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Friday, February 11, 2022

डॉ. अजय सिंह चौटाला जेबीटी भर्ती केस में रिहा, दिल्ली फार्म हाउस पहुंचे

डॉ. अजय सिंह चौटाला जेबीटी भर्ती केस में रिहा, दिल्ली फार्म हाउस पहुंचे
नई दिल्ली : डॉ अजय सिंह चौटाला को आज दिल्ली की तिहाड़ जेल से रिहाई मिल गई है। जेबीटी भर्ती घोटाला मामले में जेल की सलाखों के पीछे पहुंचे डॉ. अजय सिंह चौटाला की जेल की अवधि पूरी होने के बाद रिहा कर दिया गया है।
आपको बता दें कि हरियाणा में 20 साल पुराने जूनियर शिक्षक भर्ती घोटाले में हरियाणा के डॉ. अजय सिंह चौटाला की सजा पूरी हो गई है। साल 1999-2000 के दौरान 3206 जूनियर बेसिक ट्रेंड (जेबीटी) शिक्षकों की भर्ती में घोटाले के इस मामले में ओपी चौटाला, उनके बेटे अजय चौटाला और 53 अन्य आरोपियों को दिल्ली की कोर्ट ने दोषी करार देते हुए 10 साल की सजा सुनाई थी।

*क्या है मामला ?*
चार्जशीट के मुताबिक 3206 जूनियर बेसिक ट्रेंड टीचर्स की नियुक्ति में ओम प्रकाश चौटाला और अजय चौटाला  ने फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल किया था। नियुक्तियों की दूसरी लिस्ट 18 जिलों की चयन समिति के सदस्यों और अध्यक्षों को हरियाणा भवन और चंडीगढ़ के गेस्ट हाउस में बुलाकर तैयार कराई गई. इसमें जिन अयोग्य उम्मीदवारों से पैसा मिला था। उनके नाम योग्य उम्मीदवारों की सूची में डाल दिए गए।

*दो आईएएस का किया तबादला*
घोटाले के लिए चौटाला ने प्राथमिक शिक्षा निदेशक के पद से दो आईएएस अधिकारियों का तबादला कर दिया था। कोर्ट ने फैसले में कहा कि आईएएस अफसर आरपी चंद्रशेखर (तत्कालीन प्राथमिक शिक्षा निदेशक) ने अप्रैल 2000 में योग्य उम्मीदवारों की सूची जारी करने का प्रस्ताव दिया था, जिसके बाद अगले ही दिन उनका ट्रांसफर कर दिया गया।
कोर्ट ने कहा कि इसके बाद 1986 बैच की आईएसएस अधिकारी रजनी शेखर सिब्बल शिक्षा विभाग की निदेशक बनाया गया। जब उन्होंने इस नियुक्तियों की सूची में बदलाव करने से इनकार कर दिया तो उनका भी ट्रांसफर कर दिया गया। इसके बाद साल 1985 बैच के अधिकारी संजीव कुमार को शिक्षा विभाग का निदेशक बनाया गया। मामले में आरपी चंद्रशेखर और रजनी शेखर सिब्बल गवाह बने।

*ऐसे हुआ मामले का खुलासा*
जेबीटी भर्ती घोटाले को अंजाम देने के लिए साल 1985 बैच के आईएएस अधिकारी संजीव कुमार को शिक्षा विभाग का निदेशक बनाया गया था। मामले के मुताबिक परीक्षा के बाद योग्य उम्मीदवारों की जो सूची बनी उनमें संजीव कुमार के उम्मीदवार भी थे। जब नतीजे घोषित करने की बारी आई तो अजय चौटाला और शेर सिंह बडशामी ने संजीव कुमार को धमकाते हुए उनके उम्मीदवारों के नाम सूची से काटकर नई सूची बनवाई और नतीजे घोषित करने को कहा। यहीं से घोटाले का खुलासा होना शुरू हो गया।

*इन धाराओं के तहत दोषी*
अदालत ने सभी आरोपियों को भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी (आपराधिक साजिश), 418 (छल करके हानि पहुंचाना), 467 (मूल्यवान प्रतिभूति का फर्जीवाड़ा), 471 (फर्जी दस्तावेज का असली की तरह इस्तेमाल) और भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा 13(2) व 13(1)(डी) के तहत दोषी करार दिया।
कोर्ट ने 55 लोगों को ठहराया था दोषी
ओम प्रकाश चौटाला और उनके बेटे अजय चौटाला के अलावा प्राथमिक शिक्षा के पूर्व निदेशक संजीव कुमार, चौटाला के पूर्व ओएसडी विद्या धर और दिल्ली कोर्ट ने हरियाणा के पूर्व सीएम के राजनीतिक सलाहकार शेर सिंह बाड़शामी को दोषी ठहराया. कोर्ट ने माना कि ओपी चौटाला के इशारे पर ही आरोपियों ने पूरे घोटाले को अंजाम दिया।
चौटाला ने संजीव कुमार को प्राथमिक शिक्षा निदेशक नियुक्त करते हुए उनसे नियुक्तियों की पहले से तैयार सूची को बदलकर दूसरी सूची तैयार करने को कहा था। कोर्ट ने कुल 55 लोगों को दोषी करार दिया था। जिनमें 16 महिलाएं शामिल थीं। कुल मिलाकर मामले में 62 आरोपी थे, 6 की मुकदमे की सुनवाई के दौरान मौत हुई और एक को अदालत ने बरी कर दिया।

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