सरकार जन-भावनाओं का संज्ञान ले, प्रभावित लोगों से बात कर माँगो का समाधान करे - दीपेन्द्र हुड्डा
गुरुग्राम : सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने आज आईएमटी चौक, मानेसर में जमीन बचाओ किसान बचाओ संघर्ष कमेटी द्वारा कासन, सहरावन, कुकडौला गांव की 1810 एकड़ भूमि के अधिग्रहण को रद्द करने के लिये चल रहे अनिश्चितकालीन धरने पर पहुँच कर उनकी मांगों का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि सरकार जन-भावनाओं का संज्ञान लेते हुए प्रभावित लोगों से बात कर जायज़ माँगो का समाधान करे।
सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने बातचीत में साढ़ौरा विधायक रेनू बाला को जान से मारने की धमकी देकर 25 लाख की फिरौती माँगने की घटना पर गहरी नाराजगी जताते हुए कहा कि ये हरियाणा की ध्वस्त कानून-व्यवस्था का प्रतीक है। जब विधायक ही इस सरकार में सुरक्षित नहीं हैं तो आमजन खुद को कैसे सुरक्षित महसूस करेगा। उन्होंने सरकार से तुरंत पूरे मामले की गहराई से जांच कराकर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के साथ ही विधायक रेनू बाला की पूर्ण सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की।
उन्होंने हरियाणा में बढ़ते अपराध पर चिंता जताते हुए कहा कि सरकार में बैठे लोगों ने अपनी सुरक्षा को ही कानून-व्यवस्था मान लिया है। जबकि, हत्या, रेप, चोरी, फिरौती, लूट, डकैती आम हरियाणवी की दिनचर्या का हिस्सा बन गए हैं। एनसीआरबी के आंकड़े बताते हैं कि भाजपा-जजपा राज में कानून-व्यवस्था का दिवाला निकल गया है।
सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि हुड्डा सरकार के समय अपराधियों में क़ानून का खौफ था, आज लोग अपराध और अपराधियों से खौफजदा हैं। मुख्यमंत्री ने खुद ही लट्ठ उठाने और जेल जाने से न डरने की बात कहकर अपराधियों के अन्दर से सलाखों के पीछे जाने का डर निकाल दिया। दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि जब जेल जाने का डर ही नहीं रहेगा तो क़ानून-व्यवस्था ठीक कैसे रहेगी।
दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि बढ़़ते अपराध का कारण प्रदेश सरकार का कुशासन और बढ़ती बेरोजगारी है। पिछले कई वर्षों से हरियाणा बेरोजगारी के मामले में लगातार पूरे देश में टॉप पर बना हुआ है। हरियाणा में पिछले महीने के मुकाबले बेरोज़गारी दर 6 प्रतिशत बढ़कर 30.6 प्रतिशत पर पहुँच गई जो राष्ट्रीय औसत का करीब 4 गुना अधिक है। दिल्ली के तीन तरफ़ जो हरियाणा बसता हो, वहाँ देश में में सर्वाधिक ‘रोज़गार दर’ होना चाहिए न कि ‘बेरोज़गारी दर’। सामान्यतः देखा जाता है कि रोजगारशुदा व्यक्ति अपराध करने से डरता है। उसे इस बात का डर रहता है कि ऐसा करने से कहीं उसका रोज़गार न चला जाए।
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