक्त ड्रोन का ही है, क्योंकि अब ड्रोन से दवा से लेकर खेतों में छिड़काव और सर्वे-मैपिंग, डिलीवरी तक का काम चल रहा है।

पहले गवर्नमेंट ड्रोन सेक्टर को डिफेंस तक कंट्रोल करके रखी हुई थी। यह सिर्फ मिलिट्री इक्विपमेंट माना जाता था, लेकिन जब से अलग-अलग सेक्टर में इसकी एंट्री हुई है, ड्रोन इंडस्ट्री का मार्केट बूम करने लगा है। आज सिर्फ ड्रोन मोटर का सालाना मार्केट 6 हजार करोड़ का है।’
*मिलन ने बोर्ड पर ड्रोन मोटर का डायग्राम बनाया है*।
                             मिलन बोर्ड पर ड्रोन मोटर का डायग्राम भी बना रहे हैं। वो कहते हैं कि उनके पास इसकी टेक्निकल नॉलेज तो थी, लेकिन मार्केट का कोई आइडिया नहीं था। जब मिलन ने मेड इन इंडिया ड्रोन मोटर डेवलप किया, तो चुनौती यही थी कि इसे खरीदेगा कौन? मिलन बताते हैं, 'इंडिया में एक और दिक्कत है कि ड्रोन को सर्टिफाइड करने के लिए DGCA जैसी संस्था तो है, लेकिन मोटर को लेकर कोई स्टैंडर्ड नहीं है।
मैंने ड्रोन मैन्युफैक्चरर्स से इंपोर्टेड मोटर, इससे होने वाली दिक्कतें… इन सारी चीजों के बारे में जानना शुरू किया। पता चला कि उन्हें मन मुताबिक डिजाइन के मोटर नहीं मिल पाते हैं। जब IIT मंडी में दूसरी बार मुझे जाने का मौका मिला, तो मैंने 3 महीने में ही स्वदेशी ड्रोन मोटर डेवलप कर दिया। यह एडवांस टेक्नोलॉजी बेस्ड है, जिसे ब्रशलेस डीसी (BLDC) इलेक्ट्रिक मोटर कहते हैं।’
आगे की बातचीत से पहले मिलन मुझे ड्रोन के टेक्निकल टर्म को आसानी से समझाते हैं, इसे आप ग्राफिक्स में समझिए...
बातचीत के बीच ही मिलन का फोन बजने लगता है। ये उनकी मम्मी का फोन है। वो मिलन से टाइम पर लंच कर लेने के बारे में पूछ रही हैं। वो मेरी तरफ देखकर हंसने लगते हैं। कहते हैं, ‘जैसा पापा ने हम लोगों के साथ किया, यदि मम्मी भी ऐसा कुछ करती, तो फिर हमारा क्या होता? पता नहीं।

*कुछ देर ठहरने के बाद फिर से हमारी बातचीत का सिलसिला आगे बढ़ाता है*।

मिलन कहते हैं, 'जब मैं मेड इन इंडिया ड्रोन मोटर बनाने के बारे में सोच रहा था, तो सबसे बड़ी चिंता फंड की ही थी। इंडिया में टेस्टिंग से लेकर रॉ मटेरियल, मशीनरी पार्ट्स समेत कई अलग-अलग तरह की चुनौतियां हैं। चार साल में जो मैंने जॉब के दौरान थोड़ी बहुत सेविंग की थी, वो तो थी हीं, लेकिन इतने से कुछ होने वाला नहीं था। किसी भी मोटर मैन्युफैक्चरिंग यूनिट को सेट करने में करोड़ों रुपए की जरूरत होती है।
हालांकि फैमिली का पूरा सपोर्ट था, लेकिन फंड भी एक लिमिटेड होता है किसी के पास। आपको भी पता ही होगा...। मैंने जब अपना आइडिया अलग-अलग इन्क्यूबेशन सेंटर में पिच किया, तब मुझे कई सारे ग्रांट्स मिले। बैंक से भी लोन मिला। टोटल 60 लाख रुपए का इन्वेस्टमेंट मैंने अपनी कंपनी में किया और 2022 में छोटे लेवल पर ड्रोन मोटर मैन्युफैक्चरिंग की शुरुआत की।’

मिलन बताते हैं कि अगले हफ्ते एक क्लाइंट के साथ उनकी मीटिंग है। इसी को लेकर वो कुछ सैंपल तैयार कर रहे हैं। उम्मीद है कि थोक में ड्रोन मोटर बनाने के ऑर्डर मिलेंगे।'

*अभी आपका बिजनेस कैसा चल रहा है*

मिलन मुस्कराने लगते हैं। वो कहते हैं, ‘जब मैंने मेड इन इंडिया के तहत पहला ड्रोन मोटर डेवलप किया, तो ड्रोन मैन्युफैक्चरर काफी प्रभावित हुए। उनका कहना था कि विदेशों से मोटर इंपोर्ट करने में सबसे बड़ी दिक्कत गारंटी को लेकर होती है। इसकी कोई लाइफ नहीं होती।'

*ड्रोन मोटर एग्जीबिशन में मिलन की टीम और साथ में केंद्रीय राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर हैं*। 
                                ड्रोन मोटर एग्जीबिशन में मिलन की टीम और साथ में केंद्रीय राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर हैं।
वो बताते हैं, 'इंपोर्टेड मोटर की यदि गारंटी भी है, तो जितना खर्च इसे दोबारा विदेशी मोटर मैन्युफैक्चरर्स को भेजने में लग जाएगा, उससे कम में नया मोटर खरीदा जा सकता है। यानी इससे इलेक्ट्रॉनिक कचरा बढ़ता है।
जब मैंने 2022 में मार्केट में पहला मेड इन इंडिया ड्रोन मोटर लॉन्च किया, तो उसी वक्त भारत ड्रोन महोत्सव ऑर्गेनाइज किया गया था। मैंने ड्रोन मोटर डिस्प्ले किया, जहां दर्जनों ड्रोन मैन्युफैक्चरर से मेरी मुलाकात हुई, कई ऑर्डर भी मिले। कई मैन्युफैक्चरर ने आगे के बिजनेस के लिए मेरे साथ डील साइन किया।’

‘अब सोशल मीडिया का जमाना है। हम सोशल मीडिया के जरिए भी ड्रोन मोटर के वीडियो शूट करके बिजनेस को प्रमोट करते हैं। हालांकि 80% बिजनेस वेबसाइट के जरिए ही आते हैं। इन हाउस ही हम ड्रोन मोटर की मैन्युफैक्चरिंग करते हैं। अभी 4 लोगों की टीम काम कर रही है। जैसे-जैसे बिजनेस बढ़ रहा है, हम टीम बढ़ा रहे हैं।
आज मेरे साथ 15 से ज्यादा क्लाइंट जुड़े हुए हैं। अभी हम दो कैगेटरी- माइग्रो और स्मॉल ड्रोन के लिए मोटर बना रहे हैं। जल्द ही मीडियम और हैवी कैटेगरी के ड्रोन मोटर की मैन्युफैक्चरिंग भी करने का प्लान कर रहे हैं।’
मिलन कहते हैं कि अभी वो ड्रोन मोटर बनाने में इस्तेमाल होने वाले कुछ कंपोनेंट्स आउट सोर्स भी करते हैं। हालांकि आने वाले दिनों में वो सभी चीजों की इन हाउस मैन्युफैक्चरिंग करने पर फोकस कर रहे हैं। इस साल उनकी कंपनी का सालाना टर्नओवर एक करोड़ के होने का अनुमान है। जबकि पिछले साल उनकी कंपनी का टर्नओवर 50 लाख का था
ट्रेडिंग करके 3 हजार से बनाई एक करोड़ की कंपनी: जो सामान इंडिया में नहीं मिलता, उसे चीन से मंगाकर ऑनलाइन बेचते हैं

Saturday, May 6, 2023

May 06, 2023

लिंगानुपात में जींद जिला फिर से टॉप पर, चरखी दादरी सबसे फिसड्डी, जींद का 982, चरखी दादरी का 870

लिंगानुपात में जींद जिला फिर से टॉप पर, चरखी दादरी सबसे फिसड्डी, जींद का 982, चरखी दादरी का 870
जींद : हरियाणा प्रदेश के लिंगानुपात में जींद जिले ने इस साल मई महीने में भी (Sex Ratio 2023 ) अपनी बादशाहत पूरे प्रदेश में कायम रखी है। साल 2023 में जनवरी, फरवरी और मार्च के बाद अप्रैल महीने में भी जींद जिला लिंगानुपात के मामले में प्रदेश में पहले स्थान पर रहा है। जिले का लिंगानुपात मार्च के 996 से कम होकर अप्रैल में भले ही 982 पर पहुंच गया है, लेकिन जींद जिला इसके बावजूद अब भी प्रदेश में लिंगानुपात (Sex Ratio 2023 ) में पहले स्थान पर है।
प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग ने 5 मई को सभी 22 जिलों के लिंगानुपात (Sex Ratio 2023 ) के आंकड़े जारी किए। इनमें जींद जिला 982 के लिंगानुपात के साथ पूरे प्रदेश में पहले स्थान पर है। पिछले साल से इस साल तक लिंगानुपात के मामले में बहुत अच्छे स्थान पर चल रहा फतेहाबाद जिला 926 के लिंगानुपात के मामले में प्रदेश में पांचवें स्थान पर पहुंच गया है। 952 के लिंगानुपात के साथ कुरुक्षेत्र जिला दूसरे और 946 के लिंगानुपात के साथ अंबाला जिला प्रदेश में तीसरे स्थान पर है। सिरसा जिला 937 के लिंगानुपात (Sex Ratio 2023 ) के साथ प्रदेश में चौथे स्थान पर है।
हरियाणा के 8 जिले लिंगानुपात के मामले में 900 से कम लिंगानुपात (Sex Ratio 2023 ) वाले क्लब में हैं। इनमें सबसे कम लिंगानुपात चरखी दादरी का है, जिसका लिंगानुपात 870 है। भिवानी जिले का लिंगानुपात 875, महेंद्रगढ़ का लिंगानुपात 877, सोनीपत का 879, पंचकूला का 881, गुरुग्राम का 889, रोहतक का लिंगानुपात 894 है, करनाल का 899 है।
अप्रैल महीने में जिले का लिंगानुपात (Sex Ratio 2023 ) भले ही 12 अंक कम हुआ है, मगर प्रदेश में जिले की बादशाहत इसके बावजूद कायम है। लिंगानुपात में इस साल जींद जिला प्रदेश में जनवरी से अप्रैल तक बराबर बना हुआ है। यह बहुत बड़ी उपलब्धि हं हहजपहले स्थान पर अपना कब्जा और दबदबा इस साल लगातार तीसरे महीने बनाए रखा है। फरवरी में जींद जिले का लिंगानुपात 993 था, जो मार्च में बढ़कर 996 पर पहुंच गया था। इस साल जनवरी, फरवरी और मार्च में भी जींद जिला लिंगानुपात (Sex Ratio 2023 ) के मामले में प्रदेश में पहले स्थान पर रहा था।
*खाप पंचायतों का गढ़ भा रहा बेटियों को*

जींद जिला प्रदेश में खाप पंचायतों का सबसे मजबूत गढ़ है। खाप पंचायतों की धरती अब बेटियों को जन्म लेने के मामले में खूब भा रही है। 2022 में भी जींद जिला पहले 4 महीने प्रदेश में लिंगानुपात के मामले में प्रथम स्थान पर रहा था। उसके बाद लगातार 8 महीने जींद जिला लिंगानुपात में दूसरे स्थान पर रहा था। जींद जिले ने साल 2023 में भी लिंगानुपात (Sex Ratio 2023 ) के मामले में धमाकेदार एंट्री की और इस साल के पहले चारों महीने में जींद जिला लिंगानुपात में प्रदेश में पहले स्थान पर रहा है।
जिले की लिंगानुपात (Sex Ratio 2023 ) के मामले में प्रदेश में बादशाहत इस कारण और खास बन जाती है कि जींद उन खाप पंचायतों का गढ़ है, जिन्हें लेकर मीडिया का एक वर्ग उसे महिला और बेटी विरोधी बताता रहा। जिस तरह जिले का लिंगानुपात लगातार बढ़ रहा हैए और जिला प्रदेश में पहले स्थान पर आ रहा हैए उससे साफ है कि खाप पंचायतें बेटियों को बचाने और पढ़ाने की मुहिम में पूरा सहयोग दे रही हैं।
*डीसी और सिविल सर्जन ने कहा, शानदार*

लिंगानुपात के मामले में जींद जिले के अप्रैल में भी प्रदेश में पहले स्थान पर रहने को डीसी डॉ मनोज कुमार और सिविल सर्जन डॉ मंजू कादियान ने जींद की बहुत बड़ी उपलब्धि बताया और कहा की जिले का प्रदर्शन शानदार है। सिविल सर्जन डॉ मंजू कादियान ने कहा कि डीसी डॉ मनोज कुमार के मार्गदर्शन और पूर्व एसपी नरेंद्र बिजारनिया के मार्गदर्शन और सहयोग से स्वास्थ्य विभाग लिंगानुपात (Sex Ratio 2023 ) सुधारने में कामयाब हो रहा है। इसमें और सुधार होगा।
*यह कहते हैं डिप्टी सिविल सर्जन*

लिंगानुपात में जिले के प्रदेश में अप्रैल में भी पहले स्थान पर आने को लेकर पीएनडीटी के प्रभारी डिप्टी सिविल सर्जन डॉ पालेराम कटारिया ने कहा कि पीएनडीटी एक्ट को जिले में पूरी सख्ती से लागू किया गया है। प्रशासन और पुलिस का पूरा सहयोग स्वास्थ्य विभाग को इसमें मिल रहा है। बेटियों को लेकर लोगों की सोच बदल रही है। (Sex Ratio 2023 )