ज्ञानवापी पर वाराणसी में मुस्लिम महिलाओं ने जश्न मनाया, बाबा भोले की उतारी आरती
वाराणसी के ज्ञानवापी स्थित श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन पूजन और अन्य विग्रहों के संरक्षण मामले में जिला अदालत ने सोमवार को हिंदू पक्ष के हक में अपनी स्वीकृति दी है। अदालत ने ज्ञानवापी परिसर में मौजूद मां श्रृंगार गौरी मंदिर में पूजा की अनुमति देने वाली याचिका को सुनवाई योग्य माना है। जिला जज डॉ. एके विश्वेश ने फैसला सुनाते हुए मुस्लिम पक्ष की अपील खारिज कर दी। अब अगली सुनवाई के लिए 22 सितंबर की तारीख तय की गई है। इस फैसले के बाद हिंदू पक्ष में खुशी का माहौल है। वहीं, मुस्लिम पक्ष अब आगे की रणनीति बनाने में जुट गया है।
वहीं लमही स्थित सुभाष भवन में मुस्लिम महिलाओं ने भगवान शिव की आरती उतारकर बैंड-बाजे के साथ जश्न मनाया। महिलाओं ने कहा कि वह ज्ञानवापी मामले में शुरू से ही सच के साथ हैं और औरंगजेब के कलंक से काशी विश्वनाथ मंदिर को मुक्त कराना चाहती हैं। बार-बार मुसलमानों से अपील कर रही हैं कि जिसका जो हक है उसे वो खुद सौंप दें, तभी इस्लाम की इज्जत बढ़ेगी। नीचे की स्लाइड्स में देखें...
मुस्लिम महिला फाउंडेशन की नेशनल सदर नाजनीन अंसारी के नेतृत्व में मुस्लिम महिलाओं ने ओम नम: शिवाय... के साथ आरती कर संदेश दिया कि वह किसी कीमत पर नफरत नहीं फैलने देंगी। काशी की गंगा जमुनी तहजीब को बर्बाद नहीं होने देंगी।
नाजनीन अंसारी ने कहा कि जब हमारे पूर्वज हिंदू थे तो वो तो आदि विश्वेश्वर की पूजा करते ही थे। हम सभी अदालत के फैसले का सम्मान करते हैं। इतिहासकार एवं विशाल भारत संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. राजीव श्रीवास्तव ने कहा कि मासिर-ए-आलमगीरी में स्पष्ट रूप से साकी मुस्तईद खान ने औरंगजेब के मंदिर तोड़ने की बात लिखी है। 1710 ई0 में लिखी गयी पुस्तक सबसे बड़ा प्रमाण है। मुस्लिम पक्ष को अपना दावा छोड़ देना चाहिए।
उन्होंने कहा कि भारत के किसी मुसलमान को मंगोलों का पक्ष नहीं लेना चाहिए, क्योंकि इन्हीं मंगोलों ने अंतिम खलीफा की हत्या की थी। आज का फैसला वर्षों पहले हुए अन्याय और अत्याचार के खिलाफ जीत की पहली सीढ़ी है। इस दौरान नजमा परवीन, नाजिया बेगम, नगीना अंजुम, मुन्नी बेगम, नाजमा, अहसीन आदि मुस्लिम महिलाओं के साथ अर्चना भरतवंशी, डॉ. मृदुला जायसवाल, खुशी भारतवंशी, इली भारतवंशी, उजाला भारतवंशी शामिल रहीं।
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इधर, कोर्ट के फैसले पर मुस्लिम पक्ष के वकील मेराजुद्दीन सिद्दीकी ने अदालत पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा है कि यह न्यायोचित नहीं है। उन्होंने कहा, हम इस खिलाफ ऊपरी अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे। जज साहब ने सुनवाई को स्वीकृति 1991 के संसद के कानून को दरकिनार कर दी है। ऊपरी अदालत के दरवाजे हमारे लिए खुले हैं। न्यायपालिका आपकी है। आप संसद के नियम को नहीं मानेंगे।
ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी विवाद में पोषणीयता के मामले में वाराणसी के जिला जज एके विश्वेश की अदालत में बीते 24 अगस्त को सुनवाई पूरी हुई थी। सिविल के अभी तक के मामलों में पोषणीयता के मुकदमे में सबसे लंबी सुनवाई हुई है। इस मामले में रूल 7/11 लागू होगा या रूल 6/11 लागू होगा, इसी बात की मुख्य बहस पर 21 दिन की सुनवाई हुई।
जिला जज की स्वीकृति के बाद हिंदू पक्ष के वकील हरिशंकर जैन ने इसे सत्य की जीत करार दिया। उन्होंने कहा, अब हम आर्कियोलॉजिकल सर्वे की मांग करेंगे। कमीशन की कार्रवाई में काफी हद तक स्थिति साफ हो चुकी है। हम ज्ञानवापी की सच्चाई सामने लाने के लिए सभी तथ्यों को अदालत में रखेंगे। आगे भी हमारी जीत निश्चित है।
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