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Wednesday, April 26, 2023

महिला पहलवानों का यौन शोषण, अब तक FIR नहीं:पुलिस लिखने से करे मना तो इस तरह करें शिकायत

*महिला पहलवानों का यौन शोषण, अब तक FIR नहीं:पुलिस लिखने से करे मना तो इस तरह करें शिकायत*
दिल्ली के जंतर-मंतर पर महिला पहलवान भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष (WFI) और भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ धरना दे रही हैं।

*सुप्रीम कोर्ट सात महिला रेसलर्स की याचिका पर सुनवाई शुक्रवार को करेगा।*

इस बीच बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ अब तक FIR दर्ज नहीं करने को लेकर CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया है।

दरअसल शिकायत मिल जाने के बाद भी दिल्ली पुलिस इस मामले में FIR दर्ज करने को तैयार नहीं है। इस वजह से भी महिला पहलवानों ने FIR दर्ज करने के लिए याचिका दाखिल की थी।
ये तो हुई पदकवीर महिला पहलवानों की बात। हमारे-आपके जैसे कई आम लोगों का क्या, जो FIR करवाने के लिए पुलिस में जाते हैं और पुलिस उन्हें वहां से भगा देती है। या फिर FIR दर्ज करने के लिए पैसे मांगती है।

*आज जरूरत की खबर में हम आपको FIR से जुड़े जरूरी सवालों के जवाब दे रहे हैं।*

सवाल: FIR क्या होती है?
जवाब: FIR यानी फर्स्‍ट इन्फॉर्मेशन रिपोर्ट। दण्ड प्रक्रिया संहिता यानी CrPC 1973 के सेक्‍शन 154 में FIR का जिक्र है।
क्राइम रिलेटेड घटना के संबंध में पुलिस के पास कार्रवाई के लिए दर्ज की गई पहली सूचना को प्राथमिकी या फर्स्ट इन्फॉर्मेशन रिपोर्ट यानी FIR कहा जाता है।

सवाल: FIR के बाद क्या होता है?
जवाब: CrPC की धारा 157(1) के मुताबिक, पुलिस मामला दर्ज कर FIR की रिपोर्ट जिले के या संबंधित मजिस्ट्रेट तक 24 घंटे के अंदर भेज दी जानी चाहिए।
सवाल: FIR करना क्यों जरूरी है?
जवाब: देश में हर व्यक्ति को शिकायत के तौर पर FIR दर्ज करने का अधिकार है। अगर कहीं भी संज्ञेय अपराध यानी Cognizable Offence हो रहा है, तो ऐसे में रिपोर्ट दर्ज करवाने के बाद ही पुलिस छानबीन कर सकती है।

सवाल: संज्ञेय अपराध यानी Cognizable Offence किसे कहते हैं?
जवाब: संज्ञेय अपराध का जिक्र क्रिमिनल प्रोसिजर कोड (CrPC 1973) की धारा 2 (C) और 2 (L) में है। धारा 2 (C) कहती है कि ऐसा अपराध, जिसमें पुलिस किसी व्यक्ति को बिना किसी वारंट अरेस्ट कर सकती है, वह संज्ञेय अपराध यानी Cognizable Offence है।

CrPC 1973 के शेड्यूल 1 में संज्ञेय अपराध की पूरी लिस्ट दी गई है। जिसके अनुसार इस अपराध में बलात्कार, देशद्रोह, हत्या, रिश्वत, अपहरण, दंगा, हथियार से लैस होकर अपराध करना, पब्लिक सर्वेंट अगर रिश्वत ले रहा है, फर्जी पब्लिक सर्वेंट बनकर जनता को कोई बेवकूफ बना रहा है और अगर कोई योजना बनाकर गैरकानूनी काम कर रहा है ये सब शामिल हैं।


सवाल: FIR में क्या-क्या लिखा जाता है?
जवाब: FIR कुछ बातें को ध्यान में रखकर लिखी जाती है…

FIR लिखते या लिखवाते वक्त उसमें बारीक से बारीक डिटेल होनी चाहिए, जैसे– अपराध के वक्त चांदनी रात थी या अंधेरा था। लैंप पोस्ट वहां आसपास था कि नहीं। अगर था तो उसकी रोशनी कितनी दूर तक की थी।
घटना की तारीख, समय, जगह और आरोपी की पहचान (अगर उसे जानते-पहचानते हैं तब) उसमें होना चाहिए।
इसमें घटना के सही तथ्य और घटना में शामिल व्यक्तियों के नाम और डिटेल शामिल होने चाहिए।
गवाहों (यदि कोई हो) के नाम भी पुलिस को उनकी जांच में मदद करने के लिए दिए जाने चाहिए।
गलत जानकारी न दें, IPC, 1860 के सेक्‍शन 203 के तहत आप पर कार्रवाई हो सकती है।
FIR में कोई भी बयान ऐसा न दें, जिसके बारे में आप खुद ही क्लियर नहीं हैं।
 
ऑनलाइन FIR दर्ज कराने के लिए इन स्टेप्स को करें फॉलो
अपने शहर या राज्य के पुलिस पोर्टल में अपना रजिस्ट्रेशन कराना होगा। दिल्ली के उदाहरण से समझते हैं... जैसे– delhipolice.gov.in पर लॉग इन करें और नीचे स्क्रॉल करें।
यहां आपको Citizen Service का ऑप्शन दिखेगा।
इसके बाद Complaint Lodging, MV theft e-FIR, Theft e-FIR, Economic And Cyber offenses, Missing person report, Lost and Found आदि जैसे ऑप्शन मिलेंगे। इन ऑप्शन को चुनकर क्लिक करें।
अगले पेज पर, अपना यूजर आईडी और फोन नंबर दर्ज करना होगा।
अगर LogIn आईडी और पासवर्ड पहले से नहीं है, तो जनरेट करना होगा।
मोबाइल नंबर डालकर वन टाइम OTP जनरेट भी कर सकते हैं।
लास्ट में सारी डिटेल भरने के बाद आप शिकायत दर्ज कर पाएंगे।
FIR की एक कॉपी आपके रजिस्टर्ड ईमेल अकाउंट पर भेजी जाएगी।
 
सवाल: यह जीरो FIR क्या है?
जवाब: जीरो FIR वो होती है जिसे अपराध होने पर किसी भी पुलिस स्टेशन में दर्ज करवा सकते हैं। लेकिन ज्यादातर देखा गया है कि पुलिस इसे दर्ज करने से मना कर देती है।

CrPC के सेक्शन 154 में जिक्र है। चूंकि इसमें कोई भी क्राइम नहीं लिखा जाता इसलिए ही इसे जीरो FIR कहते हैं।

इस मामले में इंस्पेक्टर या सीनियर इंस्पेक्टर रैंक का अधिकारी एक फॉरवर्डिंग लेटर लिखेगा और एक सिपाही उस लेटर को उस पुलिस स्टेशन में लेकर जाएगा जहां का वो केस होगा।

इसके बाद उस केस में आगे की जांच शुरू की जाएगी।

*चलते-चलते*
FIR दर्ज करने का मामला अगर झूठा निकला, तब क्या होगा? कभी भी झूठे मामलों की रिपोर्ट करने पर आपके खिलाफ भारतीय दंड संहिता यानी IPC की धारा 182 और 211 के तहत कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।

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