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Friday, August 7, 2020

कंस्ट्रक्शन विंग में मिला बड़ा फर्जीवाड़ा यमुनानगर में 4 करोड़ का काम करा बिजली निगम से फर्म को 10 करोड़ की कराई पेमेंट

कंस्ट्रक्शन विंग में मिला बड़ा फर्जीवाड़ा यमुनानगर में 4 करोड़ का काम करा बिजली  निगम से फर्म को 10 करोड़ की कराई पेमेंट

यमुनानगर। बिजली निगम की कंस्ट्रक्शन विंग में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। साल 2014 में चंडीगढ़ की एक फर्म को फीडर पर मरम्मत का काम दिया गया। फर्म ने जितना काम किया,उससे कहीं ज्यादा पेमेंट करा ली। चार करोड़ का काम कर 10 करोड़ रुपए से ज्यादा की पेमेंट फर्म ने ले ली। आरोप है कि यह खेल फर्म ने बिजली निगम के ही अधिकारियों से मिलकर खेला।

शक है कि इसमें अधिकारियों ने मोटी रिश्वत ली। इस फर्जीवाड़े का खुलासा काम पूरा होने के चार साल बाद हुआ। जांच के लिए अधिकारियों की कमेटी बनी। जिस फर्जीवाड़े का शक था जांच में वह सही निकला। इस पर केस दर्ज कराने का फैसला लिया गया। जिन अधिकारियों के खिलाफ फर्म का साथ देने के सबूत मिले उन पर विभागीय एक्शन के साथ-साथ केस भी कराया गया है। गांधी नगर थाना पुलिस ने केस दर्ज कर मामले की जांच शुरू की है।

33 फीडर थे,19 पर काम किया,वह भी पूरा नहीं 

शिकायतकर्ता बिजली निगम की कंस्ट्रक्शन विंग के एसडीओ संदीप पाहूजा ने पुलिस को दी शिकायत में बताया कि बिजली निगम की ओर से चंडीगढ़ की फर्म अरविंद्र इलेक्ट्रिकल को एक ठेका दिया था। इसमें 11 केवी लाइन,नए फीडर के निर्माण, उपकरणों की सप्लाई समेत अन्य काम करने थे। काम 19 मई 2015 तक करना था। मामला साल 2019 में सामने आया कि अरविंदर इलेक्ट्रिकल ने दर्शाए गए 33 फीडर में से केवल 19 फीडर पर कार्य पूरा किए बिना ही नौ जून 2015 तक 10 करोड़, 16 लाख, 63 हजार, 681 रुपए की पेमेंट ले ली।
निगम के अनुसार फर्म की ओर से करीब चार करोड़ का ही काम किया गया। छह करोड़ रुपए ज्यादा फर्म ने लिए। इसकी जांच के लिए अधिकारियों की टीम ने जांच में फर्म को अपना पक्ष रखने के लिए बुलाया,लेकिन फर्म की ओर से कोई नहीं आया। कमेटी ने 24 जनवरी 2020 को अपनी रिपोर्ट सौंपी कि बिजली निगम को 6 करोड़,9 लाख, 4 हजार, 331 रुपए का नुकसान हुआ। यह राशि फर्म को बिजली निगम को लौटाने के लिए नोटिस भेजा गया, लेकिन कंपनी ने पैसे नहीं लौटाए।
वहीं जांच में यह भी सामने आया कि फर्म को छह करोड़ से ज्यादा का फायदा और निगम को नुकसान पहुंचाने में तत्कालीन कनिष्ठ अभियंता निर्माण सतीश कुमार, उपमंडल अधिकारी निर्माण बलवान सिंह, कार्यकारी अभियंता केएस भोरिया, एसके मक्कड़ और मंडल लेखाकार नफे सिंह की भूमिका स्पष्ट दिखती है। फर्म को फायदा पहुंचाने में और भी अधिकारी और लोग हो सकते हैं। संदीप पाहूजा की शिकायत पर पुलिस ने फर्म और अधिकारियों पर धारा- 406, 417, 420, 465, 468, 471, 475, 120बी और करप्शन एक्ट में केस दर्ज किया है।

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