हरियाणा के 56% स्कूलों ने ही भरा फॉर्म-6:44% को जल्द भरने के आदेश; नहीं भरा तो फीस वृदि्ध करना असंभव होगा; और भी कई शर्तें
चंडीगढ़ : हरियाणा के सभी प्राइवेट स्कूलों के लिए नए शैक्षणिक सत्र 2022-23 में फीस बढ़ाने के लिए फॉर्म-6 भरना अनिवार्य किया गया है। सरकार ने स्कूलों को एक फरवरी से 31 मार्च तक का समय दिया। बावजूद इसके प्रदेश के 44 प्रतिशत प्राइवेट स्कूलों ने फॉर्म-6 नहीं भरा। मात्र 56 प्रतिशत स्कूलों ने ही भरा है। अब जिन स्कूलों ने फॉर्म-6 नहीं भरा है, वे नए शैक्षणिक सत्र में फीस नहीं बढ़ा सकेंगे। यदि वे ऐसा करते हैं तो अभिभावकों की शिकायत मिलने पर इन स्कूलों के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई भी की जाएगी।
फॉर्म-6 के तहत जहां स्कूलों को अपनी सभी अनिवार्य गतिविधियों की जानकारी प्रॉसपेक्ट्स में देनी है, वहीं स्कूल 10.13 प्रतिशत से अधिक फीस भी नहीं बढ़ा सकते। प्रदेश में 6200 से अधिक मान्यता प्राप्त स्कूल हैं। यह स्कूल पुराने बच्चों की फीस तभी बढ़ा पाएंगे, जब अध्यापकों के वेतन में औसतन वृद्धि की होगी। इस नियम के लागू होने से अभिभावकों को यह पता रहेगा कि अगले साल उनके बच्चे की कितनी फीस देनी होगी। वहीं वे स्कूलों द्वारा अनिवार्य शुल्क बताकर बेवजह वसूले जाने वाले अतिरिक्त चार्ज से भी बच सकेंगे।
*5 शैक्षणिक वर्षों से पहले वर्दी में नहीं कर पाएंगे बदलाव*
स्कूल सभी अनिवार्य फीस घटकों की जानकारी फॉर्म-6 में देगा। सभी स्कूलों को ऑनलाइन फॉर्म-6 भरकर प्रस्तुत करना था। किसी भी छात्र को मान्यता प्राप्त स्कूल द्वारा अनुबंधित दुकानों से पुस्तकें, कार्य पुस्तिकाएं, लेखन सामग्री, जूते, जुराब, वर्दी लेने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा। स्कूल लगातार 5 शैक्षणिक वर्षों से पहले वर्दी में बदलाव नहीं करेंगे। प्राइवेट स्कूल किसी विशिष्ट शैक्षणिक सत्र में किसी कक्षा, ग्रेड, स्तर में नए प्रवेश के इच्छुक छात्रों के लिए नियम के मुताबिक फीस निर्धारित करने में स्वतंत्र होंगे, परंतु आगामी वर्षों के लिए नए प्रवेशित छात्रों की फीस में वार्षिक वृद्धि नियमों के अनुसार होगी। स्कूलों को यह भी सुनिश्चित करना था कि उसके द्वारा अर्जित आय का उपयोग केवल शैक्षणिक उद्देश्य के लिए किया जाएगा।
*जांच में दोषी मिलने पर स्कूल पर जुर्माना*
फीस वृद्धि कानून की अवहेलना की शिकायत मिलने पर फीस रेगुलेटरी कमेटी जांच करेगी, जिसमें स्कूल और शिकायतकर्ता को सुनवाई का उचित अवसर दिया जाएगा। जांच का दायरा तीन माह तक सीमित होगा। जांच में दोषी मिलने पर कमेटी स्कूल पर जुर्माना भी लगा सकती है। पहली बार शिकायत सही मिलने पर प्राथमिक स्कूलों पर 30 हजार, मिडिल स्तर के स्कूलों पर 50 हजार और माध्यमिक व वरिष्ठ माध्यमिक स्तर के स्कूलों पर एक लाख रुपए जुर्माना किया जा सकता है। दूसरी बार शिकायत पर प्राथमिक स्कूलों पर 60 हजार, मिडिल स्तर के स्कूलों पर एक लाख रुपए और माध्यमिक व वरिष्ठ माध्यमिक स्तर के स्कूलों पर दो लाख रुपए जुर्माना किया जा सकता है। तीसरी बार शिकायत होने पर कमेटी स्कूल की मान्यता वापस लेने के लिए निदेशक को सिफारिश कर सकती है, जिसके बारे में तीन महीने के भीतर सुनवाई होगी।
*स्कूलों को भी अपील करने का अधिकार*
कमेटी के किसी आदेश के खिलाफ निदेशक को अपील की जा सकती है। निदेशक के किसी आदेश के खिलाफ अपर मुख्य सचिव, प्रधान सचिव शिक्षा विभाग को अपील की जा सकती है। दंड के भुगतान के बाद ही अपील प्राधिकारी को की जा सकती है। अगर अपील की सुनवाई के दौरान अवहेलना आदेश निरस्त कर दिया गया है तो वह भुगतान स्कूल को वापस कर दिया जाएगा। अपील केवल 30 दिनों के भीतर की जा सकती है।
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