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Monday, March 1, 2021

भूपेंद्र सिंह हुड्डा भाजपा में जाएंगे या नई पार्टी बनाएंगे?

भूपेंद्र सिंह हुड्डा भाजपा में जाएंगे या नई पार्टी बनाएंगे?

रोहतक : जी 23 कांग्रेस में उन नेताओं का धड़ा है जो राहुल गांधी के ही खिलाफ हैं। राहुल गांधी की महत्वाकांक्षाएं इन नेताओं की राह में आड़े आ रही हैं क्योंकि इन नेताओं का कांग्रेस से पुराना नाता है। इतना पुराना जितना इंदिरा गांधी का रहा है और ऐसे में ये नेता हर हाल में चाहते हैं पार्टी उनके अनुसार ही चले। हालांकि इस बात के काेई प्रमाण नहीं हैं कि सोनिया गांधी की असल राय क्या है लेकिन सुनने में आता है कि सोनिया गांधी नहीं चाहती कि ये नेता पार्टी छोड़ें लेकिन क्या होगा ये भविष्य के गर्भ में हैं। फिलहाल तो जी 23 चर्चा में है और इसमें कांग्रेस के नेताओं के सिर पर सजी केसरिया पगड़ी है। जम्मू में ये पगड़ी कांग्रेस के नेताओं के सिर चढी तो सियासत भी सिरे चढने लगी है।

गुलाब नबी आजाद के नेतृत्व में ये कांग्रेसी नेता चाहते हैं पार्टी उनसे किनारा करने की सोचें भी ना। अगर इन नेताओं के जनाधार को खंगाला जाए तो केवल एक नेता ऐसे हैं जिनका जमीन पर वजूद है। बाकी नेताओं ने या तो लोकसभा के रास्ते संसद का मुंह ही नहीं देखा या देखा भी तो बहुत कम बार। केवल भूपेंद्र सिंह हुड्डा इनमें से इकलौते ऐसे नेता हैं जो हरियाणा में अपना दमखम रखते हैं और अपनी निगाहें एक बार फिर से मुख्यमंत्री के पद पर गड़ाए बैठे हैं लेकिन तकलीफ वही पुरानी है जो सबकी है? राहुल गांधी को वो पसंद नहीं हैं। भूपेंद्र सिंह हुड्डा को अपने बेटे दीपेंद्र हुड्डा का राजनीतिक करियर भी देखना है इसलिए जिस राज्यसभा को वो बारात के घोड़ों की जगह कहते थे मौका लगते ही अपने बेटे को वहां फिट कर दिया।
अब जी 23 के बहाने कई सवाल निकलते हैं? क्या कांग्रेस दो फाड़ होगी? हालांकि ये कोई नई बात नहीं है ज्यादतर पार्टियां कांग्रेस से ही तो निकली हैं? अब सवाल ये है कि क्या भूपेंद्र सिंह हुड्डा नई पार्टी बनाएंगे? इस पर चर्चा की जा सकती है। हालांकि भूपेंद्र सिंह हुड्डा के परिवार का इतिहास देखा जाए तो चाहे जैसा भी वक्त रहा हो उन्होंने कांग्रेस से दूर जाकर राजनीति करने का साहस कभी नहीं जुटाया है? इस विधानसभा चुनाव से पहले भी नहीं जब हुड्डा ने एक बड़ी रैली ये संकेत देने के लिए जुटाई थी कि वो नई पार्टी भी बना सकते हैं। दरअसल इस डर के पीछे बडी वजह खुद भूपेंद्र सिंह हुड्डा ही हैं। आज उनकी जो हालत है वो कभी चौधरी भजनलाल की हुआ करती थी और इसका फायदा उठाकर वो मुख्यमंत्री बने और चौधरी भजनलाल को हजकां बनानी पडी।

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